बोखौफ खनन माफिया: बारुद ढेर पर इंदौरा, मिलीभगत के खेल से धरती का सीना हो रहा छननी

इंदौरा (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: अजय शर्मा। सरकार के लाख प्रयासों और सख्ती के बावजूद प्रदेश में खनन माफिया बोखौफ मनमर्जी करने पर उतारु है। जिसके चलते धरती मां का सीना रोजाना सैकड़ों एकड़ छननी किया जा रहा है। सारा कुछ जानते हुए भी प्रशासनिक और पुलिस प्रशासन आंखों पर पट्टी बांधे किसी बड़ी दुर्घटना के इंतजार में प्रतीत हो रहा है। इंदौरा क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। खन माफिया के हौंसले इतने बुलंद हो चुके हैं कि उन्हें कानूनी कार्यवाही का भी कोई डर नहीं रहा। जिसके चलते पूरा इलाका बड़े खतरे की कगार पर खड़ा हो चुका है। इस आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि सारा खेल प्रशासनिक, पुलिस व राजनीतिक संरक्षक के नीचे चल रहा है। अगर, ऐसा न होता तो अब तक कड़ी से कड़ी कार्रवाई को अमल में लाकर खनना माफिया को सलाखों के पीछे धकेल दिया होता।

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मंदिर और सरकारी भूमि पर अवैध खनन से पड़ चुके हैं कई फुट गहरे गड्ढे

पत्रकारों की टीम द्वारा जब खनन माफिया द्वारा खौफनाक तरीके से किए गए खनन स्थल का दौरा। इस दौरान वहां का नजारा देखकर हृदय कांप उठा। खनन से इतने बड़े-बड़े गड्डे बना दिए गए हैं कि अगर कोई वहां खड़ा होकर देखे तो उसे ऐसा प्रतीत हो जैसे वो किसी पर्वत श्रृंख्ला में आ गया हो। यह खनन श्री राम गोपाल मंदिर डमटाल की भूमि पर किया गया है और आजतक किसी ने भी कार्यवाही की जहमत नहीं उठाई। खनन से वहां पर 100 से 150 फीट तक के गड्ढे बन चुके हैं।

डमटाल के पुराने रास्ते अगर मिल्ट्री अस्पताल की तरफ जाएं तो रेलवे पुल से पहले बाईं और तो खनन माफिया ने इतना कहर मचा रखा है कि उसकी कोई हद नहीं है और वो सारी भूमि राम गोपाल मंदिर और वन विभाग की है। मगर अफसोस की बात है कि इस तरफ न तो मंदिर प्रबंधकों का तो न ही प्रशासन का ध्यान गया। जिससे साफ जाहिर है कि दोनों की कुंभकरणी नींद सो रहे हैं।

 

जे.सी.बी. से उखाड़े गए पेड़ और नष्ट की गई वन संपदा

प्रशासन अगर कार्यवाही करता भी है तो सिर्फ जे.सी.बी. के चालान किए जाते हैं, जबकि खनन को सख्ती से रोकने के लिए कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। आज तक जेसीबी के चालान अधिक काटे गए हैं और खनन की तरफ किसी का ध्यान ही नहीँ गया कि चक्की की गहराई कितनी हो गयी है। जे.सी.बी. से पेड़ उखाड़ कर वन संपदा को हानि पहुंचाई गई है। जिसके सबूत मौके पर साफ देखने को मिल जाते हैं। खनन माफिया के कहर से आसपास के किसानों की भूमि बंजर बनती जा रही है और किसानों की पुकार भी किसी के कानों तक नहीं पहुंची।

प्राचीन माता शीतला मन्दिर को भी है खतरा

जानकारी अनुसार पता चला है कि जहां कोई प्राचीन मंदिर या धरोहर हो उसके नजदीक खनन नहीं किया जा सकता, लेकिन डमटाल का प्राचीन शीतला माता मंदिर खनन की भेंट चढऩे की कगार पर पहुंच चुका है। मंदिर के समीप खनन की हदें पार करते हुए माफिया ने इतनी बड़ी खाई बना दी है कि भारी बरसात में मिट्टी खिस्कने से कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है।

गौशाला के पास और मैट्रेड फैक्टरी के पीछे हो रहा खनन

गौशाला के पास की जमीन को भी खनन माफिया ने नहीं छोड़ा। यह कहना भी उचित रहेगा कि लंबे समय से चल रहे खनन को रोकने के लिए किसी ने कोई आवाज नहीं उठाई न ही खुली आंखों से देखते हुए भी इसे रोकने का प्रयास जरुरी नहीं समझा। क्योँकि, इतने व्याप्क स्तर पर खनन एक दिन पर तो हुआ नहीं।

ढांगूपीर चौकी के नजदीक से होता है खनन लेकिन कोई बड़ी कार्यबाही नही

ढांगूपीर चौकी से मात्र कुछ दूरी पर दिन-रात खनन हो रहा है तथा जब भी कोई चौकी में जाकर इस संबंधी शिकायत देता है तो चालान करके फर्ज की इतिश्री क दी जाती है। परन्तु, फोकलेंन को बांड करना जरुरी नहीं समझा जाता, जोकि 24 घंटे धरती मां का सीना छननी करने में लगी हुई है।

एयरपोर्ट को जाने वाले रास्तें पर भी खनन माफिया का कहर

पठानकोट एयरपोर्ट को जाने वाले रास्ते के आस-पास भी खनन माफिया कहर साफ देखा जा सकता है। खनन के चलते इस रास्ते पर भी खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। बरसात के दिनों में अगर जमीन खिस्क जाए तो वहां से गुजरने वाले वाहनों व यात्रियों को भारी क्षति उठानी पड़ सकती है। यहां भी किसी तरह की कोई कार्यवाही देखने को नहीं मिलती। सिर्फ और सिर्फ खानापूर्ति के लिए कार्रवाई का दिखावा जरुर देखने को मिल जाता है।

खनन से जल स्तर पर पड़ रहा असर, मगर सभी मौन

अवैध खनन के कारण जहां धरती मां और वन संपदा को भारी नुकसान पहुंचाया जा रहा है वहीं जल स्तर भी काफी नीचे जा रहा है। जिसके चलते कई नाले सूख चुके हैं तथा गहरे गड्ढे होने के कारण बड़े हादसे को आमंत्रण दे रहे हैं।

अवैध खनन से पैदा हुई स्थित से सरकार और प्रशासन के प्रति जनता में रोष

बातचीत दौरान स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर खनन माफिया की मनमर्जी और गंडागर्दी पर सरकार व प्रशासन ने लगाम नहीं लगाई तो आने वाले समय में उन उद्योगपतियों और कर्मचारियों को घसीट कर सडक़ पर लाया जाएगा जो मिलीभगत करते धरती मां का सीमा छननी करवा रहे हैं। लोगों ने कहा कि एक तरफ जहां प्रदेश की भाजपा सरकार सबका साथ-सबका विकास की तर्ज पर काम करने का भर्सक प्रयास कर रही है तो दूसरी तरफ सरकार का नारा इंदौरा क्षेत्र में चरितार्थ होता दिखाई नहीं देता। क्योकि, जिस सरकार के सरकारी तंत्र ने कार्यवाही करनी है उससे संबंधित कई भाजपा नेताओं के क्रैशरों की संख्या किसी की 8 तो किसी के क्रैशरों की संख्या 11 तक पहुंच चुकी है। लोग तो उनके नाम भी जानते हैं, मगर जो भी खुलकर बोला उसे इसका अंजाम भुगतना पड़ता है, जिसके चलते डर के मारे लोग चुप्पी साधे रखने में भलाई समझे हुए हैं।

स्थानीय निवासियों ने कथित तौर पर आरोप लगाया कि प्रशासन के कई अधिकारी खनन को बढ़ावा दे रहे हैं। क्योंकि, एक अधिकारी कहता है कि फोकलेन से खनन कर सकते हैं तो दूसरे का कहना है कि फोकलेन से खनन नहीं किया जा सकता। अगर खनन नहीं किया जा सकता तो क्या किसी ने यह जानने की कोशिश की कि आखिर यह मशीन किसकी खड़ी है। अधिकतर अधिकारी इस मुद्दे को दबाने के प्रयास में रहते हैं। लोगों ने आरोप लगाया कि अधिकतर अधिकारी उन्हें गमराह करने में रहते हैं तथा जिस कारण समस्या और भी विकराल रुप धारण करती जा रही है। इतना ही नहीं जो भी मशीनरी इस कार्य में लगी हुई है उन पर उनके रजिस्ट्रेशन नंबर भी नहीं लिखे होते।

कभी कभार ही काटे जाते हैं ओवरलोड ट्रकों के चालान

जानकारी अनुसार दिखावे के लिए कभी कभार ओवरलोड ट्रकों के चालान भी काटे जाते हैं, परन्तु एकाध दिन बाद स्थिति फिर से भयावाह बन जाती है, जबकि कई रास्तों पर भारी-भरकम वाहनों के आने-जाने पर रोक है। हालात यह हैं कि गरीब व आम आदमी डर-डर के दिन काटने को मजबूर है और अवैध धंधा करने वाले खुलेआम धरती का सीना छननी करने में लगे हैं।

लोगों ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से अपील की कि वे खुद इस मामले का संज्ञान लें और खतरे व बारुद ढेर पर खड़े हो रहे इंदौरा क्षेत्र को खनन माफिया के खौफ से मुक्ति दिलाएं। अब देखना यह होगा कि यह मामला प्रकाश में आने सरकारी तंत्र सरकारी आदेशों का इंतजार करता है या फिर धरती एवं पर्यावरण के प्रति अपने फर्ज का निर्वाह करने के लिए सख्त से सख्त कार्यवाही को अमल में लाता है।

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