विजय यात्रा: जनता में नहीं दिखा उत्साह, आका को खुश करने की लगी रही होड़

-अन्य राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवार कर रहे चुनाव प्रचार, भाजपा प्रधान विजय यात्रा में कार्यकर्ताओं की भीड़ देख खुशी प्रकट करने में मशगूल- होशियारपुर से जीत के बावजूद होशियारपुर वासियों के दिलों में जगह बनाने में पूरी तरह कामयाब नहीं हो पा रहे पंजाब प्रधान- अपने आका को खुश करने की होड़ में एक दूसरे को पछाड़ते दिखे कार्यकर्ता- कांग्रेस और आप के बढ़ते ग्राफ को देख कर भी सत्ता में आने का ओवरकानफिडैंस भाजपा को नहीं होने दे रहा एकजुट- मीडिया में तस्वीरें तो चाहते हैं पर लोकल पत्रकारों से बात करना नहीं समझते जरुरी- शायद लोकल पत्रकारों की प्रदेश प्रधान नहीं है जरुरत-
एडिटर ओपीनियर: संदीप डोगरा
पंजाब भाजपा प्रधान द्वारा निकाली गई विजय संकल्प रथ यात्रा को लेकर भले ही भाजपाई अपनी पीठ थपथपाते नहीं थक रहे हों, परन्तु यात्रा की सफलता पर अगर नजर दौड़ाई जाए तो सच अपने आप सामने आ जाएगा, क्योंकि यात्रा में आम जनता की भीड़ की बजाए अपने आका को खुश करने वाले कार्यकर्ताओं की संख्या ही देखने को मिली। पार्टी सूत्रों की मानें तो यात्रा जहां-जहां पहुंची वहां-वहां पर लोकल लोगों की भीड़ अधिक होनी चाहिए थी, परन्तु चंद कार्यकर्ताओं और यात्रा के साथ चल रहे कुछ बाहरी लोगों के सिवाये यात्रा में कुछ नहीं दिखा। यहां तक कि यात्रा मार्ग में आम लोगों की सहूलत को देखते हुए ट्रैफिक व्यवस्था का भी ध्यान रखा जाना जरुरी नहीं समझा गया। जिसके चलते आपाताकालीन सेवाओं में लगी एम्बुलैंस तक को रास्ता दिया जाना जरुरी नहीं समझा गया। जिसके चलते जहां यात्रा आम जनता में सार्थक संदेश देने में नाकामयाब रही कहना गलत नहीं होगा। हां इतना जरुर था कि भाजपा नेता और कार्यकर्ता एक-दूसरे को पीछे छोडऩे की होड़ में और अपना वर्चस्व दिखाने की होड़ में जरुर दिखे। जिसके चलते भले ही भीड़ बहुत थी की बातें कहकर दिल को दिलासे देने वाले भाजपाई अपने आका के समक्ष एक दूसरे से अधिक नंबर बटोरने में लगे हों, मगर इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि यात्रा का स्वागत करने वालों में कुछेक ऐसे नेता भी शूमार थे जो पहले से खड़े कार्यकर्ताओं की भीड़ में आगे खड़े होकर खुद का काफिला बड़ा दिखाने में लगे रहे। जिसके चलते पिछले लंबे समय से सत्ता ताकत से दूर रहने वाले चंद कार्यकर्ताओं व नेताओं की हालत में सुधार नहीं दिखा, जबकि अब जिला व प्रदेश में उनकी कमांड अधिक है।
आम लोगों को यात्रा के प्रति उत्साहित करने में भाजपा को पूरी तरह से सफल नहीं माना जा सकता, क्योंकि इस समय लोगों का ध्यान मतदान व राजनीतिक सरगर्मियों की तरफ था और राजनीतिक माहिरों के साथ-साथ लोगों का मानना है कि यात्रा से जरुरी यह था कि भाजपा अपने प्रत्याशी घोषित करके जनता के बीच मोदी और प्रदेश सरकार की विकास की नीतियों के लेकर पहुंचती। राजनीतिक माहिरों का मानना है कि चुनाव दौरान भाजपा की अंदरुनी खींचतान जहां कम होनी चाहिए थी वहीं इसमें कड़वाहट पहले से कहीं अधिक भर चुकी है और इसे कम करने में प्रदेश अध्यक्ष काफी हद तक असफल ही साबित हो रहे हैं। यात्रा दौरान कुछेक जगहों पर जनता ने पार्टी की आपसी फूट का खेल खुली आंखों से देखा तथा अन्य स्थानों के साथ-साथ होशियारपुर में भी यात्रा कोई सार्थक संदेश नहीं दे पाई। हालांकि कुछेक नए-नए बने पदाधिकारी, जिन्होंने कभी कार्यकर्ता की भूमिका भी नहीं निभाई थी अपना शक्ति प्रदर्शन करने में मशगूल दिखे, परन्तु आम जनता यात्रा से दूर ही दिखी। आलम यह रहा कि यात्रा को भाजपाई भले ही सफलता की नजरों से देख रहे हों। परन्तु हकीकत इससे कोसों दूर ही रही।
लोकल मीडिया की बजाए जालंधर पर अधिक भरोसा करते हैं भाजपा प्रधान?
मीडिया पर्सन के साथ-साथ आम जनता में इस बात को लेकर भी काफी रंज रहता है कि जीतने के बाद सांसद से मंत्री और मंत्री से भाजपा प्रदेश प्रधान बने सांपला लोकल मीडिया से काफी दूरी बनाए रहते हैं। हालांकि साल में एक-दो बार मीडिया पर्सन के साथ चाय नाश्ता जरुर करते हैं, जिसे लेकर कुछेक पत्रकार तो 6-6 माह तक फूले भी नहीं समाते, वहीं दूसरी तरफ लोकल मीडिया को अकसर ही उनके द्वारा अनदेखा किया जाता है। यह कहना भी झूठ नहीं होगा कि जब कोई व्यक्ति किसी मुकाम पर पहुंच जाता है तो उसके लिंक बड़े-बड़े चैनलों और समाचारपत्रों के साथ हो जाते हैं, परन्तु इसका मतलब नहीं कि वह पांच साल बाद फिर से उसी मुकाम पर होगा, जिसपर जनता या मीडिया ने उसे बिठाया था। व्यक्ति को 5 साल बाद का भी सोच लेना चाहिए। यात्रा दौरान पत्रकारों द्वारा सवाल किए जाने पर प्रधान का यह कहना कि वह पत्रकारवार्ता जालंधर में कर आए हैं वहां मौजूद पत्रकारों के समक्ष कई सवाल खड़े कर गया। इस दौरान कुछेक पत्रकारों ने अपनी नाराजगी भी जाहिर की। अगर उन्हें जालंधर के पत्रकारों पर ही भरोसा है तो अपने हल्के के पत्रकारों के प्रति उनकी क्या सोच है इसका अंदाजा पत्रकार भाईचारे को आसानी से ही लगा लेना चाहिए। होना तो यह चाहिए था कि होशियारपुर में यात्रा के आओगमन पर पंजाब प्रधान एक स्पाट पर रुककर पत्रकारों के साथ बातचीत करते, मगर पार्टी द्वारा ऐसी व्यवस्था की जानी जरुरी नहीं समझी गई।

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होशियारपुर को देर बाद मिला ‘न्यूटल’ जिला प्रधान

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि होशियारपुर भाजपा को देर बाद न्यूटल जिला प्रधान नसीब हुआ है और उसके द्वारा भाजपा को संगठित किए जाने के प्रयास जिस राजनीतिक कौशल से किए जा रहे हैं वह भी चंद लोगों को कबूल नहीं हो रहे। जिसके चलते जिला भाजपा जहां बड़ी सफलता प्राप्त कर सकती है वहीं आपसी फूट और गुटबंदी कहीं न कहीं भाजपा के लिए घातक साबित होगी इस आशंका से सभी भलीभांति वाकिफ हैं। राजनीतिक माहिरों की माने तो रही बात प्रदेश अध्यक्ष की तो उन्हें शायद वे लोग ज्यादा पसंद हैं जो उनकी वाहवाही करके ‘घुन्ने’ से बनकर अपने स्वार्थ साधने में व्यस्त हैं। ऐसे में इस बात का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि पार्टी की जमीनी स्तर पर भलाई चाहने वालों की कोशिशें क्यों कामयाब नहीं हो पा रही हैं। इतना ही नहीं कभी वाटर कूलरों का शोर तो कभी ग्रांट कम ले लो या काम हम ही करवाकर देंगे जैसी बातों के सामने आने के बाद भी प्रदेश अध्यक्ष का मौन रहना कहीं न कहीं अन्य कार्यकर्ताओं के बीच कई सवालों को जन्म देने के साथ-साथ प्रदेश प्रधान के एकजुटता के दावों की पोल खोलने के लिए काफी है। रही बात मौजूदा हालातों की तो इसमें कोई दो राय नहीं कि होशियारपुर में फिलहाल भाजपा मजबूत स्थिति में है ‘मगर’ यह जो मगर है वो ही सभी समस्याओं की जड़ है, मेरा कहने का भाव आज समझ ही गए होंगे। जय हिंद।

1 COMMENT

  1. पंजाब का तो पता नहीं पर इतनी ज्यादा खींचतान के चलते होशियारपुर को तो भूल ही जाए भाजपा

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