पुलिस की नाक तले बिक रहा चिट्टा, खानापूर्ति तक सीमित पुलिस की दौड़

इंदौरा (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: अजय शर्मा। देव भूमि हिमाचल को जिस तरह नशे की भूमि बनाने का काम कुछ एक सामाजिक तत्वों द्वारा किया जा रहा है वो काफी चिंता का विषय है। नशे की तस्करी को रोकने के लिए हिमाचल सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास काफी नाकाफी साबित हो रहे हैं वहीं हिमाचल का निचला क्षेत्र जिला काँगड़ा की तहसील इन्दौरा जो कि आज कल चिट्टापुर के नाम से जानी जाती है में कहा जा सकता है कि पुलिस की नाक तले चिट्टा बिक रहा है। इन्दौरा तहसील का डमटाल व छन्नी गांव जिसे नशेड़ी पोचिंकि (पब जी गेम का एक स्टेशन) के नाम से पुकारते हैं, कोड में यहाँ नशे का कारोबार सरेआम होता है। तस्कर इतना खुलकर काम करते हैं कि जैसे इन्हें तस्करी का लाइसेंस दिया गया हो। यह इलाका डमटाल थाना का सबसे नजदीकी इलाका है, परन्तु आलम यह है कि पुलिस भी इन पर काबू पाने में नाकाम साबित हो रही है।

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यहाँ का रांची मोड़ तो नशे की ओवरडोज से मरने वालों का अड्डा बनता जा रहा है। आए दिन कोई न कोई शव यहां से बरामद होता रहता है तथा आए दिन शव मिलने का यहाँ आये दिन कोई न कोई लाश मिलती रहती है और अधिकतर नशे की ओवरडोज से मरने वालों के होते हैं। पुलिस छोटे-मोटे तस्करों को तो पकड़ लेती है, मगर बड़े मगरमच्छ हाथ नहीं आते।

सगेंड़पुल के पास एक विशेष समुदाय से संबंधित कुछ लोग सरेआम नशे का कारोबार करने में जुटे हुए हैं। पुलिस व नारकोटिक्स विभाग द्वारा इन्हें पकडऩा जरुरी नहीं समझा जा रहा। सूत्रों की माने तो कथित तौर पर मिलीभगत से चल रहे इस खेल के कारण तस्करों के हौंसले बुलंद हो रहे हैं।

यहाँ सरकार ने डमटाल में थाना खोल कर लोगों की सहूलियत बड़ाई, लेकिन लोगों की माने तो कमाई का साधन बन गया कुछ एक प्रशासनिक अधिकारियों का क्योंकि जिस तरह नशा डमटाल थाने के अंतर्गत क्षेत्र में बिक रहा है वो डमटाल पुलिस एवं नारकोटिक्स टीम पर सवाल खड़े कर रहें हैं क्योंकि यह नशा थाने से मात्र एक किलोमीटर के अंदर में बिक रहा है जो कि इनकी कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है। जब डमटाल थाना बना तो लोगों को उम्मीद बंधी थी कि अब यहां का सुधार होगा, मगर सुधार जैसा कुछ भी देखने को नहीं मिल रहा। पुलिस एक ग्रामी व दो ग्रामी को पकड़ कर पीठ थपथपा लेती है, जबकि कार्यवाही बड़े मगरमच्छों यानि बड़े तस्करों पर करने की जरुरत है। छोटे-मोटे नशा बेचने व करने वालों को पकडक़र सरकार से शाबाशी लेने का कोई मौका पुलिस ने छोड़ ही।

सूत्रों के अनुसार अगर पुलिस इन इलाकों में गंभीरता से छानबीन करे तो तस्करों के तार किन बड़े मगरमच्छों से जुड़े हैं सारी हकीकत सामने आ जाएगी। परन्तु ऐसा करने की हिम्मत न दिखाए जाने से यह समस्या और भी विकराल रुप धारण करती जा रही है। नशे को लेकर लोगों का रोष उनकी बातों में साफ देखा जा सकता है और लोगों की मांग है कि पुलिस को नशा रोकने के लिए नशा करने वाले को नहीं बल्कि नशा बेचने वाले को पकडक़र सलाखों के पीछे डालना होगा, तभी इस इलाके में सुधार की आशा की जा सकती है।

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