शिक्षा विभाग अध्यापकों की प्रमोशन को लेकर चर्चा में

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: रिपोर्ट: गुरजीत सोनू।  गवर्नमेंट टीचर यूनियन के जिला प्रधान प्रिंसीपल अमनदीप शर्मा तथा महासचिव सुनील शर्मा रेलवे मंडी ने कहा है कि अपनी कार्यप्रणाली को लेकर चर्चा में रहने वाला शिक्षा विभाग एक बार फिर अध्यापकों की प्रमोशन को लेकर चर्चा में है। विभाग ने वर्ष 2008, 2012 और 2016 में मास्टर वर्ग से लेक्चरर पदोन्नत किए अध्यापकों की सूची को पुन: जांच करके स्कूलों में भेजा है। जिसके अनुसार कई लेक्चरर पर रिवर्ट होने की तलवार लटक गई है। उन्होंने कहा कि देखा जाए तो जो अध्यापक 2008, 2012 अथवा 2016 में पदोन्नत किए गए थे। उन्होंने अपने केस जबरदस्ती विभाग को नहीं भेजे थे। विभाग की समय-समय पर वरिष्ठता लिस्ट बदलती रही है। तब विभाग ने उन्हें योग्य समझकर पदोन्नत कर दिया। लेकिन जब कुछ अध्यापक वरिष्ठता सूची को लेकर कोर्ट में चले गए तो कोर्ट के आदेश पर विभाग ने फिर से सूची को तैयार किया। यह सूची पिछले लंबे समय से ऊपर नीचे होती रही है।

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प्रिंसिपल अमरदीप शर्मा तथा सुनील कुमार ने कहा कि विभाग ने अब कुछ अध्यापकों को यह कहकर परेशानी में डाल दिया गया है कि उनका प्रमोशन का केस नहीं बनता था। अब सवाल यह पैदा होता है कि अगर उन अध्यापकों का केस नहीं बनता था तो उनको पदोन्नत करने वाले क्या अपनी जिम्मेदारी से बच सकते हैं। उन अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए जिन्होंने इन अध्यापकों की भावनाओं से खिलवाड़ किया है। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को पदोन्नत करके बाद में उसे यह कह देना कि उनका केस नहीं बनता था तथा उसे रिवर्ट होने का एक तरह से आदेश जारी कर देना कहां तक जायज ठहराया जा सकता है।

अब एक प्रकार से विभाग ने अध्यापकों को अध्यापकों से ही आपस में लड़ा दिया है। जो अध्यापक नई सूची में पदोन्नत किए गए हैं जो पहले रह गए थे उनके लिए तो नई सूची सब कुछ है क्योंकि इसमें उनकी पदोन्नति हुई है, लेकिन जो अध्यापक इसमें रिवर्ट किए जा रहे उनका तो भविष्य ही अंधकार में हो गया है। शिक्षा विभाग का एक फंडा साफ है कि अधिकारी अगर गलती करे तो उसे नजरअंदाज किया जाता है। लेकिन उसका खामियाजा अध्यापकों को भुगतना पड़ता है। जो अध्यापक रिवरट होंगे उनका समाज में क्या रुतबा जाएगा। उन्होंने कहा कि वरिष्ठता सूची को ठीक करना तो जायज है, लेकिन इसके लिए कई साल पहले पदोन्नत किया गया अध्यापकों की प्रमोशन पर तलवार लटकाना सरासर गलत है ।

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