मोनिका आत्महत्या मामले में कालेज प्रशासन किसी को नहीं बचा रहा: प्रिं. डा. अनिल चौहान

हमीरपुर(द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: रजनीश शर्मा। डा. राधाकृष्णन राजकीय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल हमीरपुर की कार्यप्रणाली से नाखुश मृतक नर्स मोनिका के परिजन और लोग अभी भी गुस्सा हैं। आरोप हैं कि नर्स की मौत के 48 घंटे बीत जाने तथा अंतिम संस्कार के बाद भी अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने अपने स्तर पर कोई जांच शुरू नहीं की है न ही अभी तक कोई जांच कमेटी का गठन किया। अस्पताल प्रशासन अभी तक लिखित शिकायत का इंतजार कर रहा है। विभिन्न संगठनों के अनुसार मेडिकल कॉलेज प्रबंधन और प्रधानाचार्य के उदासीन और गैरजिम्मेदाराना रवैये को देखकर लगता है कि कॉलेज में अन्य स्टाफ भी दबाव में कार्य कर रहा है।

Advertisements

हालाँकि पुलिस ने इस सम्बंध में एफ़आईआर नम्बर 200/2019 आईपीसी की धारा 306 के तहत 4 अक्तूबर को दर्ज कर ली है। कुछ वार्ड सिस्टर व स्टाफ़ नर्स को पूछताछ के लिए शनिवार 5 अक्तूबर को पुलिस स्टेशन बुलाया लेकिन विभागीय स्तर पर कार्यवाही का मृतक मोनिका के अभी परिजन अभी इंतज़ार कर रहे हैं । इन सब आरोपों के बीच हमारे हमीरपुर ब्यूरो प्रमुख रजनीश शर्मा ने मैडिकल कालेज हमीरपुर के प्रिंसिपल डा. अनिल चौहान से सीधी बातचीत की। प्रस्तुत हैं कुछ अंश-

प्रश्न: घुटन, दबाव एवं अपमान के बीच मैडिकल कालेज अस्पताल की एक महिला कर्मचारी की आत्महत्या के मामले को आप कैसे लेते हो?

डा. चौहान: यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। महिला कर्मचारी को ऐसा कठोर निर्णय नहीं लेना चाहिए था। दु:ख की घड़ी में हम परिवार के साथ हैं।

प्रश्न: अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज प्रशासन की कार्यप्रणाली से परिजन एवं लोग बहुत नाराज हैं। क्या कहना चाहेंगे?

डा. चौहान: यह घटना बहुत ही दुखद है। अस्पताल एवं मेडिकल कालेज प्रशासन के पास सीनियर द्वारा जूनियर स्टाफ़ की प्रताडऩा की कभी लिखित या मौखिक शिकायत नहीं आई।

प्रश्न: मोनिका द्वारा लिखे सुसाईड नोट में जो आरोप लगे हैं, क्या आपने उन आरोपों पर विभागीय जाँच बैठा दी? अगर नहीं तो क्यों नहीं?

डा. चौहान: मेडिकल कालेज प्रशासन इस बारे में पहले शिकायत का इंतज़ार करता रहा। अब घटना के बाद स्वयं संज्ञान लेते हुए प्रशासन विभागीय जाँच शुरू कर रहा है। इसके लिए कमेटी का गठन किया जा रहा है।

प्रश्न: भविष्य में प्रताडऩा से किसी स्टाफ़ कर्मचारी को आत्महत्या के लिए मजबूर न होना पड़े, मेडिकल कालेज प्रशासन इस बारे क्या निर्णय लिया है।

डा. चौहान: आगामी कुछ दिनों में स्टाफ़ की मनोचिकित्सक से रेग्युलर काउंसिलिंग करवाई जाएगी ताकि इनकी मनोदशा को समझा जा सके और स्टाफ़ की मानसिक स्थिति स्टेबल रहे।

प्रश्न: क्या स्टाफ़ काम के बोझ तले मानसिक रूप से परेशान हैं। क्या कम स्टाफ़ पर निगरानी करने वाले ज़्यादा हैं?

डा. चौहान: नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है। पिछले दो तीन माह से पैरामेडिकल स्टाफ़ में कऱीब 140 से 150 नर्सिज़ , 40 वार्ड ब्याय और कऱीब डेढ़ दर्जन अतिरिक्त फार्मासिस्ट नियुक्त हुए हैं। हर माह की सात तारीख़ को मीटिंग कर प्रिंसिपल की अध्यक्षता में स्टाफ़ की शिकायतें एवं समस्ययाएँ सुनी जाती हैं। इन बैठकों में कभी घुटन, प्रताडऩा या दबाव को लेकर कोई शिकायत नहीं आई।यह कहना भी ग़लत है कि पाँच लोगों के काम को देखने के लिए 15 लोग तैनात कर दिए गये हैं।

प्रश्न: इस मामले में पुलिस अपने स्तर पर पूछताछ कर रही है। क्या कहना चाहेंगे?

डा. चौहान: मेडिकल कालेज प्रशासन पुलिस व क़ानून की पूरी मदद कर रहा है। जो भी रिकार्ड पुलिस जाँच में जरूरी है उपलब्ध करवाया जा रहा है। विभागीय एवं क़ानूनी तौर पर किसी को भी बचाने की कोशिश नहीं की जा रही है। पूछताछ में हमारा स्टाफ़ बराबर शामिल हो रहा है। क़ानून अपना काम निष्पक्षता से कर रहा है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here