एक बार फिर से रेत की मांडवाली से मालामाल हो रहे होशियारपुर के एक पुलिस अधिकारी और उनके दो अनमोल रत्नों की चर्चा जोरों पर है। इससे पहले एक तीन तारा थानेदार की चर्चा से माहौल गर्माहट भरा रहा और अब तीन तारों के साथ एक फीती लगे अधिकारी और उनके दो रत्नों की चर्चा जोर पकड़ रही है। सुना है ये थानेदार भी कभी इस अधिकारी के साथ काम कर चुका है। साहिब और उनके दो अनमोल रत्न इतने शातिराना तरीके से मालामाल हो रहे हैं कि वैध और अवैध दोनों तरह से काम करने वाले इनकी हाजिरी भरना नहीं भूलते। ईमानदारी और मेहनती कर्मी होने का मुखौटा पहने ऐसे कई कर्मचारी हैं जो ऊपर तक देना पड़ता है की आड़ में अपनी तीजोरियां भरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे।
-लालाजी स्टैलर की चुटकी-
जिनकी जांच के लिए लगता है पुलिस विभाग को एक ऐसा सैल बनाने की जरुरत है जो इन पर तीसरी आंख लगाकर नजऱ रख सके। अन्यथा करेंगे ऐसे और बदनामी बड़े अधिकारियों के गले पड़ती रहेगी। इससे पहले हमने आपको एक ऐसे दरोगा की चर्चा से वाकिफ करवाया था जिसने रेत से मालामाल होने के साथ-साथ किसी और ही अधिकारी के नाम पर खूब माल बटौरा और बदनामी उसके सिर का सेहरा बना डाली। यह तो शुक्र रहा एक फोन का कि सारा राज खुल गया, वर्ना अभी तक न जाने कितने और उनकी भूख की भेंट चढ़ जाते। खैर जो करेगा वो भरेगा, लेकिन अब हम बात कर रहे हैं एक विशेष अधिकारी की और उसके दो अनमोल रत्नों जोकि खनन माफिया से सांठ-गांठ करने-करवाने में इतने माहिर हो चुके हैं कि साहिब को उनके सिवाये किसी और पर भरोसा ही नहीं। उनके आशीर्वाद से खनन माफिया के हौंसले इतने बुलंद हैं कि वैध काम करने वाले चो व खड्ड में जाने से खौफ खाने लगे हैं। वैसे भी अधिकतर खड्डों से रेत निकालने पर रोक के चलते अधिकतर कार्य 2 नंबर या हिमाचल से रेत मंगवाकर यहां डंप करके उसकी आड़ में चलाया जा रहा है तथा इसी आड़ में और आला अधिकारियों के नाम पर वसूली करके कुछेक कर्मचारी खूब मालामाल हो रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो साहिब और उनके अनमोल रत्न एक ऐसी ब्रांच में कार्यरत हैं जिसका पब्लिक के साथ सीधा संपर्क न होने के कारण कुछ विशेष ड्यूटियां उन्हें सौंपी गई हैं। विभागीय सूत्रों की मानें तो साहिब की राजनीतिक व अधिकारिक पहुंच इतनी मजबूत है कि उसके दम पर वे लंबे समय से यहां बने हुए हैं। अब पहुंच है तो उसका लाभ उन्हें मिलना भी तय है। वैसे भी एक ही स्थान पर बने रहने से व्यक्ति सभी जगहों का भेदी हो जाता है तथा दूध से दहीं तथा दहीं से मक्खन कैसे निकाला जाता है की जांच उसे भलीभांति आ ही जाती है। आला अधिकारियों को भी पहुंचाना पड़ता है तथा अधिकारी सख्त हो तो ऐसे लोगों के लिए वे सख्ती भी राम बाण का काम कर जाती है। क्योंकि, आला अधिकारी के सख्त रवैये का हवाला देकर वसूली में खुद-ब-खुद बढ़ोतरी हो जाती है और हो भी क्यों न जब अनमोल रत्न साहिब का इशारा समझते हों। वैसे भी पुलिस के दांव-पेच में फंसने से मेरे जैसा साधारण व्यक्ति तो बहुत डरता है, अब उनकी बात और है. . क्योंकि, जब माया का जाल ही बिछा दिया तो फिर डर कैसा। विभाग के अधिकतर कर्मी इस बारे में काफी कुछ जानते हुए भी चुप्प रहने में भलाई समझे हुए हैं। क्योंकि, कल को अगर उसी अधिकारी के साथ काम करना पड़ गया तो…।
कहते हैं न कम कहूं को ज्यादा समझना व कम लिखे को ज्यादा पढऩा। अब आप समझ ही गए होंगे कि यह कौन से अधिकारी और उनके दो अनमोल रत्न हैं जो उच्चाधिकारियों के नाम पर और साहिब की सख्ती का हवाला देकर अपनी तिजोरियां भरने का काम कर रहे हैं। अब कई बार लोग नाम पूछने लग जाते हैं, भाई चोर की दाड़ी में तिनका, नाम खुब-ब-खुद सामने आ जाते हैं, थोड़ा इंतजार का भी मजा लीजिये… मुझे दें इजाजत फिर मिलते हैं किसी नई चर्चा के साथ। जय राम जी की।