मोगा (द स्टैलर न्यूज़)। मोगा के शहीदी पार्क मे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तरफ से नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के समर्थन मे एक सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर शोधित कानून के बारे मे जानकारी देते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रामगोपाल ने बताया कि यह कानून क्या है, किसके लिए है ओर क्यों जरूरी है?
उन्होंने बताया कि यह कानून उन हिन्दू, सिख, बोद्ध, जैन और इसाईयों के लिए है जो कि पाकिस्तान, बगंलादेश ओर अफगानिस्तान में धार्मिक और सामाजिक अत्याचार से पीडित हैं, तथा भारत की नागरिकता के लिए आवेदन करते हैं।
उन्होंने बताया कि इन देशों का निर्माण धर्म के आधार पर हुआ था। इसलिए भारत के सविंधान में इन देशों मे रह रहे गैर मुस्लिमों के लिए अधिकार सुरक्षित रखे गये थे। सबसे पहले 1950 में नेहरू-लियाकत समझौता इसी आधार पर हुआ था कि दोनों देश अपने-अपने देश में रह रहे अल्पसंख्यकों की धार्मिक और सामाजिक आजादी की सुरक्षा निश्चित करेंगे। भारत ने इस समझौते का पालन किया जिसके कारण आज भारत में मुसलमान राष्ट्रपति, राज्यपाल मुख्यमंत्री तथा अन्य सरकारी सेवाओं में है। उनकी आबादी 3 प्रतिशत से बढक़र 20 प्रतिशत के पास पहुंच गई है।
दूसरी तरफ पाकिस्तान ने इसके विपरीत व्यवहार किया और अपने देश के अल्पसंख्यकों के धार्मिक व सामाजिक अधिकार छीन लिए, जिसके कारण पिछले 70 सालों में उनका जीवन नर्क समान हो गया है। उनकी आबादी भी लगभग 23 प्रतिशत से घटकर 2 प्रतिशत रह गई है, इतनी बड़ी आबादी को या तो मार दिया गया है अथवा उन्हें जबरन मुस्लिम बना दिया गया है। अपने देश की पिछली सरकारों द्वारा पिछले 70 सालों से इन अत्याचारों के बारे में पाकिस्तान को बार-बार याद करवाया है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी इस बारे में पाकिस्तान को कई बार चेताया है।
भारत की पिछली सरकारों ने इन पीडि़त प्रवासियों के लिए कई कानून बनाए थे। उसी में से एक कानून में मौजूदा सरकार द्वारा संशोधन किया गया है जिससे नागरिकता लेने के लिए समय सीमा 11 साल से घटाकर 5 साल कर दी गई है। सभा ने एक मत से सरकार को इस नेक काम के लिए बधाई दी तथा आशा व्यक्त की कि इस कानून के लागू होने से भारत को अपनी जन्मभूमि और पुण्यभूमि मानने वाले हमारे प्रवासी भाई अपने देश के नागरिक बन सुखद जीवन व्यतीत कर सकेंगे। इस सभा के दौरान कमेटी सदस्यों सहित अन्य सैकड़ों गणमान्य भी उपस्थित थे।