हाल-ए-आर.टी.ओ. कार्यालय: लाइसेंस के लिए कभी इस दर तो कभी उस दर भटक रहा “विजय”

हरियाना (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: प्रीति पराशर। एक तरफ तो सरकार द्वारा जनता को सरकारी सेवाएं समय पर देने के निर्देश जारी किए गए हैं तो दूसरी तरफ अफसरशाही का रवैया सरकार के निर्देशों पर अमल करना जरुरी नहीं समझ रहा। जिसके चलते लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार के निर्देशों के बावजूद सरकार का यातायात विभाग तय समय सीमा में लोगों को सेवाएं प्रदान करने में नाकाम साबित हो रहा है। एक तरफ जहां इस विभाग में एजेंटशाही का बोलबाले संबंधी आए दिन समाचारपत्रों में सुर्खियां रहती हैं वहीं ताजा मामले में लंबे समय से लाइसेंस लेने के लिए यातायात विभाग के एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय चक्कर मार रहे विजय को अभी तक लाइसेंस नहीं मिला। विजय का मानना है कि शायद उसे लाइसेंस इसलिए भी नहीं दिया जा रहा कि उसने अपनी फाइल किसी एजेंट के माध्यम से जमा नहीं करवाई थी। इतना ही नहीं जिले के सबसे बड़े अधिकारी आर.टी.ओ के ध्यान में लाए जाने के बावजूद उसकी समस्या का समाधान नहीं किया गया। जिससे इस विभाग में फैले कथित भ्रष्टाचार का पता चलता है।

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बेरोजगार गरीब युवक विजय कुमार सैनी पुत्र जसविंदर सिंह निवासी हरियाना द्वारा करीब 3 महीने पहले आर.टी.ओ. कार्यालय में अपना लाइसैंस अप्लाई किया गया था। युवक ने बताया कि वह अपना लाइसेंस प्राप्त करने के लिए करीब 3 माह से मिनी सचिवालय स्थित आर.टी.ओ. कार्यालय तो कभी टांडा रोड़ स्थित ड्राइविंग ट्रैक के चक्कर काट रहा है। उसने बताया कि वह एक गरीब परिवार से संबंधित है तथा इस ड्राइविंग लाइसेंस की प्राप्ति से वह बतौर ड्राइवर कोई काम शुरू करना चाहता था। लेकिन, आर.टी.ए. कार्यालय द्वारा उसके काम को टाल मटोल किया जा रहा है। उसने बताया कि उसे समझ नहीं आ रहा है कि अब वह करे तो क्या करे। क्योंकि, अगर उसकी समस्या का हल आर.टी.ओ. को बताए जाने के बावजूद भी नहीं हुआ तो फिर उसकी सुनवाई कौन करेगा?

उल्लेखनीय है कि आर.टी.ओ. कार्यालय के गौरखधंधे का शिकार हुए विजय ने बताया कि उसने अपने ड्राइविंग लाइसेंस के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था तथा लाइसेंस लेने के लिए अपनी एप्लीकेशन सितंबर माह में आर.टी.ओ. करन सिंह को कार्यालय में उपस्थित होकर मार्क करवाकर आर.टी.ओ. आफिस के टांडा रोड स्थित ट्रैक में जमा करवाई थी। अधिकारी द्वारा फाइल जयराम नामक कर्मचारी को मार्क की गई थी। फाइल जमा करवाने के बाद अन्य औपचारिकताएं पूरी करने पर उसे कभी आर.टी.ओ. कार्यालय तो कभी टांडा रोड़ स्थित ड्राइविंग ट्रैक पर जयराम से मिलने हेतु चक्कर पे चक्कर लगाने को मजबूर होना पड़ रहा है। लेकिन जयराम कार्यालय में मिलते ही नहीं। वहां मौजूद अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा कहा जाता कि उनका लाइसेंस मिनी सचिवालय आर.टी.ओ. आफिस से मिल जाएगा तो वहां पहुंचकर उन्हें फिर ट्रैक पर भेज दिया जाता कि आप जयराम से जाकर मिलें। अपने समस्या को लेकर परेशान युवक 2 बार आर.टी.ओ. करन सिंह के समक्ष उपस्थित हुआ और उसने अपनी समस्या उन्हें बताई।

इसके बाद फिर से उसे जयराम से मिलने को कहा गया। विजय ने कहा कि उसे आजतक न तो जयराम जी मिले और न ही उनका लाइसेंस मिला है। जिस कारण वह बहुत परेशान हो चुका है। उसने बताया कि वह बेरोजगार है और अगर उसे लाइसेंस मिल जाता है तो वह कम से कम ड्राइविंग से जुड़ा कोई रोजगार देख पाएगा। इसके अलावा रोज-रोज होशियारपुर आने-जाने का खर्च करना उसके लिए परेशानी बना हुआ है। क्योंकि, उसके पास इतने पैसे भी नहीं कि वह यहां पहुंच सके। विजय ने बताया कि उसके बाद जिन लोगों ने एजेंट के माध्यम से अप्लाई किया हुआ था उन कई लोगों को लाइसेंस मिल चुके हैं, जबकि उसे चक्कर पे चक्कर लगाने को मजबूर किया जा रहा है। उसे पता होता कि अगर लाइसेंस के लिए उसके इतने चक्कर लगवाए जाएंगे तो वह भी किसी तरह से चंद रुपयों का जुगाड़ करके किसी एजेंट के माध्यम से अपनी फाइल जमा करवा देते और अब तक लाइसेंस उनकी जेब में होता।

इस संबंधी बात करने हेतु बार-बार संपर्क करने पर आर.टी.ओ. करण सिंह से बात नहीं हो पाई व उन्होंने फोन नहीं उठाया।

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