आज नारी की भी वही दशा, जो आज के समय गंगा और गाय की : साध्वी रुक्मणी भारती

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: गुरजीत सोनू। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्धारा गौतम नगर होशियारपुर में बेटियों की लोहड़ी बड़ी धूमधाम से मनाई गई। इस मौके पर साध्वी सुश्री रूक्मणी भारती जी ने भ्रूण हत्या के प्रति जागरुकता से परिपूर्ण संदेश दिया कि भारत वह देश है,जिसके तिरंगे के आंचल तले सदियों से नन्हीं-नन्हीं कंजकाओं की पूजा होती रही है। जिसके ऊँचे चरित्र ने बेटी श4द पर अपनी सारी ममता,सारी संवेदना,सारी सदाकत न्योछावर की है। पर आज लगता है,उसका यह वंश श्रापित हो चला है। उसके आँगन की शोभा, प्यारी बेटियां कही खोती जा रही है। एक नन्ही सी जान को छुरी-चाकुओ से कटवाकर अस्पताल की नालीयों में कीचड़ की तरह बहा देना यह कैसी राक्षसी मानवता है।

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सिर्फ एक-डेढ़ महीने की गर्भस्थ बच्ची में दिल धडक़न,नाजुक नसों में रक्त दौडऩे,दिमागी तंत्रिकायों का पूरा जाल बिछाने लगता है। उसके अंग-अंग में जीवन थिरक उठता है। ऐसे अधपके, परंतु जीवित भ्रूण को मारना एक दण्डनीय अपराध है-कानूनन व मानवीय दृष्टिकोणों से। महिलाओं को अपने दृष्टिकोण में बदलाव लाने का आहवान करते हुए कहा कि उन्हें अब आँचल में दूध और आंखों वाली अबला की छवि तोडक़र जीजाबाई और झांसी की रानी वाली सबला की छवि बनाने की जरुरत है। हमारे देश में गायत्री मंत्र को भारत माता का मंत्र माना जाता है जबकि गाय को भारत का मन और गंगा को प्राण माना जाता है।

ये सभी माँ के रूप में पूजनीय है। इसलिए हमारे देश में नारियों का सम्मान सबसे बढकर रहा है। लेकिन आज नारियों की भी वही दशा हो गई है जो गंगा और गाय की हो गई है। उन्होंने कहा कि जैसे गंगा की अविरल और निर्मलता के लिए जो प्रयास हो रहे हैं वैसे ही नारियों के सम्मान को बनाए रखने के लिए प्रयास करने होंगे। पहले देश की नारी का चित्रण अबला तेरी यही कहानी आंचल में है दूध और आंखों में पानी का होता आया है लेकिन अब समय बदल गया है। अब नारी को जीजाबाई या फिर झांसी की रानी बनना है।

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