हमीरपुर (द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: रजनीश शर्मा। फरवरी 2019 के हिमाचल के बजट में सी.एम. जयराम ठाकुर ने परम्परागत दस्तकारों के लिए मुख्यमंत्री दस्तकार सहायता योजना की घोषणा की। यह योजना अब धरातल पर लागू हो चुकी है और दस्तकार इस योजना का लाभ भी उठा रहे हैं इसके तहत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले दस्तकारों को 30 हजार रुपये तक की कीमत के औजार 75 प्रतिशत अनुदान पर प्रदान किए जा रहे हैं।
परम्परागत दस्तकारों को आत्मनिर्भर बना रही है मुख्यमंत्री दस्तकार प्रोत्साहन योजना: सी.एम. ठाकुर
हमीरपुर जिले में भी हस्तशिल्प कला को प्रोत्साहित करने व गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले दस्तकारों को राज्य की मुख्यधारा में शामिल करने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार द्वारा मुख्यमंत्री दस्तकार योजना लागू की गयी है। इस योजना में विभिन्न परम्परागत कलाओं से जुड़े गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले हिमाचली दस्तकारों के लिए वित्तीय सहायता का प्रावधान किया गया है। योजना के अंतर्गत आर्थिक रूप से कमजोर परम्परागत दस्तकारों को 30 हजार रुपए तक की कीमत के नए उपकरण अथवा औजार खरीदने पर 75 प्रतिशत का अनुदान दिया जाएगा। योजना के लिए प्रदेश सरकार द्वारा 50 लाख रुपए का बजट प्रावधान किया गया है।
इन कलाओं से जुड़े दस्तकार होंगे पात्र
मुख्यमंत्री दस्तकार प्रोत्साहन योजना के लिए काष्ठ कला, धातु कला, मूर्ति कला, चंबा रुमाल, काँगड़ा पेंटिंग, मीनिएचर आर्ट, थांगका पेंटिंग, हथकरघा पर बुनाई, गलीचा बुनाई, पारम्परिक आभूषण इत्यादि पात्र कलाएं हैं। गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले ऐसे हिमाचली दस्तकार परिवार तथा उनके सदस्य जो इन कलाओं से जुड़े हैं, इसका लाभ उठा सकते हैं। पात्र दस्तकार निर्धारित प्रपत्र पर अपना आवेदन खंड प्रसार अधिकारी (उद्योग) या खंड विकास अधिकारी के माध्यम से महाप्रबंधक, जिला उद्योग केंद्र के कार्यालय में प्रेषित कर सकते हैं।
खंड प्रसार अधिकारी (उद्योग) से करें सम्पर्क
आवेदक को अपने आवेदन के साथ उपकरणों अथवा औजारों का जी.एस.टी. सहित बिल तथा बीपीएल प्रमाण पत्र भी संलग्न करना होगा। अधिक जानकारी के लिए आवेदक खंड प्रसार अधिकारी (उद्योग) कार्यालय, खंड विकास अधिकारी या जिला उद्योग केंद्र में महाप्रबंधक अथवा परियोजना प्रबंधक से संपर्क सकते हैं।
इस बारे में विजय चौधरी, महा प्रबंधक, जिला उद्योग केंद्र, हमीरपुर ने बताया कि प्रदेश सरकार के इन अभिनव प्रयासों से न केवल परम्परागत दस्तकारों को आर्थिक तौर पर संबल मिल रहा है, अपितु युवाओं में उद्यमशीलता भी बढ़ी है और वे स्वरोजगार व स्वावलंबन की दिशा में अग्रसर हो रहे हैं।