बधाई हो! आपका ईनाम लगा है, बैंक डिलेट बताएं, यह कहकर साईबर ठगी करने वाले गिरोह के 4 धरे, अन्य की तलाश जारी

हमीरपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: रजनीश शर्मा। हमीरपुर पुलिस ने चार शातिर साईबर अपराधियों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है। पुलिस द्वारा की गई कार्यवाही में हैदराबाद पुलिस का भी काफी अहम रोल रहा। पुलिस अधीक्षक हमीरपुर अर्जित सेन ठाकुर ने बताया कि एक गिरोह के कई लोग साईबर ठग अपराध में लिप्त थे, जिसके चार सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया हैं। उन्होंने कहा कि पूछताछ में आरोपियों ने कई खुलासे किए हैं। गिरोह में शामिल और लोगों की धरपकड़ के लिए भी कार्यवाही को अलम में लाया जा रहा है ताकि और लोग इनकी ठगी का शिकार न हों।

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पकड़े गए ठगों से पुलिस द्वारा अब तक 11 मोबाइल फोन, 2 लैपटॉप, 2 पैन कार्ड, एक एप्सन कलर प्रिंटर, एक स्कॉर्पियो वाहन आदि को जब्त किया गया है। पुलिस अधिक्षक ने बताया कि इन लोगों द्वारा एक नये तरीके से साईबर अपराध का अंजाम दिया रहा था। उन्होंने कहा कि गूगल द्वारा लोगों को एक फेक लिंक भेजकर अंजान लोगों को फँसाते हैं और उनके बैंक खाते और ए.टी.एम. डेबिट कार्ड की गुप्त जानकारी ले कर ऑनलाइन खरीदारी और पैसे ट्रांसफर कर लेते थे। इस गिरोह से जुड़े और लोगों को भी गिरफ्तार किया जाएगा।

प्राप्त जानकारी अनुसार हमीरपुर जिला के बड़सर थाना में ऑन लाइन ठगी की एक शिकायत पर 2019 में एफ़आईआर (106/ 2019) दर्ज हुई थी। इस मामले की गहनता से जाँच शुरू हुई तो पुलिस ने चार आरोपी ठगों संदीप उर्फ आर्यन, माणिकचंद, तौसीफ अहमद और विकास कुमार को गिरफ़्तार किया। ये चारों शातिर लोगों को ठगने में माहिर निकले। पुलिस ने 2 फऱवरी को संदीप उर्फ आर्यन पुत्र अर्जुन पासवान गाँव कबीरपुरा डाकघर लाल बीघा पुलिस थाना शेखुपुरा सराय जिला शेखूपुरा (बिहार) और मानिक चंद पुत्र राजाराम पासवान गांव मीर बीघा बरसालीन गंज जिला नवादा (बिहार) को को गिरफ़्तार किया।

संदीप और माणिक चंद नाम के दो लोगों को पहले हैदराबाद पुलिस ने गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के दौरान हैदराबाद पुलिस द्वारा उनसे 11 मोबाइल फोन, 2 लैपटॉप, 2 पैन कार्ड, एक एप्सन कलर प्रिंटर, एक स्कॉर्पियो वाहन आदि को जब्त किया गया है। पुलिस द्वारा पूछताछ दौरान संदीप ने बताया था कि तौसीफ अहमद को वेब साइट्स Flipkartwinprize.in तैयार करने के लिये कहा था। जिसने आगे विकस कुमार को इन वेब साइटों को तैयार करने के लिए कहा। विकास कुमार ने संदीप के लिए 23 फर्जी वेब साइट तैयार की हैं और उनका इस्तेमाल शिकार फांसने के लिए किया यानि कि लोगों को ठगी का शिकार बनाने के लिए किया।

पकड़े गए आरोपी इतने शातिराना तरीके से लोगों को फंसाते थे कि ङोले-भोले लोग इनकी बातों में आकर अपना नुकसान कर बैठते। पुलिस से मिली जानकारी अनुसार ये शातिर आरोपी ई-कॉमर्स कंपनियों जैसे स्नैपडील, फ्लिपकार्ट, अमेजन होमशॉप- 18, नापतोल, यूनीग्लोब, क्लब फैक्ट्री, शॉप क्लूज आदि के ग्राहकों का डाटा बेस हासिल करते थे। इन्होंने टोल फ्री नंबर सर्विस और बल्क एस.एम.एस. सेवाओं की खरीद की और ई-कॉमर्स कंपनियों के ग्राहकों को नियमित रुप से कॉल किया करते थे। सबसे पहले यह ग्राहक को बल्क एस.एम.एस. भेजते थे और एस.एम.एस. में उल्लेख किया करते थे कि आपने टाटा सफारी, टाटा नेक्सॉन कार या नकद राशि जैसे पुरस्कार जीते हैं। इसके बाद वे उसी ग्राहक को फोन करते थे और उनको उनके नाम से पुकारते थे और उन्हें एक विकल्प चुनने को भी कहते थे। जब ग्राहक पुरस्कार राशि या वाहन लेने के लिए सहमत होते थे तो उनसे कहते थे कि आप पंजीकरण शुल्क को जमा करें 5500 या 6500 और कहते थे कि वे आगे की पूछताछ के लिए बताये गये टोल फ्री नंबर का उपयोग करें। वे एस.एम.एस. और कॉल पर ग्राहक के साथ नियमित रूप से संपर्क बनाए रखते थे और जी.एस.टी., आयकर, उपहार कर आदि नाम पर उक्त आरोपी व्यक्तिगण द्वारा प्रदान किए गए बैंक खाते में जमा करवाते थे और उन्हें धोखा देते थे। इस प्रकार पूरी तरह से शातिराना ढंग से इन्होंने भोले-भाले लोगों को ठगा।

हिमाचल प्रदेश के बड़सर के सोमदत्त और उनका बेटा ईशांत भी इनके भंवरजाल में फंस गए और 14 लाख, 62 हज़ार रुपए की ठगी का शिकार हुए। आरोपी ठगों ने इन्हें धोखा देकर 14 लाख 62 हजार 300 रुपये उसी तरीका से वारदात का उपयोग करके अलग-अलग बैंकों के खातों में पैसे डलवाये। ये बैंक खाते शिव गुरु उर्फ पप्पू नाम के एक अन्य व्यक्ति द्वारा प्रदान किया गये थे। इस प्रकार यह लोग ठगे गए पैसों को आपस में बांट लिये करते थे। ये सभी शिवगुरु उर्फ पप्पू, संदीप चौधरी, विपन, और पंकज के साथ मिलकर यह सब आपराधिक धोखाधड़ी कर रहे थे। शातिर ग्राहकों के व्यक्तिगत विवरण और उनके बैंक खाते जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, पूरे खाते का विवरण, एटीएम की समाप्ति तिथि, सी.वी.वी. नंबर ए.टी.एम. कार्ड नंबर और बैंक खाते के साथ जुड़ा मोबाइल नंबर आदि हासिल करते थे और फिर इन बैंक खातों उपयोग ठगे गए पैसे को लेने के लिए उपयोग करते हैं और अकाउंट नंबर को Google Pay और Paytm के साथ जोड़ा। फिर वे इस पैसे को दूसरे बैंक अकाउंट नंबर में ट्रांसफर कर देते हैं और उस पैसे को ए.टी.एम. के माध्यम से निकाल लेते।

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