मरीज को गलत रक्त चढ़ाए जाने की घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण, सरकार उठाए विशेष कदम: डा. बग्गा

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। संक्रमित और रक्त मैच न करने वाला रक्त रोगी को चढ़ाए जाने के समाचारों से अस्पतालों में भर्ती मरीजों में काफी भय हो गया है तथा ऐसी घटनाओं से मैडीकल सेवाएं प्रदान करने वाली व्यवस्था पर भी सवालिया निशान लगना स्वभाविक है। इसलिए ऐसी घटनाओं का होना जहां दुर्भाग्यपूर्ण है वहीं मरीज की जिंदगी के साथ खिलवाड़ भी है। जिसे रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाना समय की मांग है। यह विचार पिछले 30 सालों से रक्तदान अभियान से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता डा. अजय बग्गा ने इस विषय पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि देश में ब्लड बैंकों में भंडारण, वितरण, परिवाहन और संचालन के लिए अलग कानून बनाया जाना चाहिए। डा. बग्गा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही भारत सरकार को इस तरह के कानून को लागू करने की सलाह पर विचार करने के लिए कहा है। वर्तमान समय में ड्रग्स एडं कॉस्मेटिक्स एक्ट-1940 और इसके बाद के संशोधनों के तहत रक्त चढ़ाने संबंधी सेवाओं को विनियमित किया गया है।

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डा. बग्गा ने कहा कि हमारे देश में ब्लड बैंकों की संख्या को बढ़ाए जाने की जरुरत है और सभी ब्लड बैंकों में पर्याप्त प्रशिक्षित स्टाफ होना चाहिए। उन्होंने बताया कि इस समय हमारे देश में 10 लाख की आबादी पर मात्र 3 ब्लड बैंक हैं। अस्पतालों में रक्त चढ़ाने के लिए नियुक्त किया जाने वाला स्टाफ पूरी तरह से प्रशिक्षित एवं योग्यता के अनुसार नियमों पर खरे उतारा होना चाहिए। क्योंकि, अस्पताल में रक्त चढ़ाने वाले स्टाफ को विशेष प्रषिक्षण देने की आवश्यकता होती है ताकि वे रक्त चढ़ाने दौरान उत्पन्न होने वाली प्रतिकूल प्रतिक्रिया को ठीक से संभाल सके। रक्त चढ़ाने से पहले उसकी टेस्टिंग जिसे न्यूक्लिक एसिड टेस्टिंग (एन.ए.टी.) तकनीक कहा जाता है सभी ब्लड बैंकों में अनिवार्य की जानी चाहिए। इस टैस्ट को करने वाला स्टाफ भी प्रशिक्षित होना चाहिए तथा इसके साथ ही इस टैस्ट के लिए उपयोग होने वाले उपकरणों एवं द्रवों की दर भी सस्ती की जानी चाहिए।

वर्तमान समय में हैपेटाइटिस-सी, हैपेटाइटिस-बी, एच.आी.वी. के लिए रक्त की जांच के लिए इलिज़ विधि अपनाई जाती है। एन.ए.टी. तकनीक की शुरुआत के साथ संक्रमण संचित रक्त किसी मरीज को चढ़ाए जाने की संभावना लगभग खत्म हो जाएगी, जिससे इससे जुड़ी भ्रांतियों एवं डर को भी खत्म किया जा सकेगा। डा. बग्गा ने कहा कि रोगियों को सुरक्षित एवं स्वस्थ रक्त दिया जाए, इसके लिए 100 फीसदी स्वैच्छिक रक्तदान सुनिश्चित करना आवश्यक है।

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