“रिश्तेदारी में बँटे विदेशी सेब के पौधे”, विवादों में विश्व बैंक का 1134 करोड़ का बागवानी विकास प्रोजेक्ट

हमीरपुर/चौपाल (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: रजनीश शर्मा/बालम गोगटा। हिमाचल के हजारों बागवानों के लिए विश्व बैंक की मदद से राज्य में चल रहे बागवानी विकास प्रोजेक्ट में विवाद थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। विश्व बैंक की मदद से चल रहे 1134 करोड़ के प्रोजेक्ट के तहत बागवानों को अच्छी किस्म के सेब पौधे मिलने हैं। ये सेब के पौधे उन बागवानों को मिलने हैं जो प्रोजेक्ट में बने क्लस्टरों से जुड़े हैं या फिर उनकी जमीन में सिंचाई जल उपलब्ध है। अब आरोप यह हैं कि विदेशी सेबों के पौधे सिर्फ़ रिश्तेदारी में बँट गये। हिमाचल प्रदेश किसान एवं कल्याण संघ ने इस प्रोजेक्ट को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं तथा मुख्यमंत्री से करोड़ों के इस प्रोजेक्ट की निष्पक्ष जाँच की माँग कर डाली है। उन्होंने कहा कि चौपाल क्षेत्र की इस प्रोजेक्ट में अनदेखी हो रही है। गौरतलब है कि विश्व बैंक का यह बागवानी विकास प्रोजेक्ट पहले से ही विवादों में आने के कारण बागवानों को सेब के पौधे नहीं दिए जा रहे थे। विदेशों से आयात किए सेब के पौधे बद्दी स्थित कोल्ड स्टोर में रखे गए थे। शोर मचने के बाद पौधे बाँटने का काम शुरू हुआ तो ये पौधे अधिकारियों की रिश्तेदारी में वितरित होना शुरू हो गये।

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प्रदेश किसान एवं कल्याण संघ ने लगाए गंभीर आरोप

इस बीच विश्व बैंक ने प्रोजेक्ट को लेकर सवाल उठाए और फिर जयराम ठाकुर सरकार ने प्रोजेक्ट के काम में तेजी लाने का आश्वासन दिया। इसके साथ ही क्लस्टर बनाने का काम शुरू किया गया और साथ ही प्रोजेक्ट में करीब सौ नियुक्तियां की गई। इनमें तकनीकी स्टाफ भी शामिल है।

कऱीब 1134 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट को 2016 में विश्व बैंक की मदद से शुरू किया गया था। लगभग चार साल बीतने के बावजूद इस में 10 प्रतिशत धन भी ख़र्च नहीं हो पाया है। आरोप हैं कि सेबों के जो कुछ गिने चुने पौधे न्यूज़ीलैंड से आए हैं, वे भी कुछ गिने चुने कलस्टरों में रिश्तेदारी में बाँट दिए गये। विदेशी बाग़वानी विशेषज्ञों को भी कुछ चुनिंदा कलस्टरों में ले जाएगा जबकि चौपाल जैसे सेब बहुल क्षेत्रों की अनदेखी की गई।

इस बारे में हिमाचल प्रदेश किसान एवं बागवान कल्याण संघ के प्रदेशाध्यक्ष रमेश नेगटा ने कहा है कि बाग़बानों की तक़दीर बदलने के लिए 2016 में शुरू हुआ बागवानी विकास प्रोजेक्ट-2020 में भी ग्रासरूट पर शून्य है। उन्होंने आरोप लगाया कि आयात किए गये विदेशी सेब के पौधे ज़रूरतमंद बागवानों को ना देकर प्रशासन एवं सरकार के निर्देशानुसर अपनी अपनी रिश्तेदारी में बाँट दिए गए। उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट के तहत बाग़बानों ने सेब के पुराने पौधे उखाड़ दिए लेकिन उन्हें नए पौधे भी नहीं मिले। इससे बाग़बानों को दोहरी मार सहनी पड़ रही है। नेगटा ने आरोप लगाया कि बाग़वानी मंत्रालय इस पर कोई पूछताछ नहीं कर रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री से इस मामले की गहनता से जाँच की माँग की है।

प्रोजेक्ट के मोनिटोरिंग इंचार्ज शिव कुमार ने बताया कि उद्यान विभाग के सहयोग से इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने माना कि चौपाल के मकड़ोग कलस्टर से वाटर यूजऱ एसोसिएशन के प्रधान एवं सदस्यों ने कई गम्भीर आरोप लगाए हैं।

वहीं उद्यान विभाग के विकास अधिकारी सुरेंद्र जस्टा ने बताया कि पौधे वितरण एवं ट्रेनिंग को लेकर बागवानों में असंतोष है, जिस बारे उच्चाधिकारियों को अवगत करवा दिया गया है।

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