रेखा ने बदली हाथों की रेखा, ऑटो रिक्शा चलाकर आर्थिक रूप से हो रही मजबूत

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। हिमाचल प्रदेश की बेटी रेखा ठाकुर ने पंजाब को अपनी कर्म भूमि बनाते हुए एक बेहतरीन पहल की है। 30 वर्षीय रेखा की ओर से तलवाड़ा में आटो रिक्शा चलाया जा रहा है और आज सख्त मेहनत से इसने एक और भार ढोने वाली गाड़ी भी खरीद ली है। महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देता यह प्रेरणादायक कदम साबित करता है कि किसी भी काम के लिए महिलाएं पुरुषों से कम नहीं है।

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– 30 वर्षीय रेखा ऑटो रिक्शा चला कर परिवार की आर्थिकता में डाल रही है योगदान

24 वर्ष की आयु में ही आटो रिक्शा चला रही रेखा ने जहां पिता को अपनी मेहनत से बेटा होने का गर्व महसूस करवाया, वहीं 25 वर्ष की आयु में पति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इस कार्य को जारी रखा। मायके में रहते हुए अपनी दोनों छोटी बहनों की शादी का खर्चा भी खुद उठाया और सबसे छोटे भाई के सिर पर भी हाथ रखा। अब रेखा ठाकुर जहां प्राइवेट नौकर कर रहे अपने पति के साथ परिवार चला रही है वहीं जरुरत पडऩे पर अपने छोटे भाई की पढ़ाई का खर्चा भी उठा रही है।

– रेखा की ओर से महिला सशक्तिकरण की तरफ बढ़ाया कदम प्रशंसनीय: जिलाधीश रियात

जिलाधीश अपनीत रियात ने रेखा की ओर से किए जा रहे बेहतरीन कार्य की प्रशंसा करते हुए कहा कि रेखा जैसी महिलाएं ही वास्तविकता में महिला सशक्तिकरण को परिभाषित करती है। उन्होंने कहा कि रेखा ने साबित कर दिया है कि कोई भी कार्य छोटा, बड़ा या मुश्किल नहीं होता।

– कहा, जिला प्रशासन की ओर से जरुरतमंद महिलाओं को मुहैया करवाए जा रहे हैं नि:शुल्क ई-रिक्शा

महिलाएं यदि चाहें तो हर कार्य को निपुणता के साथ कर सकती है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन की ओर से जरुरतमंद महिलाओं को ई-रिक्शा मुहैया करवाए जा रहे हैं, जिसके लिए उनको नि:शुल्क ड्राइविंग प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। इसके अलावा जिला प्रशासन की ओर से बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के अंतर्गत लड़कियों व महिलाओं को निपुण करने के लिए नि:शुल्क ड्राइविंग क्लासिज की भी शुरुआत की जा चुकी है।

गांव टैरेस की निवासी रेखा ठाकुर ने बताया कि घर की गरीबी को खत्म करने के लिए जब उसने अपने पिता से अपना ही कारोबार करने के लिए आटो रिक्शा चलाने की बात की तो, उसके पिता ने वर्ष 2014 में एक आटो रिक्शा खरीद कर दिया। उसने बताया कि जब आटो रिक्शा चलाना शुरु किया तो उसे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा क्योंकि इस क्षेत्र के लोगों में व आम जन में यह धारणा थी कि यह कार्य सिर्फ पुरु षों का है, लेकिन उसने हर परिस्थिति का डट कर मुकाबला किया। रेखा ने अपने जज्बे व जुनून से न सिर्फ अपने परिवार को संभाला, बल्कि अपनी दो छोटी बहनों का विवाह भी किया व अपने छोटे भाई की भी समय-समय पर मदद कर रही है।

रेखा ने वर्ष 2015 में विवाह करवाया व विवाह करवाने से पहले अपने पति से बात कर ली थी कि वह शादी के बाद भी ऑटो रिक्शा चलाने का कार्य करेगी, जिसमें उसके पति ने उसका पूरा साथ दिया। रेखा ने बताया कि अब उसकी एक साल की बेटी है और बेटी सहित छोटे भाई को अफसर बनाना ही उसका लक्ष्य है।

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