पिता की बीमारी का पता चलते ही मुंबई से साइकिल पर राजौरी पहुंचा आरिफ, सीआरपीएफ ने बढ़ाया मदद का हाथ

जम्मू/राजौरी(द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: अनिल भारद्वाज। इस वक्त पूरे देश में कोरोना वायरस के कारण 21 दिन का (तालाबंदी) लॉकडाउन चल रहा है। ऐसे में लोगों का घर से निकलना ट्रेन या बस से कहीं जाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है। इसी दौरान मुंबई में नौकरी कर रहा एक शख्स अपने गंभीर रूप से बीमार पिता से मिलने के लिए साइकिल पर सवार होकर जम्मू कश्मीर के सीमावर्ती जिला राजौरी के लिए चल दिया। 2100 किलोमीटर के इस सफर पर युवक के चलने की कहानी जब सीआरपीएफ को मिली तो उसने इस युवक की मदद के लिए वह कर डाला जिसकी इस युवक को सपने में भी उम्मीद नहीं थी।

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जम्मू कश्मीर में सीआरपीएफ आतंकवाद पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए लगाई गई है पर हाल ही में सीआरपीएफ ने जम्मू कश्मीर के सीमावर्ती क्षेत्र जिला राजौरी में रहने वाले एक बीमार बुजुर्ग मरीज को एयरलिफ्ट करके बड़े अस्पताल में पहुंचाया। सीआरपीएफ ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वह उस मरीज के बेटे की हेल्प करना चाहती थी, जोकि अपने बीमार पिता से मिलने के लिए मुंबई से कश्मीर के 2100 किलोमीटर लंबे सफर पर साइकिल पर ही निकल पड़ा था। लॉकडाउन के कारण उसे न कोई बस मिली न कोई ट्रेन। सोशल मीडिया द्वारा आरिफ नाम के युवक की कहानी पता चलने के बाद ही सीआरपीएफ ने फैसला किया कि युवक की मदद करेंगे। इसके बाद सीआरपीएफ मददगार की टीम ने आरिफ के साथ संपर्क बनाया और उसकी मदद करने की बड़ी पहल की।

-आरिफ के पिता को हुआ था ब्रेन हेमरेज

जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में एलओसी पर स्थित पंजग्रराई गाँव का निवासी आरिफ चौकीदार के रूप में मुंबई में काम कर रहा था। 1 अप्रैल को उन्हें पता चला कि उनके पिता को अचानक ब्रेन हेमरेज हो गया और वह गंभीर हालत में हैं। आरिफ जल्द से जल्द अपने पिता के पास पहुंचना चाहते थे, लेकिन पूरे देश में लॉकडाउन के दौरान यातायात के साधन नहीं थे। ऐसे में परेशान आरिफ 2 अप्रैल को साइकिल पर मुंबई से राजौरी के लिए रवाना हुआ। अपने पिता से मिलने के लिए 2100 कि.मी के सफर पर साइकिल से निकले इस युवक की कहानी जब सोशल मीडिया द्वारा सीआरपीएफ को मिली, उसने आरिफ की मदद करने की पहल की। फिर सीआरपीएफ मददगार की टीम ने आरिफ से संपर्क साधा और शुरु हुई मदद की कहानी।

-सीआरपीएफ की टीम ने आरिफ के पिता को गांव के घर से जीएमसी अस्पताल राजौरी पहुंचाया

जम्मू कश्मीर स्थित 72 वीं बटालियन सीआरपीएफ ने मुख्यालय से 15 मिलोमीटर दूर राजौरी में स्थित आरिफ के गांव एक टीम भेजी। इसके बाद आरिफ के बुजुर्ग पिता की जांच और इलाज सीआरपीएफ के पैनल डॉक्टर द्वारा शुरू किया गया जोकि मददगार टेलीमेडिसिन स्कीम के अंतर्गत आता है। शुरुआती जांच पड़ताल के बाद रविवार को जब डॉक्टर्स ने यह मान लिया कि मरीज को तुरंत ही अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत है। उसका सिटी स्कैन, एमआरआई के अलावा रेगुलर लेवल पर तमाम चेकअप्स की जरूरत पड़ेगी तो फिर सीआरपीएफ की टीम ने आरिफ के पिता वजीर हुसैन को राजौरी के जिला अस्पताल में भर्ती कराया जहां उनका बेहतर इलाज शुरु हुआ।

-साइकिल से 2100 कि.मी सफर पर निकले आरिफ को राजौरी पहुंचाने की सीआरपीएफ ने की व्यवस्था

इसी दौरान सीआरपीएफ मददगार के एक कॉलिंग ऑफिसर जोकि आरिफ के गांव के रहने वाले हैं, आरिफ के लगातार संपर्क बनाया। इसके बाद लोकल पुलिस ऑफिसर और ट्रक वालों की मदद से आरिफ आज सोमवार को बड़ोदरा पहुंच गया है और अहमदाबाद की ओर तरफ बढ़ रहा है। सीआरपीएफ मददगार इस संबंध में लगातार ग्रुप सेंटर सीआरपीएफ गांधीनगर से संपर्क में हैं, ताकि वो जल्द से जल्द अपने पिता से मिल सके।

सीआरपीएफ लगातार इस बीमार पिता और उसके बेटे की मदद कर रही है। तभी तो आरिफ के पिता वजीर हुसैन को बेहतर इलाज के लिए पवन हंस कंपनी के हेलीकॉप्टर द्वारा सरकारी राजकीय मेडिकल कालेज अस्पताल जम्मू रेफर कर दिया गया। लेकिन आज सोमवार शाम को सीआरपीएफ ने आरिफ के पिता को पीजीआई चंडीगढ़ पहुंचाने की व्यवस्था की वाकई इस बेटे और पिता के लिए सीआरपीएफ सबसे बड़ी मददगार साबित हुई है।

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