होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। लॉकडाउन के कारण कई वर्ग ऐसे हैं जिन्हें सबसे अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जिस प्रकार मजदूर वर्ग की समस्याओं को लेकर सरकार की प्रयास कर रही है उसी प्रकार हमारे मंदिर, मठों एवं आश्रमों के पुजारियों एवं आचार्यों की भी सुध लेना हमारी व सरकार की जिम्मेदारी है। इसलिए सरकार से अपील है कि इस वर्ग की समस्याओं के हल के लिए भी प्रयास किए जाएं। यह मांग सामाजिक संस्था नई सोच के संस्थापक अध्यक्ष अश्विनी गैंद ने केन्द्र व राज्य सरकार से की। अश्विनी गैंद ने कहा कि लॉक डाउन के कारण मंदिर, मठ एवं आश्रम भी बंद हैं तथा वहां पर श्रद्धालु नहीं जा रहे हैं।
वहां के पुजारियों, संचालकों एवं आचार्या की जीविका का सबसे बड़ा साधन उनके यजमान ही हैं और वे ही उन्हें दान दक्षिणा देकर सहयोग करते हैं ताकि वे भी अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें। लेकिन श्रद्धालुओं एवं यजमानों के धार्मिक स्थलों में न आ पाने के कारण इनके समक्ष के प्रकार की समस्याएं खड़ी हो गई हैं। सामान्य दिनों में लोग जहां धार्मिक स्थलों में आकर कुछ न कुछ दान जरुर करते हैं तथा पूजा अर्चना, हवन यज्ञ एवं कई अनुष्ठान चलते रहते हैं। जोकि इनके जीवन यापन का मुख्य साधन हैं। पर सभी मजदूर वर्ग व समाज के अन्य गरीब वर्गों की सहायता के लिए तो आगे आ रहे हैं, परन्तु बहुत कम लोग हैं जो पुजारियों एवं मठों के आचार्यों आदि की मदद कर रहे हैं। यह वो वर्ग है जो स्वाभिमानी एवं शर्म के चलते मांगने में संकोच करता है तथा खुलकर अपनी बात नहीं कहता।
अधिकतर लोग मन मार कर कष्ट तो काट लेंगे, परन्तु किसी के आगे हाथ नहीं फैलाएंगे। इसलिए समाज का फर्ज बनता है कि हम इनकी मदद के लिए आगे आएं और अपने-अपने इलाके के पुजारियों एवं आचार्यों की मदद करें ताकि वे भी पेट भर भोजन कर सकें एवं बच्चों का पोषण कर सकें। उन्होंने कहा कि सरकार को भी इसके लिए कड़े कदम उठाने चाहिए और धार्मिक स्थलों को खोलने की आज्ञा देनी चाहिए। अगर शराब के ठेके खुल सकते हैं तो फिर आखिर हमारे धार्मिक स्थल खोलने में क्या आपत्ति है। इस संबंधी भी सरकार अपना रुख साफ करे। श्री गैंद ने कहा कि मंदिर, मठों एवं आश्रमों की ही बात नहीं है बल्कि सरकार को हर समुदाय एवं वर्ग और धर्म से जुड़े धार्मिक स्थलों को खोलने की आज्ञा देनी चाहिए। उन्होंने सरकार से अपील की कि वे इस मामले पर तुरंत गौर करते हुए ठोस कदम उठाएं।