होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। 30 मार्च दिन वीरवार की नगर निगम में देरी, इंतजार और स्वागत की भेंट चढ़ी बजट संबंधी बैठक में निगम पर काबिज और विपक्ष के एक-एक पार्षद द्वारा बजट न सही 500 रुपया तो हरा हुआ की चर्चा आम क्या हुई, इसे गंभीरता से लिया जाने लगा कि अगर बैठक ही नहीं हुई तो पार्षदों को 500 कैसा। ‘द स्टैलर न्यूज़’ को इस बारे में पता चलने पर जब इस मामले को प्रमुखता के साथ उठाया गया तो कई शहर निवासियों के साथ-साथ सत्तापक्ष एवं विपक्ष के नेताओं ने इसका समर्थन कर दिया कि बात तो सही है कि जनता का पैसा बर्बाद नहीं होना चाहिए, क्यों न इस पैसे को शहर के विकास व जनता की भलाई के कार्यों पर ही लगा दिया जाए।
31 मार्च को जब बजट पास हुआ और सभी बैठक हाल से बाहर आए तो हमारे संवाददाता ने मेयर से इस बारे में बात की तो मेयर शिव सूद का कहना था कि बात तो सही है कि जब बैठक ही नहीं हुई तो पैसे कैसे, परन्तु संविधान के मुताबिक हाजिरी हो तो पैसे दिए जाते हैं। अब यह पार्षदों पर निर्भर करता है कि वह क्या करते व चाहते हैं, वे किसी को फोर्स नहीं कर सकते।दूसरी तरफ कांग्रेस के जिला प्रधान एवं पार्षद ब्रह्मशंकर जिम्पा से इस बारे में बात करने पर उन्होंने कहा कि 30 मार्च की ही क्यों इससे पहले भी जो भी बैठक बेनतीजा रही या स्थगित की गई उनके पैसे भी जनता की भलाई के लिए खर्च करने चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि हम जनता के सेवक हैं और हम यहां लोगों के काम करने के लिए बैठे हैं न कि जनता के पैसे की बर्बादी करने के लिए। इसलिए उनका तर्क है कि जिस बैठक में जनता की भलाई एवं शहर के विकास संबंधी कोई फैसला न लिया गया हो उसके पैसे न लिए जाएं, बल्कि उस दिन का समस्त पार्षदों को मिलने वाला पैसा विकास कार्यों में लगाया जाना चाहिए और वे आशा करते हैं कि इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
शहर निवासियों का कहना है कि नियम के अनुसार निगम की बैठक में उपस्थित होने वाले पार्षद को 500 रुपये दिए जाने का प्रावधान है। 50 पार्षद यानि 25 हजार रुपया एक बैठक का खर्च, चाय-पानी व अन्य खर्च अलग से। ऐसे में सवाल यह है कि जब बैठक में जनता के हित का कोई फैसला ही नहीं लिया गया तो मान भत्ता भी क्यों। भले ही संविधान में इसका प्रावधान किया गया है, परन्तु अगर सच्चे समाज सेवक होने की बात की जाए तो नैतिकता के आधार पर ही पार्षदों को सर्वसम्मति से फैसला लेना चाहिए कि अगर बैठक बेनतीजा रहे या अगले दिन के लिए टाल दी जाए तो उस दिन का पैसा विकास कार्यों में लगाकर एक नए युग का प्रारंभ व नई परंपरा का आगाज किया जाए। लोगों ने उम्मीद व्यक्त की कि शहर के समस्त पार्षद इस विषय पर गंभीरता से सोचेंगे और प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश में एक मिसाल कायम करेंगे।