गांव वाड़ा भाईका के प्राइमरी स्कूल के अध्यापक राजिंदर ने किया गौरवांवित, पाएंगे राष्ट्रीय पुरस्कार

फरीदकोट(द स्टैलर न्यूज़)। पंजाब में शिक्षा के स्तर में सुधार लाने के लिए फरीदकोट के कस्बा बाजाखाना के समीपवर्ती गांव वाड़ा भाईका के एक सरकारी प्राईमरी स्कूल में कार्यरत अध्यापक राजिंदर कुमार का राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए नामित किया गया है। उनका नाम नामित होने से जहां उनके स्कूल का नाम रोशन हुआ है वहीं वह पंजाब के एकलौते अध्यापक हैं जिन्हें इस साल राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। राजिंदर कुमार देश के अध्यापकों की दर्जाबंदी में तीसरे स्थान पर रहे हैं।

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वाड़ा भाईका गांव के सरकारी प्राईमरी स्कूल में अपनी पत्नी हरिंदर कौर के साथ सेवा निभा रहे राजिंदर कुमार ने बच्चों को गुणात्मक एवं संस्कारित शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रत्येक प्रयत्न किए हैं तथा पंजाब के करीब 450 सरकारी स्कूलों का स्तर ऊंचा उठाने के लिए कम खर्च वाली सामग्री पहुंचाई। जानकारी अनुसार अध्यापक राजिंदर कुमार को देश की उन शख्सियतों में शानदार सेवाएं निभाने के लिए चुना गया है जिन्हें 5 सितंबर को अध्यापक दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा जाना है।

गौरतलब है कि राजिंदर कुमार व उनकी पत्नी हरिंदर कौर ने एमएससी, बीएड तक की उच्च शिक्षा प्राप्त की है तथा उन्होंने वर्ष 2008 में प्राइमरी स्कूल वाड़ा भाईका में बतौर अध्यापक सरकारी सेवाएं आरंभ की थी। उस समयकाल दौरान स्कूल में 129 बच्चे व उनके अलावा 3 अध्यापक कार्यरत थे।

अपने अध्यापक होने का फर्ज निभाते हुए राजिंदर व हरिंदर कौर ने स्कूल में लंबे समय से गैरउपस्थित व स्कूल में लगातार न आने वाले बच्चों के घरों तक पहुंच करके उनके घरेलू हालातों को समझा तथा उन्हें स्कूल आने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने अपनी कक्षाओं के बच्चों को गुणात्मक शिक्षा देकर उनके अभिभावकों व गांववासियों के दिलों को प्रभावित किया। इसी के तहत उन्होंने पंजाब में सबसे पहले स्मार्ट क्लासरूम स्थापित किया। जिसके तहत वह खुद तैयार की डिजीटल सामग्री द्वारा बच्चों को प्राथमिक शिक्षा देने लगे। इसी के तहत अध्यापक दंपत्ति ने स्कूल का ढांचा बदलने का कार्य शुरू किया। उक्त दंपति द्वारा गांववासियों की स्थिति को समझते हुए मिस्त्री, प्लंबर, इलेक्ट्रीशियन, वैल्डर व लकड़ी आदि के काम करने के लिए एक टीम का गठन किया। वहीं, इन कामगारों को सामान मुहैया करवाने के लिए राजिंदर कुमार ने गांव की पंचायत, गुरूद्वारा कमेटी, क्लबों एवं दानवीरों से मदद ली तथा कार्य करवाने का सिलसिला आरंभ किया। जिसके चलते बहुत ही कम खर्च में गांव के स्कूल की दशा बदलना शुरू हो गई तथा स्कूल में बैंच, बोर्ड, कमरे, पीने का पानी, रसोईघर, शौचालय आदि बनाए गए। इन प्राथमिक सहूलतों के साथ-साथ उन्होंने गुणात्मक शिक्षा के लिए जरूरी सामग्री भी स्कूलों में कम खर्च पर उपलब्ध करवाई तथा पंजाब के करीब 450 स्कूलों तक अपना विचार पहुंचाया। इसके साथ ही स्कूल में पढऩे आने वाले विद्यार्थियों को अच्छा दिखाने के लिए वर्दी लगवाकर कोट-पैंट व टाई वाला पंजाब का पहला सरकारी स्कूल बनाया।

राजिंदर कुमार व हरिंदर कौर की तरफ से की गई इस मेहनत का परिणाम यह निकला कि वाड़ा भाईका के प्राइमरी स्कूल में आज 220 के करीब विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं तथा आस-पास के 7 गांवों से भी बच्चे स्कूल की वैन के माध्यम से इस स्कूल में पढ़ाई करने के लिए आ रहे हैं। इस संबंधी राजिंदर कुमार ने कहा कि उन्हें बच्चों की शिक्षा का स्तर ऊंचा उठाने के लिए अपनी पत्नी हरिंदर का बेहद सहयोग मिला तथा वह उनकी प्रत्येक योजना में भागीदार बनके आगे आए।

उल्लेखनीय है कि राजिंदर कुमार को पिछले वर्ष पंजाब सरकार की तरफ से स्टेट अवार्ड के साथ भी नवाजा गया था। इस संबंधी सचिव स्कूल शिक्षा कृष्ण कुमार ने राजिंदर कुमार को शुभाकामनाएँ देते हुए कहा कि अध्यापकों के लिए मार्गदर्शक बने अध्यापक दंपत्ति पर स्कूल विभाग को सदैव गर्व रहेगा। उन्होंने कहा कि वह समूह विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की तरफ से राजिंदर कुमार व उनके समस्त परिवार को बधाई देते हैं जिन्होंने अपना जीवन शिक्षा को समर्पित कर बच्चों के लिए उज्जवल भविष्य के मार्गप्रशस्त किए।

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