होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। रिपोर्ट: विशाल भारद्वाज। माता-पिता अगर बच्चें को जन्म देते हैं तो एक अध्यापक ही उसे तराशता है तथा उसेे इस समाज में उठने बैठने में समृद्ध बनाते हैं। सीखने की कोई उम्र नहीं होती, इसी वजह से जीवन के हर कदम पर हमें ऐसे गुरू की जरूरत होती है, जो हमारा मार्गदर्शन करें और हमें सच्चाई व अच्छाई के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करें। बिन गुरू हम ज्ञान प्राप्त करने की कल्पना भी नहीं कर सकते।
हर वर्ष 5 सितंबर को देश में शिक्षक दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन इस बार पूरे विश्व में कोरोना महामारी के चलते जहां त्यौहारों का रंग फिका कर दिया वहीं शिक्षा दिवस ऐसे कार्यक्रमों को भी नीरस कर दिया। इस वर्ष शिक्षण दिवस को भी कोरोना ग्रहण लगा है। जिसके कारण विद्यार्थियों द्वारा अपने घरों में रहकर ही अपने बेस्ट टीचर को फोन से ही बधाई संदेश भेजेंगे। कोरोना काल से पहले गत वर्षो में शिक्षण दिवस पर स्कूल, कालेजों में तरह तरह के कार्यक्रमों का आयोजन होता था जिसमें विद्यार्थियों द्वारा अध्यापकों को सम्मानित करने के लिए विशेष सरप्राईज आरेंज किये जाते थे। लेकिन इस बार कोरोना काल के चलते विद्यार्थियों द्वारा अध्यापकों को सोशल मीडिया और फोन के माध्यम से शनिवार को बधाई देकर शिक्षण दिवस मनाया जाएगा।
किसी की जिंदगी में शिक्षक की एक अहम भूमिका होती है। वह एक शिक्षक ही होता है, जो सबके करियर को संवारता है बल्कि जिंदगी जीने का गुर भी सिखाता है। समाज में कोई व्यक्ति भी ऐसा नहीं जिसका कोई गुरु नहीं है क्योंकि हर काम में हम अपने गुरु से ही सब कुछ सीखतें हैं।
क्यों मनाया जाता है शिक्षण दिवस
भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस पर इस दिन को मनाया जाता है। डॉ. राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को हुआ था। वहीं उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के बारे में मनाये जाने के पीछे कहा जाता है कि एक बार उनके कुछ स्टूडेंट्स ने कहा कि वह 5 सितंबर के दिन उनका जन्मदिन मनाना चाहता हैं तो, उन्होंने कहा था कि मेरा जन्मदिन अलग से मनाने के बजाए मेरा जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए तो मुझे गर्व महसूस होगा। बस इसके बाद से ही डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को 1962 से शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा था।
गत वर्षो में शिक्षण दिवस पर अलग अलग समाज सेवी संगठनों द्वारा भी प्रोग्रामों का आयोजन किया जाता रहा है जिसमें वो अपने अपने जिलें व इलाके में शिक्षा जगत में बेहतरीन सेवाएं देने वाले अध्यापकों को विशेष तौर पर सम्मानित करते हैं। समाज सेवी संगठनों के पदाधिकारियों का मानना है ऐसा करने से अध्यापकों में बच्चों को पढ़ाने की कार्यशैली बढिय़ा होती है और ऐसे अध्यापकों को देख बाकी टीचर्स भी अपनी बेहतर आऊटपुट देते है जो बच्चों के भविष्य के लिए बहुत जरूरी है।