अपूर्व चन्द्रा ने श्रम और रोजगार मंत्रालय में सचिव के रूप में संभाला कार्यभार

नई दिल्ली (द स्टैलर न्यूज़)। सिविल इंजीनियर अपूर्व चन्द्रा ने सिविल इंजीनियरी में स्नातक की उपाधि और स्ट्रक्चरल इंजीनियरी में स्नातकोत्तर उपाधि आईआईटी दिल्ली से प्राप्त की। उन्हें महाराष्ट्र सरकार और भारत सरकार में कार्य करते हुए उद्योग से संबंधित मामलों का लंबा अनुभव है। चन्द्रा ने सात वर्षों से अधिक समय तक भारत सरकार के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में कार्य किया है। उन्होंने उद्योगों की ईंधन की आपूर्ति, लॉजिस्टिक्स की आपूर्ति, ईंधन की ढुलाई, भंडारण और वितरण आदि से संबंधित नीतियां तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। वे प्राकृतिक गैस परिवहन अवसंरचना, नगर गैस वितरण कंपनियों की स्थापना करने, एलएनजी इंपोर्ट टर्मिनल स्थापित करने और उद्योगों को गैस की आपूर्ति करने जैसे महत्वपूर्ण कार्यों से सीधे जुड़े रहे हैं।

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श्री चन्द्रा ने महरत्न सार्वजनिक क्षेत्र के उपकरण, गेल (इंडिया) लिमिटेड और पैट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड के निर्देशक मंडल में कार्य किया है। श्री चन्द्रा ने अगस्त, 2011 से फरवरी 2013 तक संयुक्त सचिव, केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय, शिक्षा एवं साहित्य विद्यालय विभाग के रूप में सेवाएं दी हैं। श्री चन्द्रा ने वर्ष 2013 और 2017 के बीच चार वर्षों से अधिक समय तक महाराष्ट्र सरकार में प्रधान सचिव (उद्योग) के रूप में कार्य किया है। उस अवधि के दौरान देश में सबसे अधिक एफडीआई और अन्य निवेश महाराष्ट्र में हुए। श्री चन्द्रा ने नए निवेश आकर्षित करने के लिए कई नई नीतियों जैसे इलैट्रॉनिक नीति, खुदरा नीति, सिंगल विंडो नीति आरंभ करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। श्री चन्द्रा के ने‎तृत्व में ही महाराष्ट्र में औरंगाबाद में दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर (डीएमआईसी) के अंतर्गत पहला स्मार्ट इंडस्ट्रियल टॉउनशिप ने कार्य करना आरंभ किया। एमएसएमई के लिए 70 से अधिक क्लस्टर्स को कार्यशील किया गया है ताकि सामान्य सुविधा केंद्रों के माध्यम से आधुनिक प्रौद्योगिकी उपलब्ध हो सके।

श्री चन्द्रा के कार्यकाल के दौरान अग्रणी औद्योगिक कंपनियों जैसे जेनरल इलैक्ट्रिक, जेनरल मोटर्स, फॉलक्सवेगन, मर्सीडीज, फियेटक्रिशलर, महिन्द्रा, पोस्को, इमर्सन, एलजी, हैयर आदि ने महाराष्ट्र में निवेश किया है। अपूर्व चन्द्रा ने 01.12.2017 को रक्षा मंत्रालय में महानिदेशक (अधिग्रहण) के पद पर कार्यभार ग्रहण किया जिसमें उन्हें अधिग्रहण प्रक्रिया में तेजी लाकर भारतीय सैन्यबलों को सुदृढ़ बनाने का दायित्व सौंपा गया तथा नई रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया का प्रारूप तैयार करने वाली समिति के अध्यक्ष रहे। डीएपी 2020, 01 अक्टूबर, 2020 से लागू हुआ है और इससे सैन्यबलों के लिए खरीद में तेजी आने के साथ-साथ आत्म-निर्भर भारत को बढ़ावा देने में काफी सहायता मिलेगी।

 

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