पीएचई के अस्थाई कर्मियों ने मांगों संबंधी किया धरना प्रदर्शन

राजौरी (द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: अनिल भारद्वाज। जिला राजौरी व पुंछ में पिछले एक सप्ताह से लगातार अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे पीएचई अस्थाई कर्मियों का प्रदर्शन लगातार जारी है व कर्मचारियों ने कहा कि शासन-प्रशासन हम गरीब लोगों का मजाक उड़ा रहा है। वेतन नहीं मिलने से घर की गुजर बसर करना मुश्किल हो गया है। सरकार हमसे किस युग का बदला ले रही है। इस महामारी के दोरान अधिकारी वीआईपी गाडियों में घूम रहे है और हम लोग इस महामारी की प्रवाह न करते हुए अपनी जान जोखिम में डाल काम कर रहे हैं। बल्कि पिछले कई वर्षों से ईमानदारी से ड्यूटी दे रहे हैं।

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एलजी से मांग करते हैं कि हम लोगों की जायज मांगों को जल्द से जल्द पूरा किया जाए। नहीं तो हम उग्र आंदोलन के साथ ही आत्महत्या का रास्ते पर उतर आएंगे जिसका जिम्मेदार डीसी व एलजी ( उप राज्यपाल) जम्मू-कश्मीर के साथ संबंधित विभाग होगा। वहीं कर्मचारियों ने वीरवार कालाकोट सब डिवीजन के अलावा चिंगस व अन्य जगहों पर धरना प्रदर्शन करते हुएअपनी मांगे उजागर की। प्रदर्शन के दौरान कर्मचारियों ने कहा कि हमारी मांगों में बकाया वेतन जारी करने जैसी मांग के अलावा स्थाई करने की पाल्सी बनाए जाने की मांग शामिल है और जब तक यह मांगे पूरी नहीं होती तब तक हम कर्मचारियों द्वारा यह धरना प्रदर्शन जारी रहेगा।

वहीं कर्मचारियों के समर्थन में कुछ सरपंच भी उतर आए हैं और सरपंचों ने पीएचई अस्थाई कर्मचारियों की मांगों को जायज ठहराते हुए कहा कि कर्मचारी पिछले कई वर्षों से अपनी जायज मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन इन कर्मचारियों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। सरपंच चिंगस अलीजान तथा सरपंच डगानी जागीर मोहम्मद जुबेर व सोनू मिर्जा आदि ने कहा कि सरकार राज्य प्रशासन को चाहिए कि पीएचई अस्थाई कर्मियों की मांगे जल्द मानकर हड़ताल को स्थगित करवाएं ताकि कर्मचारी काम पर लौटे और लोगों को पानी आदि मुहैया हो सके। उन्होंने कहा कि पीएचई अस्थाई कर्मियों की मांगें जायज हैं और वह पिछले लंबे समय से अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं लिहाजा उनकी मांगें जल्द पूरी होनी चाहिए। वही सामाजिक कार्यकर्ता व स्टेट सेंट्रल लेबर यूनियन के अध्यक्ष जेएस ठाकुर ने कहा कि पीएचई अस्थाई कर्मियों के साथ जो ज्यादती हो रही है उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार को जल्द ही इनकी मांगों को मानकर इनके हक में फैसला करना चाहिए और इनकी मांगों का हम समर्थन करते हैं।

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