डा. हर्षवर्धन ने कोविड-19 के प्रबंधन के लिए आयुर्वेद और योग पर आधारित राष्ट्रीय नैदानिक प्रबंधन प्रोटोकॉल जारी किया

नई दिल्ली (द स्टैलर न्यूज़)। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डा. हर्षवर्धन ने आज आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीपद येसो नाइक की वर्चुअल उपस्थिति में कोविड-19 के प्रबंधन के लिए आयुर्वेद और योग पर आधारित राष्ट्रीय नैदानिक प्रबंधन प्रोटोकॉल जारी किया। नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार और नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी.के. पॉल भी वर्चुअली शामिल हुए। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के पूर्व महानिदेशक डॉ. वीएम कटोच की अध्यक्षता में ‘नेशनल क्लिनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल: कोविड-19’ में आयुर्वेद और योग उपायों के एकीकरण के लिए एक अंतर-विषयी समिति ने क्षेत्र के विशेषज्ञों के एक समूह से मिलकर स्वीकार्य प्रयोगात्मक और नैदानिक ​​डेटा के आधार पर रिपोर्ट तैयार की और सिफारिशें प्रस्तुत कीं।

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ये निष्कर्ष, दवाओं के संभावित लाभ और सुरक्षा का संकेत देते हुए, कोविड-19 और संयुक्त निगरानी समूह पर राष्ट्रीय कार्य बल के समक्ष प्रस्तुत किए गए और बाद में नीति आयोग की सिफारिशों के आधार पर प्रोटोकॉल के रूप में तैयार किए गए। आयुष मंत्रालय ने उनकी सिफारिशों के आधार पर, अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए), दिल्ली, स्नातकोत्तर आयुर्वेद प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (आईपीजीटीआरए), जामनगर और राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एनआईए), जयपुर, केन्द्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस), केन्द्रीय योग एवं नेचुरोपैथी अनुसंधान परिषद (सीसीआरवाईएन) और अन्य राष्ट्रीय अनुसंधान संगठनों के विशेषज्ञों से बनी समितियों की सहमति से एक राष्ट्रीय कार्यबल का गठन किया। साथ ही, कोविड-19 प्रबंधन के लिए आयुर्वेद और योग पर आधारित राष्ट्रीय नैदानिक ​​प्रबंधन प्रोटोकॉल तैयार किया। 

आयुष मंत्रालय की उपलब्धि की सराहना करते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की सलाह अत्यधिक लोकप्रिय हो गई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने कोविड-19 संकट के प्रबंधन के लिए आयुष सलाह का पालन करने पर जोर दिया है। निवारक और रोगनिरोधी उपायों से निपटने वाला यह प्रोटोकॉल न केवल कोविड के प्रबंधन में, बल्कि आधुनिक समय की समस्याओं के समाधान के लिए पारंपरिक ज्ञान को प्रासंगिक बनाने में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने आसानी से उपलब्ध और आम आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों और गुडुची, अश्वगंधा, आयुष -64 जैसे हल्के और स्पर्शोन्मुख कोविड मामलों के उपचार में शामिल किए जाने पर संतोष व्यक्त किया।

डॉ. हर्षवर्धन ने जब औपनिवेशिक संघर्ष में आयुर्वेद की भूमिका की बात की तो हरविलास शारदा ने भारत के विश्व में योगदान के लिए तर्क देने के लिए हिंदू चिकित्सा पर एक खंड तैयार किया था। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद में वैदिक युग में अथर्ववेद के एक उप-भाग के रूप में देखा जा सकता है। विज्ञान ने फारस और वहां से यूरोप की यात्रा की और आधुनिक चिकित्सा की नींव में महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यवश, स्वतंत्रता के बाद आयुर्वेद की ओर बहुत ध्यान नहीं दिया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की ओर से इसके महत्व पर जोर दिए जाने से इसकी ओर ध्यान काफी केन्द्रित हुआ है। उन्होंने राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा प्रणाली आयोग विधेयक, 2020 और जामनगर में आयुर्वेद संस्थानों के क्लस्टर को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा प्रदान करने के लिए विधेयक प्रस्तुत के साथ आयुष को बढ़ावा देने में सरकार के प्रयासों की चर्चा की। उन्होंने कहा, “उनका सर्वसम्मति से पास होना पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को पुनर्जीवित करने में आम सहमति को दर्शाता है।” स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण, सचिव (आयुष) वैद्य राजेश कटोच और आयुष मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।

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