पराली प्रबंधन में 189 सहकारी सभाओं की अहम भूमिका, किसानों को मुहैया करवाई 783 अति-आधुनिक मशीनें

जालंधर (द स्टैलर न्यूज़)। जालंधर की सहकारी सभाएं गाँवों में पराली के प्रबंधन को विश्वसनीय बनाने और पराली जलाने की समस्या को रोकने में व्यापक योगदान दे रही हैं। ज़िला जालंधर में 189 सहकारी सभाएं हैं और लगभग 32000 किसान इनके साथ जुड़े हुए हैं। इन सोसायटियों ने फसलों के अवशेषों  के प्रबंधन के लिए पिछले तीन वर्षों के दौरान कृषि और किसान भलाई विभाग से सुपर सिडर, मलचर, हैपी सिडर, ज़ीरो -ड्रिल, रोटावेटर, चोपर रोटो सीड ड्रिल समेत 783 अति -आधुनिक मशीनें प्राप्त की हैं। विभाग द्वारा सोसायटियों को उपकरणों पर 80 प्रतिशत सब्सिडी मुहैया करवाई जा रही है, जो पराली जलाने के विरुद्ध शुरु की मुहिम में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

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मदारा, अथोला, महिसामपुर, पद्दी खालसा, नौगज्जा, सरा-ए-ख़ास, देसलपुर समेत कई सहकारी सभाएं अपने क्षेत्रों के किसानों को न सिर्फ़ यह मशीनें मुहैया करवा रही हैं बल्कि पराली जलाने से होने वाले बुरे प्रभावों से सम्बन्धित जागरूक भी कर रही हैं। सोसायटी के सचिव गुरइकबाल सिंह ने बताया कि किसानों की माँग अनुसार सोसायटी कृषि विभाग से सुपर सिडर मशीनें भी खरीद रही है। इसी तरह पिछले दो सालों दौरान अथोला सहकारी सोसायटी को रोटावेटर, आर.एम.बी. पलोअ और मलचर जैसी मशीनें प्राप्त हुई हैं। सोसायटी ने किसानों को ट्रैक्टरों के साथ मशीनें नाममात्र किराये पर दीं जातीं हैं।

महिसामपुर सहकारी सभा के 150 किसान हैं और इस सोसायटी ने विभाग से सुपर सिडर, हैपी सिडर और मलचर प्राप्त किया है। नौगज्जा सोसायटी नौगज्जा, काला बाहिया, मंड मोड़ गाँवों के 200 किसानों को किराये पर मशीनों की सप्लाई कर रही है। मुख्य कृषि अधिकारी डा. सुरिन्दर सिंह ने कहा कि फसलों की अवशेषों के प्रबंधन से सम्बन्धित समूची 783 मशीनें पूरी सामर्थ्य से उपयोग की हैं । उन्होंने कहा कि समूह सोसायटियों के सचिव, सरपंच अलग -अलग मशीनों का प्रयोग पहल के आधार पर करने को विश्वसनीय  बनाये ताकि  कोई मशीन बगैर उपयोग न रहे। उन्होने कहा कि पंजाब सरकार के नोटीफिकेशन अनुसार यह मशीनें पहल के आधार पर दीं जा रही हैं  और छोटे और मझोले किसानों से मशीनों का किराया नहीं लिया जा रहा।

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