जे-एंड-के की पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती 14 माह बाद रिहा, 370 हटाने के दौरान लिया था हिरासत में

राजौरी (द स्टैलर न्यूज़) 13-10-2020, रिपोर्ट: अनिल भारद्वाज। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की चीफ और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को मंगलवार को हिरासत से रिहा कर दिया गया। जम्मू-कश्मीर प्रशासन के प्रवक्ता रोहित कंसल ने इस बात की जानकारी दी। महबूबा को पिछले साल अगस्त में कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर हिरासत में लिया गया था।

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आठ माह में 4 बार बदला महबूबा का नजरबंद स्थान

महबूबा को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने से एक दिन पहले 4 अगस्त की रात को हिरासत में लिया गया था। इसके बाद से ही वे नजरबंद थीं। 6 फरवरी को महबूबा की हिरासत की अवधि समाप्त होने से पहले ही उन पर पब्लिक सेक्युरिटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया। इसके बाद उनकी नजरबंदी की अवधि बढ़ गई। आठ महीने में चार बार महबूबा को नजरबंद रखने का स्थान बदला गया था। सबसे पहले उन्हें श्रीनगर के हरि निवास गेस्ट हाउस में रखा गया था। दूसरी बार उन्हें चश्मा शाही इलाके में पर्यटन विभाग के गेस्ट हाउस भेज दिया गया था।

इसके बाद से उन्हें श्रीनगर के ही ट्रांसपोर्ट यार्ड के सरकारी क्वार्टर में रखा गया था। चौथी बार उन्हें अस्थाई जेल से किसी दूसरे स्थान पर भेजा गया। बतादें कि फारूक और उमर अब्दुल्ला रिहा हो चुके हैं। महबूबा जम्मू-कश्मीर की अकेली ऐसी बड़ी नेता थीं, जिन्हें अभी तक नजरबंद रखा गया था। उनके साथ ही हिरासत में लिए गए पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला को रिहा किया जा चुका है। फारूक को 15 मार्च को रिहा किया गया था वहीं उमर को इसके 10 दिन बाद 25 मार्च को रिहा किया गया था। रिहाई के बाद उमर ने सभी नेताओं की नजरबंदी खत्म करने की मांग की थी। वहीं पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की चीफ व पूर्व मुख्यमंत्री के रिहा होने पर पार्टी कार्यकर्ता व नेता उनसे मिलने की कोशिश में लग गए हैं और कुछ सुबह उनसे मुलाकात करने पहुंचेगे।

पब्लिक सेफ्टी एक्ट-1978 में लकड़ी की तस्करी करने वालों के खिलाफ बना था

पब्लिक सेफ्टी एक्ट-1978 में जम्मू-कश्मीर में लागू कर दिया गया था। इसके तहत किसी को भी बिना ट्रायल के 2 साल तक हिरासत में रखा जा सकता है। पहले तो यह कानून लकड़ी की तस्करी करने वालों के खिलाफ बना था, लेकिन धीरे-धीरे इसका इस्तेमाल अन्य अपराधिक मामलों में भी होने लगा। इस एक्ट का खास इस्तेमाल तब किया गया, जब 2010 में जम्मू-कश्मीर में कई महीनों तक हालात खराब रहे।

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