जाईका परियोजना लाई देशराज के जीवन में खुशहाली, युवा अब खेतों से कमा रहे हैं लाखों

हमीरपुर(द स्टैलर न्यूज़)। घर से दूर नौकरी-व्यवसाय के लिए जहां-तहां भटकने के बजाय अपनी जमीन पर ही कुछ मेहनत करके तथा सरकार की योजनाओं की मदद से आज का युवा अपने खेतों में भी सोना उगा सकता है। प्रदेश के विभिन्न जिलों में जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी यानि जाईका की सहायता से चलाई जा रही हिमाचल प्रदेश फसल विविधीकरण प्रोत्साहन परियोजना ऐसे युवाओं और आम किसानों के लिए बहुत ही मददगार साबित हो रही है। यह परियोजना हमीरपुर जिला की नादौन तहसील के गांव बेहा के प्रगतिशील किसान देशराज की जिंदगी में भी खुशहाली लेकर आई है। कभी प्राईवेट सैक्टर में नौकरी के लिए भटकने वाले देशराज आज जाईका परियोजना का लाभ उठाकर न केवल घर में ही लाखों की आय अर्जित कर रहे हैं, बल्कि उन्होंने कृषि आजीविका और रोजगार सृजन का एक नया मॉडल भी स्थापित किया है।

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घर से दूर प्राईवेट सैक्टर में नौकरी करने वाले देशराज के घर का खर्चा बड़ी मुश्किल से चलता था। वर्ष 2016 में उनका गांव जाईका परियोजना के अंतर्गत लाया गया तो मानों उनकी तकदीर ही बदल गई। जाईका परियोजना के तहत गांव की लगभग 11.58 हैक्टेयर भूमि सिंचाई के अंतर्गत लाई गई। खेतों में सिंचाई सुविधा मिलने पर देशराज ने इसका भरपूर लाभ उठाया। कम जमीन होने के बावजूद उन्होंने सब्जी उत्पादन को अपनाया और अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत की। परियोजना की ओर से आयोजित किए गए किसान प्रशिक्षण शिविरों में भाग लेकर देशराज ने कृषि विशेषज्ञों से सब्जी उत्पादन का तकनीकी ज्ञान लिया। अब वह आधुनिक तरीकों से अपने खेतों में अनेक फसलें उगा रहे हैं। केवल चार कनाल जमीन से ही वह टमाटर, खीरा, घीया, कद्दू, लौकी, भिंडी, अदरक, अरबी, गोभी, प्याज, लहसुन और अन्य नकदी फसलें ले रहे हैं।

इसके अलावा जाईका के माध्यम से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद वह मशरूम का उत्पादन भी कर रहे हैं। वर्ष 2019 में जाईका परियोजना से उन्होंने मशरूम के 320 बैग रखे थे, जिनसे उन्होंने 150-150 ग्राम के लगभग 3210 पैकेट तैयार करके बेचे और उन्हें लगभग 78 हजार रुपये का लाभ हुआ। इस बार भी उन्होंने मशरूम के 300 बैग रखे हुए हैं तथा इनसे तैयार होने वाली मशरूम को स्थानीय बाजार और हमीरपुर शहर में अच्छे दामों पर बेच रहे हैं। अब वह अन्य इच्छुक किसानों को भी मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। इस प्रकार देशराज अपने घर में ही खेतीबाड़ी से सालाना लगभग ढाई लाख रुपये तक कमा रहे हैं। उधर, जाईका के परियोजना निदेशक डॉ. विनोद कुमार शर्मा ने बताया कि गांव बेहा के कई अन्य किसान भी देशराज से प्रेरणा लेकर नकदी फसलें लगाने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। गांववासी पुरुषोत्तम चंद, रजनीश कुमार, अमर सिंह, देवेंद्र सिंह और अन्य किसान सब्जियां लगा रहे हैं।

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