अपने पद से इस्तीफा देकर आजादी की लड़ाई में कूद गए थे सुभाष चंद्र बोस: संजीव अरोड़ा

होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़)। भारत विकास परिषद की बैठक प्रधान रजिंदर मोदगिल की अध्यक्षता में नेता जी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती मनाने के उपलक्ष्य में आयोजित की गई। जिसमें प्रांतीय कनवीनर व प्रमुख समाज सेवी संजीव अरोड़ा विशेष तौर उपस्थित हुए। जैसे कि भारत विकास परिषद भारत की आजादी में भाग लेने वाले अनेक महापुरुषों को हमेशा उनके जन्म दिवस व वर्षगांठ पर याद करते हुए उनको श्रद्धासुमन अर्पित करते रहते हैं। इस मौके पर प्रधान रजिंदर मोदगिल ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस जी का जन्म 23 जनवरी 1897 को कटक में हुआ। उन्होंने अपनी मूल शिक्षा प्रैजीडेंसी कालेज कोलकाता से प्राप्त की। उसके बाद उन्होंने इंडियन सिविल सर्विस की तैयारी के लिए कैब्रिज कालेज इग्लैंड गए और वह आजादी की लड़ाई में करीब 11 बार जेल गए। उनकी मृत्यु 18 अगस्त 1945 में हुई। उनकी मृत्यु कैसे हुई यह अभी तक रहस्य है।

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इस अवसर पर संजीव अरोड़ा ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस 1921 में देश वापिस आए तथा राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ जुड़े और 1938 में उन्हें इंडियन नैशनल कांग्रेस का प्रधान नियुक्त किया गया। इसके बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देकर आजादी की लड़ाई में कूद गए। इसके बाद दूसरा विश्व युद्ध शुरू होते उन्हें अंग्रेजी हकूमत द्वारा नजरबंद कर दिया गया। इसके बाद सचिव एचके नक्कड़ा तथा तरसेम मोदगिल ने बताया कि सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज दी स्थापना की तथा विदेशों में घूमकर आजादी के लिए दूसरे देशों का समर्थन हासिल किया। अंत में 4 जुलाई 1944 में आजादी हिंद फौज के साथ वर्मा पहुंचे तथा उन्होंने अपना प्रसिद्ध नारा दिया ” तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा”। इस अवसर पर सभी सदस्यों ने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उनके विचारों की सराहना की तथा उनकी देश की आजादी के लिए मुल्यवान योगदान के लिए सराहना की। इस अवसर पर तरसेम मोदगिल, दविंदर अरोड़ा, दीपक मेंहदीरत्ता, रविंदर भाटिया, एचके नक्कड़ा, गौरव गर्ग, नील मोदगिल, निपुण शर्मा, रमेश भाटिया तथा रिक्की सेतिया उपस्थित थे।

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