नाम का मेडिकल कालेज, सुविधाएं जिला अस्पताल जैसी भी नहीं

जम्मू/राजौरी (द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: अनिल भारद्वाज। सीमावर्ती राजौरी के जिला अस्पताल का दर्जा बढ़ाकर वर्ष 2018 में इसे मेडिकल कालेज बना दिया गया, लेकिन हालात में कोई सुधार नहीं हुआ। जैसे यहां जिला अस्पताल चल रहा था, उससे भी खराब हालत में मेडिकल कालेज चल रहा है। पहले भी जिला अस्पताल में उपचार को आने वाले मरीजों को राजकीय मेडिकल कालेज, जम्मू रेफर कर दिया जाता था। आज भी वहीं हालत हैं। आठ माह से सीटी स्कैन की मशीन बंद पड़ी हुई है। आज तक इस मशीन को चलाने के लिए कोई भी कदम नहीं उठाया गया। इसके अलावा मेडिकल कालेज में कई शौचालय बंद पड़े हुए हैं। जो चल रहे है उनकी हालत भी काफी जर्जर हो चुकी है। इसके अलावा मेडिकल कालेज में वाहनों बिगड़ी पार्किग व्यवस्था से सभी परेशान हैं। अस्पताल में आने वाले मरीजों व एंबुलेंस के चालकों को काफी दिक्कत होती है।

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सीमावर्ती राजौरी के जिला अस्पताल का दर्जा बढ़ाकर वर्ष 2018 में इसे मेडिकल कालेज बना दिया गया, लेकिन हालात में कोई सुधार नहीं हुआ। जैसे यहां जिला अस्पताल चल रहा था, उससे भी खराब हालत में मेडिकल कालेज चल रहा है। पहले भी जिला अस्पताल में उपचार को आने वाले मरीजों को राजकीय मेडिकल कालेज, जम्मू रेफर कर दिया जाता था। आज भी वहीं हालत हैं। आठ माह से सीटी स्कैन की मशीन बंद पड़ी हुई है। आज तक इस मशीन को चलाने के लिए कोई भी कदम नहीं उठाया गया। इसके अलावा मेडिकल कालेज में कई शौचालय बंद पड़े हुए हैं। जो चल रहे है उनकी हालत भी काफी जर्जर हो चुकी है। इसके अलावा मेडिकल कालेज में वाहनों बिगड़ी पार्किग व्यवस्था से सभी परेशान हैं। अस्पताल में आने वाले मरीजों व एंबुलेंस के चालकों को काफी दिक्कत होती है।

-आठ माह से बंद पड़ी सीटी स्कैन मशीन

जिला अस्पताल जो अब मेडिकल कालेज बन गया है, यहां आठ माह पहले मरीजों की सुविधा के लिए सीटी स्कैन मशीन लगाई गई थी। चंद दिन चलने के बाद यह मशीन खराब हो गई। उसे आज तक ठीक नहीं करवाया गया। सीटी स्कैन करवाने के लिए पुंछ जिले के साथ-साथ रियासी जिले के कुछ क्षेत्रों के लोग यहां आते थे, लेकिन अब सभी को उपचार के लिए जम्मू जाना पड़ता है। मशीन को ठीक करवाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है।

अधिकतर शौचालय रहते हैं बंद

मेडिकल कालेज में कई शौचालय बने हुए हैं। मरीजों के उपयोग के लिए जो शौचालय हैं, उनमें से अधिकतर बंद ही रहते हैं। जो चल रहे हैं, वह भी काफी जर्जर हालत में हैं। उसमें इतनी गंदगी है कि अंदर जाना संभव नहीं है। वर्ष 2018 में जिला अस्पताल को मेडिकल कालेज बना दिया गया। यहां पर कक्षाओं को शुरू कर दिया गया। इससे पहले 22 डाक्टर काम करते थे। अब इन डाक्टरों की संख्या 65 हो चुकी है, लेकिन फिर भी छोटी से छोटी बीमारी के मरीज को जम्मू ही रेफर किया जाता है। इससे लोगों को मेडिकल कालेज का कोई भी लाभ नहीं मिल रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है जिला अस्पताल के समय लोगों को कुछ सुविधाएं मिलती थीं, लेकिन अब तो कुछ भी नहीं।

वाहनों की भीड़ अधिक होने के कारण हर कोई परेशान

मेडिकल कालेज परिसर के अंदर डाक्टरों व स्वास्थ्य कर्मियों के वाहनों की संख्या इतनी अधिक हो चुकी है कि मरीजों को अपने वाहन लगाने की जगह भी नहीं मिल रही है। इसके अलावा एंबुलेंस के चालकों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पर इस समस्या को दूर करने के लिए अस्पताल प्रशासन कोई भी कदम नहीं उठा रहा है। प्रिंसिपल डा. कुलदीप सिंह का कहना है कि मेडिकल कालेज में बेहतर व्यवस्था के लिए हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। जल्द ही सीटी स्कैन मशीन भी कार्य करना शुरू कर देगी। इतना ही नहीं मरीजों को बेहतर से बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलें, इसका प्रयास हो रहा है। जो शौचालय बंद हैं, उन्हें भी जल्द ही शुरू करवा दिया जाएगा। मेडिकल परिसर के अंदर वाहनों की संख्या को कम करने का प्रयास किया जा रहा है।

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