बारी मंदिर: 80 साल में पहली बार दु:ख-रोग, संकट व ग्रहदोष से छुटकारा पाने के लिए मंदिर में रुद्राभिषेक करवा रहे लोग

हमीरपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: रजनीश शर्मा। हमीरपुर-अवाहा देवी नेशनल हाई वे पर स्थित शिव मंदिर बारी इन दिनों विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। सावन मास के चलते यहां लोग दूर दूर से आकर शिवलिंग का रुद्राभिषेक करवा रहे हैं। दु:ख-रोग, संकट व ग्रहदोष से छुटकारा पाने के लिए शिव मंदिर बारी में प्रतिदिन लोग पहुंच रहे हैं। 80 साल में यह अनुष्ठान पहली बार शिव मंदिर में किया का रहा है। मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य माधव कृष्णा शास्त्री ने बताया कि रुद्राभिषेक भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे प्रभावी उपाय है। उन्होंने बताया कि रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान रुद्र का अभिषेक अर्थात शिवलिंग पर रुद्र के मंत्रों के द्वारा अभिषेक करना। जीवन में कोई कष्ट हो या कोई मनोकामना हो तो सच्चे मन से रुद्राभिषेक कर के देखें निश्चित रूप से अभीष्ट लाभ की प्राप्ति होगी।

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उन्होंने कहा कि रुद्राभिषेक ग्रह से संबंधित दोषों और रोगों से भी छुटकारा दिलाता है। शिवरात्रि, प्रदोष और सावन के सोमवार को यदि रुद्राभिषेक करेंगे तो जीवन में चमत्कारिक बदलाव महसूस करेंगे। आचार्य माधव कृष्णा शास्त्री ने बताया कि रुद्र भगवान शिव का ही प्रचंड रूप हैं। इनका अभिषेक करने से सभी ग्रह बाधाओं और सारी समस्याओं का नाश होता है। रुद्राभिषेक में शुक्ल यजुर्वेद के रुद्राष्टाध्यायी के मंत्रों का पाठ किया जाता है। अभिषेक के कई प्रकार होते हैं। शिव जी को प्रसन्न करने का सबसे श्रेष्ठ तरीका है रुद्राभिषेक करना अथवा श्रेष्ठ ब्राह्मण विद्वानों के द्वारा कराना। वैसे भी भगवान शिव को जलधाराप्रिय माना जाता है क्योंकि वह अपनी जटा में गंगा को धारण किये हुए हैं। आचार्य माधव कृष्णा शास्त्री के अनुसार यदि वर्षा चाहते हैं तो जल से रुद्राभिषेक करें।

रोग और दु:ख से छुटकारा चाहते हैं तो कुशा जल से अभिषेक करना चाहिए। मकान, वाहन या पशु आदि की इच्छा है तो दही से अभिषेक करें।लक्ष्मी प्राप्ति और कर्ज से छुटकारा पाने के लिए गन्ने के रस से अभिषेक करें।धन में वृद्धि के लिए जल में शहद डालकर अभिषेक करें। मोक्ष की प्राप्ति के लिए तीर्थ से लाये गये जल से अभिषेक करें। बीमारी को नष्ट करने के लिए जल में इत्र मिला कर अभिषेक करें। पुत्र प्राप्ति, रोग शांति तथा मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए गाय के दुग्ध से अभिषेक करें। वंश वृद्धि के लिए घी से अभिषेक करना चाहिए।शत्रु नाश के लिए सरसों के तेल से अभिषेक करें। पापों से मुक्ति चाहते हैं तो शुद्ध शहद से रुद्राभिषेक करें। करीब 80 वर्ष पुराने शिव मंदिर बारी में सावन मास में पहली बार रुद्राभिषेक हो रहा है। उत्तराखंड के गंगोत्री से आए पुरोहित वैदिक व पौराणिक विधि से रुद्राभिषेक का अनुष्ठान पूर्ण कर अब तक कई लोगों को लाभ पहुंचा चुके हैं। सावन मास में लोगों का लगातार शिव मंदिर बारी में आना जारी है।

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