आरएसएस के 96वें स्थापना दिवस पर मोहन भागवत ने की शस्त्र पूजा, बोले-हिंदुओं को बल संपन्न और संगठित होने की जरूरत

नई दिल्ली (द स्टैलर न्यूज़)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 96वें स्थापना दिवस पर शुक्रवार को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों को संबोधित किया। विजयादशमी के पावन अवसर पर संघ प्रमुख ने संघ मुख्यालय नागपुर में शस्त्र पूजा की। हिंदी तिथि के मुताबिक साल 1925 में विजयादशमी के दिन ही आरएसएस की स्थापना हुई थी। नागपुर में हुए इस कार्यक्रम में इजरायल के राजनयिक कोब्बी शोशानी भी पहुंचे।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि देश में अराजकता का माहौल बनाया जा रहा है, कुछ कट्टरपंथी लोग देश को बांटने का काम कर रहे हैं। इसलिए हिंदुओं को बल संपन्न और संगठित होने की जरूरत है और यही सभी समस्याओं का हल भी है। उन्होंने कहा कि देश में जनसंख्या असंतुलन बड़ी समस्या बन रहा है। सीमावर्ती राज्यों में घुसपैठ से आबादी बढ़ रही है। इसके अलावा उन्होंने नाम लिए बिना ड्रग्स और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर सरकार को भी नसीहत दी।
संघ प्रमुख ने कहा कि आज हिंदुओं के मंदिरों की जमीनों को हड़पा जा रहा है। इसलिए यह जरूरी है कि हिंदू मंदिरों का संचालन हिंदू भक्तों के ही हाथों में रहे तथा मंदिरों की सम्पत्ति का उपयोग हिंदू समाज की सेवा में ही हो। इसके लिए हमें सब प्रकार के भय से मुक्त होना होगा। दुर्बलता ही कायरता को जन्म देती है। बल, शील, ज्ञान तथा संगठित समाज को ही दुनिया सुनती है। सत्य तथा शान्ति भी शक्ति के ही आधार पर चलती है। ‘ना भय देत काहू को, ना भय जानत आप…’ ऐसे हिन्दू समाज को खड़ा करना पड़ेगा। जागरुक, संगठित, बलसंपन्न व सक्रिय समाज ही सब समस्याओं का समाधान है।
संघ प्रमुख ने कहा कि घुसपैठियों के कारण जनसंख्या संतुलन बिगड़ रहा है। खास तौर पर सीमावर्ती राज्यों में आबादी असंतुलित हो गई है। इसलिए जनसंख्या नीति पर विचार होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1951 से 2011 के बीच जनसंख्या वृद्धि दर में भारी अंतर के कारण देश की जनसंख्या में जहां भारत में उत्पन्न मत पंथों के अनुयायियों का अनुपात 88 प्रतिशत से घटकर 83.8 प्रतिशत रह गया है। वहीं मुस्लिम जनसंख्या का अनुपात 9.8 से बढक़र 14.23 प्रतिशत हो गया है। इसलिए घुसपैठ पर पूरी तरह से रोक लगनी चाहिए। सरकार को जनसंख्या नीति बनानी चाहिए और सभी वर्ग के लोगों के लिए लागू होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एनआरसी से घुसपैठियों की पहचान होनी चाहिए।
कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद आम लोगों को फायदा हुआ है। वहां आतंकी अपने डर के कारण टिके हुए थे, लेकिन 370 हटने के बाद वह डर खत्म हो गया है। इसलिए आतंकियों ने मनोबल गिराने के लिए फिर से 90 के दशक की टारगेट किलिंग शुरू की है, लेकिन अब लोग डरने वाले नहीं हैं। प्रशासन को चुस्ती से इसका बंदोबस्त करना पड़ेगा।
संघ प्रमुख ने कहा कि नई पीढ़ी में नशीले पदार्थ खाने की आदत बढ़ रही है। उच्च से निम्न स्तर तक व्यसन है। इसलिए ड्रग्स से देश को मुक्त कराने का प्रयास होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के बाद ऑनलाइन शिक्षा बढ़ी है। बच्चों के हाथ में मोबाइल हैं। ऐसे में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर नियंत्रण नहीं रह गया है। सरकार को ओ.टी.टी. के लिए सामग्री नियामक ढांचा तैयार करने के लिए प्रयास करने चाहिए।
भागवत ने कहा कि भारत ने कोरोना के प्रति सबसे अच्छे तरीके से प्रतिकार किया है। पहली लहर भारत में कोई खास असर नहीं दिखा पाई थी, लेकिन दूसरी ने कई लोगों को हमसे छीन लिया। अब तीसरी लहर की भी आशंका है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने गांव-गांव में युवाओं की टोली को प्रशिक्षित किया है, जिससे वे तीसरी लहर में देश की मदद कर पाएं।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि देश में अराजकता का माहौल बनाया जा रहा है। राज्य आपस में लड़ रहे हैं, पुलिस आपस में लड़ रही है। इसलिए राज्यों के बीच तालमेल होना जरूरी है। पर्व, त्योहार पर मेलजोल बढऩा चाहिए।
मोहन भागवत ने कहा कि आजादी के बाद विभाजन का दर्द मिला। विभाजन की टीस अब तक नहीं गई है। हमारी पीढिय़ों को इतिहास के बारे में जानना चाहिए, जिससे आने वाली पीढ़ी अपने आगे की पीढ़ी को बता पाएं कि देश के लिए बलिदानियों की आकाश गंगा चली आ रही है।

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