गेहूं वितरण: सरकार के दावे, उदासीन अधिकारी: “जो करना कर लै, नहीं देणी कनक”

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होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: समीर सैनी। गेहूं वितरण को लेकर एक तरफ जहां सियासी जंग जारी है तथा सरकार द्वारा लाभुपात्रियों को समय पर इस योजना का लाभ पहुंचाए जाने के दावे किए जा रहे हैं तो दूसरी तरफ संबंधित विभाग के अधिकारियों के उदासीनता के चलते कई लोग इस लाभ से वंचित हो रहे हैं। जिसके चलते नीला कार्ड धारकों को मानसिक व सामाजिक तौर पर कई तरह की प्रताडऩा से गुजरना पड़ रहा है। मगर, अधिकारी वर्ग जांच करवाने और गेहूं भिजवा दिया है की रट लगाकर अपने फर्ज की इतिश्री करने में लगा है।

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एक तरफ जहां लोगों की शिकायत है कि उन्हें जो गेहूं किया जा रहा है, वह बोरियों में से 30 किलो की बजाए 22 व 25 किलोग्राम निकल रहा है। इसके अलावा कई ऐसे इलाके हैं जहां पर लोगों को पर्चियां तो दी गई हैं, मगर पिछले दो माह से उन्हें गेहूं नहीं मिला। जब भी अधिकारियों से इस बारे में संपर्क किया जाता है तो वह रटा रटाया टका सा जवाब दे देते हैं कि जब आएगी दे दी जाएगी, जबकि उनके पास वाले गांवों में लोग दो-दो बार गेहूं ले चुके हैं। लोगों का आरोप है कि इस बारे में जब रेलवे स्टेशन स्थित विभाग के कार्यालय से संपर्क किया जाता है तो वहां कोई भी उन्हें स्पष्ट जवाब नहीं देता तथा बार-बार पूछने पर यह भी कहने से परहेज नहीं करते कि नहीं मिलेगी कनक, जो करना है कर लो।

कहीं 2 रुपये किलोग्राम गेहूं से वंचित हैं लोग तो कहीं बोरियों से 30 के स्थान पर निकल रही 22 और 25 किलोग्राम गेहूं- अधिकारी पता करेंगे, भिजवा दी है और अधिक बात करने से काट रहे कन्नी

गांव शेरपुर बात्तीयां के निवासी तरलोक सिंह ने दो माह पहले की दी हुई पर्ची दिखाते हुए बताया कि बार-बार कहे जाने पर भी उन्हें कनक नहीं दी जा रही। उन्होंने कनक के लिए 2 माह पहले 150 किलो के लिए 300 रुपये दिए थे। परन्तु आजतक उनकी किसी ने सार नहीं ली। उन्होंने बताया कि एक तो समय पर उन्हें कनक नहीं मिल रही, अगर मिल भी रही है तो उसका लाभ किसी ओर को दे दिया जाता है। जिससे उन्हें आशंका है कि गेहूं वितरण में अधिकारी कथित तौर पर बड़े स्तर पर घपला कर रहे हैं।

इतना ही नहीं गत दिवस माडल टाउन इलाके में एक डिपो में जब लोगों को गेहूं दी जा रही थी तो वहां पर लोगों ने एतराज जताया था कि उन्हें 30 किलो की बोरी में 25 किलो गेहूं दिया जा रहा है, जिसका वहां मौके पर मौजूद कुछेक पार्षदों एवं अन्य गणमान्य लोगों ने भी एतराज जताया था। इस संबंधी उस समय भी द स्टैलर न्यूज़ द्वारा इंस्पैक्टर मैडम कंचन से बात करके सारा मामला उनके ध्यानार्थ लाया गया था।

यही नहीं हाल ही में असलामाबाद इलाके में भी बोरी से गेहूं कम निकलने संबंधी शिकायतें सामने आई थी। वहां पर भी लोगों ने बोरी में गेहूं कम होने संबंधी बात कही थी। पता चला है कि उस दौरान कुछेक मीडिया कर्मियों ने भी मौके पर पहुंच कर इस संबंधी लोगों से बात भी की थी, मगर विभाग के आला अधिकारी आजतक मीडिया से रूबरू होने से कन्नी काट रहे हैं। जिससे दाल में कुछ काला होने के संकेत साफ नजर आ रहे हैं।

इस संबंध में बार-बार संपर्क करने पर जब इंस्पैक्टर कुलजीत से बात हुई तो उन्होंने बताया कि ऐसा कोई बात नहीं है, समय पर गेहूं वितरण को यकीनी बनाय जा रहा है, अगर कोई एकाध व्यक्ति रह गया है तो उसका गेहूं उन्होंने डिपो होल्डर रवि आदमवाल भिजवा दिया है, वे वहां संपर्क कर सकता है।

इंस्पैक्टर कुलजीत जी की बातों से ही साफ हो जाता है कि वे इस मामले को लेकर कितने संजीदा हैं, यानि कि जिन गरीब लोगों को सरकार घर के नजदीक ही 2 रुपये किलोग्राम गेहूं मुहैया करवा रही है ताकि लोग भरपेट खाना खा सकें और इंस्पैक्टर साहिब का कहना है कि वे अपने गांव से करीब 5 किलोमाटर दूर जाकर गेहूं लें ताकि उन पर ढुलाई का आर्थिक बोझ पड़े और वे सरकार को कोसते हुए जाएं। जब सरकार गेहूं दे रही है तो एक भी व्यक्ति छूट कैसे जाए इससे साफ है कि अधिकारी वर्ग इसके प्रति कितने उदासीन हैं और उनके ऐसे कार्यों से फजीहत सरकार को सहनी पड़ती है।

दूसरी तरफ इस बारे में बात करने पर जिला सिविल सप्लाई अधिकारी रजनीश कौर ने कहा कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है, वे इंस्पैक्टर से बात करेंगी कि लोगों को गेहूं क्यों नहीं मिल रही।

बोरियों से गेहूं कम क्यों निकल रही है, जबकि बोरी के ऊपर 30 किलोग्राम लिखा है संबंधी बात करने पर अधिकारी कतराते रहे।

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