मेंहदी श्रृंगार के साथ साथ औषधि का काम भी करती है : यशपाल जैन

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-एस.ए.वी. जैन डे बोर्डिंग स्कूल में मेंहदी प्रतियोगिता आयोजित
होशियारपुर,(द स्टैलर न्यूज़) रिपोर्ट- गुरजीत सोनू । मेंहदी (हीना) का वानस्पतिक नाम लॉसोनिया इनर्मिस है और यह लिथेसिई कुल का कांटेदार पौधा है। यह उत्तरी अफ्रीका, अरब देश, भारत तथा पूर्वी द्वीप समूह में पाया जाता है। उक्त बात एस.ए.वी. जैन डे बोर्डिंग स्कूल में आयोजित मेंहदी प्रतियोगिता दौरान जैन शिक्षा निधी के प्रधान यशपाल जैन ने कही। उन्होंने बताया कि किसी की ङ्क्षजदगी में घटित होने वाले प्रत्येक कार्य के पीछे कोई न कोई कारण अथवा मकसद होता है। इसी प्रकार से उसकी संस्कृति से जुड़े हुए रीति रिवाजों के पीछे भी एक कारण है।

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भारत ही एकमात्र एेसा देश है जहां विभिन्न संस्कृतियों को बढ़-चढ़ कर अहमियत दी जाती है, शादी-विवाह में मेंहदी लगाने का महत्व भी कुछ इसी आधार पर विकसित किया गया है। उन्होंने कहा कि शादी के अलावा आजकल तो विभिन्न त्यौहारों जैसे कि करवा चौथ, रक्षाबंधन, दिपावली, भाई दूज आदि उत्सवों पर भी मेंहदी लगाने का रिवाज सा बन गया है। उन्होंने कहा कि श्रृंगार के अलावा यह उनके लिए विभिन्न प्रकार की सजावट की वस्तु एवं औषधि का काम भी करती थीं। इस अवसर पर स्कूल परिसर में मेंहदी प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया।

जिसके परिणामों संबंधी संयुक्त तौर पर जानकारी देते हुए डीन सुनिता दुग्गल व प्रिंसीपल सुषमा बाली ने बताया कि यह प्रतियोगिता ग्याहरवीं से आठवीं तक के विद्यार्थियों के मध्य हुई, जिसमें आत्म हाऊस की चरणजीत कामर्स की छात्रा ने पहला तथा इंद्र हाऊस की वैष्णवी ने दूसरा स्थान हासिल किया। दसवीं कक्षा की आत्म हाऊस की खुशी ने पहला स्थान, समुदर हाऊस की साक्षी ने दूसरा, वल्लभ हाऊस की अमनदीप ने तीसरा, समुदर हाऊस की नौंवी कक्षा की सुरभि ने पहला, समुदर हाऊस की स्मृति जैन ने दूसरा, इंद्र हाऊस की अपर्णा ने तीसरा स्थान तथा आत्म हाऊस की आठवीं कक्षा की कृतिका ने पहला, इंद्र हाऊस की प्रिशा ने दूसरा तथा वल्लभ हाऊस की कन्नण ने तीसरा स्थान हासिल किया।

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