होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। पशुओं खासकर गायों में फैली लंपी स्किन बीमारी की रोकथाम के लिए जिला प्रशासन और पशु पालन विभाग पूरी तरह से लापरवाह हैं। जिसके चलते यह बीमारी गायों में दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। यह बात गोबिंद गोधाम गौशाला के प्रबंधकों की बैठक में नगर सुधार ट्रस्ट के पूर्व चेयरमैन एडवोकेट राकेश मरवाहा ने लंपी स्किन के बढ़ते केसों पर चिंता प्रकट करते हुए कही। इस मौके पर बैठक में हरीश शर्मा, महिंदरपाल, कृष्ण देव, वरिंदर कुमार, गुलशन नंदा एवं विनोद धीमान मौजूद थे। इस दौरान एडवोकेट मरवाहा ने कहा कि कुछ दिन पहले पशु पालन विभाग के डिप्टी डायरैक्टर ने गौशाला का दौरा किया था तथा उस दौरान उन्होंने कहा था कि गायों को इससे बचाने के लिए विभाग द्वारा पूर्ण सहयोग दिया जाएगा। लेकिन, दुख की बात है कि विभाग द्वारा गायों को इस बीमारी से बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए, जबकि हजारों रुपये की दवाई गौशाला अपनी तरफ से खर्च चुकी है। लेकिन दुख की बात है कि विभाग द्वारा अपनी कोई जिम्मेदारी नहीं समझी जा रही।
इतना ही नहीं इस मामले को लेकर उन्होंने डिप्टी डायरैक्टर को फोन किया था, पर उन्होंने फोन नहीं उठाया और न ही उनका फोन आया। इसके बाद उन्होंने एक अन्य अधिकारी से फोन पर बात की तो उन्होंने बताया कि विभाग के पास दवा ही नहीं है तथा जब दवाई आएगी तो डिप्टी डायरैक्टर से पूछना पड़ेगा कि इसे गौशालाओं को देना है या नहीं। एडवोकेट मरवाहा ने कहा कि पशु पालन विभाग का यह रवैया तर्कसंगत नहीं है। एक तरफ सरकार और जिला प्रशासन लंपी स्किन से गायों को बचाने के लिए बड़े-बड़े दावे करते नहीं थक रहा और दूसरी तरफ लापरवाही का आलम यह है कि गौशालाओं में अभी तक विभाग द्वारा दवाई नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि अगर सरकार के पास दवाई ही नहीं है तो गौशाला प्रबंधकों को पहले जानकारी दे दी जाती, इस प्रकार धोखे में रखकर गौभक्तों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ तो न किया जाता। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन और पशु पालन विभाग के उदासीन रवैये से सरकार की गायों की सुरक्षा एवं संभाल को लेकर भी मंशा साफ हो जाती है। अगर सरकार इस बीमारी की रोकथाम के लिए गंभीर होती तो उसके प्रशासनिक एवं पशु पालन विभाग के अधिकारी इस प्रकार लापरवाही से काम न करते।