पंजाब सरकार द्वारा लोगों को पराली न जलाने के प्रति जागरूक करने के लिए ‘मेगा’ जागरूकता मुहिम 27 सितम्बर से: धालीवाल

चंडीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़)। धान की पराली को जलाने से होते प्रदूषण से निजात पाने के लिए इससे जुड़े अलग-अलग विभागों और सम्बन्धित अदारों के साथ मिलकर सांझा रणनीति बनाने के मद्देनज़र आज पंजाब भवन चंडीगढ़ में कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल, उच्च शिक्षा और पर्यावरण मंत्री मीत हेयर, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री अमन अरोड़ा और स्कूल शिक्षा मंत्री हरजोत बैंस, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त मुख्य सचिव ए. वेनू प्रसाद और अतिरिक्त मुख्य सचिव कृषि सरवजीत सिंह ने माहिरों के साथ मीटिंग की।

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इस मीटिंग के उपरांत कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल और उच्च शिक्षा मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ने पत्रकार सम्मेलन के दौरान पंजाब सरकार की तरफ से पराली को जलाने से रोकने के लिए किये जा रहे प्रयासों संबंधी जानकारी दी। कुलदीप सिंह धालीवाल ने बताया कि पंजाब सरकार 27 सितम्बर को पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला से किसानों को पराली न जलाने के प्रति जागरूक करने के लिए ‘मेगा’ जागरूकता मुहिम शुरू करने जा रही है। उन्होंने बताया इस मुहिम के पहले पड़ाव के अंतर्गत यूनिवर्सिटी और कालेजों के नौजवानों को पराली जलाने के दुश्प्रभावों और पराली को मिट्टी में ही मिलाने के फ़ायदों के बारे जानकारी दी जायेगी। इसके बाद 28 सितम्बर को पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी लुधियाना और 29 सितम्बर को गुरू नानक देव यूनिवर्सिटी अमृतसर में ट्रेनिंग प्रोग्राम करवाए जाएंगे। जिसके बाद यह नौजवान गाँवों में जाकर लोगों को जागरूक करेंगे।

कृषि मंत्री ने बताया कि सब्सिडी पर हैपी सिडर लेने के लिए किसानों को आवेदन करने के लिए 15 दिन का समय बढ़ाया गया है जिससे अधिक से अधिक किसान इस स्कीम के अधीन हैपी सिडर लेकर पराली को बिना जलाये गेहूँ की बुवाई कर सकें। इसके इलावा पराली को मिट्टी में बिना जलाये मिश्रित करने के लिए कृषि विभाग की तरफ से तजुर्बो के तौर पर पायलट प्रोजैक्ट के तौर पर 5000 एकड़ में डी-कम्पोज़र के घोल का छिड़काव किया जायेगा। उन्होंने साथ ही बताया कि ब्लाक स्तर पर कृषि अफसरों को 5-10 हैपी सिडर मशीनें दीं गई हैं। यह मशीनें छोटे किसान मुफ़्त में इस्तेमाल कर सकेंगे। उच्च शिक्षा और पर्यावरण मंत्री मीत हेयर ने पत्रकार सम्मेलन के दौरान पराली को ईंधन बना कर बिजली पैदा करने वाले प्लांट लगाने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुये कहा कि ऐसे पर्यावरण समर्थकी ( इकौ फ्रेंडली) उद्योगों को पंजाब सरकार की तरफ से उत्साहित किया जायेगा। उन्होंने कहा कि इस कार्यविधि के द्वारा किसानों को प्रति एकड़ 3000 रुपए सहायता भी मिलती है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि ईंटों वाले भट्टों को कुछ प्रतिशत ईंधन पराली को लेना लाज़िमी करने के साथ-साथ अन्य उद्योगों के लिए भी ऐसा लाज़िमी करने पर विचार किया जा रहा है।

इससे पहले मीटिंग के दौरान नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री अमन अरोड़ा और स्कूल शिक्षा मंत्री हरजोत बैंस समेत सभी मंत्रियों ने कहा कि पंजाब की साढ़े तीन करोड़ जनसंख्या और आने वाली पीढ़ियों को साफ़ सुथरा पर्यावरण प्रदान करने के लिए सांझे प्रयासों करने की ज़रूरत है। मंत्री समूह ने इस ज़रूरत पर ज़ोर दिया कि पराली को मिट्टी में बिना जलाये मिलाने, ईंधन के तौर पर बरतने और पराली को खाद के तौर पर तैयार करने को उत्साहित करने के इलावा अन्य ढंग पराली की संभाल के लिए ढूँढने पर ज़ोर देने की ज़रूरत है। इस मीटिंग में फारमर कमीशन के चेयरमैन डॉ. सुखपाल सिंह, पंजाब प्रदूषण रोकथाम बोर्ड के चेयरमैन प्रो. आदर्श पाल विग और मैंबर सचिव इंजीनियर करुनेश गर्ग, पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी लुधियाना के वाइस चांसलर डा. एस एस गोसल, पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के वाइस चांसलर डा. अरविन्द और गुरू नानक देव यूनिवर्सिटी अमृतसर के वाइस चांसलर जसपाल सिंह संधू, ए. डी. जी. पी लॉ एंड आर्डर अर्पित शुक्ला और कृषि विभाग के डायरैक्टर गुरविन्दर सिंह ने धान की पराली को बिना जलाये संभालने और ईंधन के तौर पर इस्तेमाल करने लिए विचार पेश किये।

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