फिर चर्चाओं में जिला भाजपा: विज्ञापन के जरिये ऐलान, अब ऐसे तो ऐसे ही सही

कहते हैं किस अगर किसी को अधिक दबाने की कोशिश की जाए तो एक दिन वह विद्रोह पर उतर ही आता है। और तो और ऐसी घटनाएं राजनीतिक पार्टियों में अकसर ही देखने को मिल जाती हैं। जहां पर किसी के बढ़ते कद को छोटा करने के लिए कई प्रकार के हथकंडे अपनाए जाते हैं। कुछ दिन पहले होशियारपुर में एक पार्षद द्वारा भाजपा जिला प्रधान से फोन पर की गई गाली गलोच एवं अभद्रता भरी बातचीत की तपिश ठंडी भी नहीं हुई थी कि एक समाचार पत्र में प्रकाशित करवाए गए विज्ञापन ने नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है। क्योंकि, विज्ञापन में होशियारपुर से संबंधित तीन बड़े नेताओं की फोटो न होने से राजनीतिक माहिरों के अनुसार मामला उलझता तथा दूसरी तरफ स्पष्ट होता भी दिखाई दे रहा है।

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लालाजी स्टैलर की चुटकी

हालांकि अपने-अपने नेता की फोटो विज्ञापन से गायब होने पर जहां कई कार्यकर्ता नाराज हो रहे हैं और इसे जिला टीम की मनमानी कहा जा रहा है वहीं सूत्रों की मानें तो बार-बार बड़े नेताओं के इशारों पर चलने वाली जिला भाजपा अब किसी के इशारों पर न चलकर पार्टी लैवल पर हाईकमांड द्वारा जारी निर्देशों पर चलाने की कवायद भी मानी जा रही है। पहले जिला भाजपा के दो गुट माने जाते थे, पहला तीक्ष्ण गुट और दूसरा खन्ना गुट। लेकिन विजय सांपला के होशियारपुर आने पर थोड़ा समय तो खन्ना एवं सांपला गुट एक ही रहा, लेकिन कुछ समय बाद इनके भी दो गुट हो गए व जिला भाजपा के तीन।

अब जिला भाजपा की जिस प्रकार से टीम बनाई गई है उससे साफ है कि इससे गुटबाजी पर कहीं न कहीं लगाम लगाने के प्रयास किए गए हैं। लेकिन सूत्रों की माने तो इस टीम से जहां बड़े नेता अंदर खाते खासे नाराज हैं वहीं उनके करीबी भी इसे पचा नहीं पा रहे। अब ये भी कयास लगाए जा रहे हैं कि इस टीम के बनने से जिला भाजपा का चौथा गुट तो तैयार नहीं हो गया, जिसने पहले ही संकेत दे दिया हैं कि अब जिला टीम में मनमानी नहीं चलेगी। फिलहाल जहां जिला भाजपा पर अंदरुनी खींचतान के चलते जिला टीम में कई बड़े कार्यकर्ताओं की अनदेखी के आरोप लग रहे हैं वहीं राजनीतिक माहिरों के अनुसार ऐसे समय में इस प्रकार से विज्ञापन वार का होना शुभ नहीं कहा जा सकता।

एक बात और भी है समाचार तो सभी प्रकाशित करवाना चाहते हैं, लेकिन जब भी विज्ञापनों की बात आती है तो बड़े नेताओं के साथ-साथ फोटो के शौकीन कई छोटे नेता एवं कार्यकर्ता ऐसे मुंह छिपाकर भाग खड़े होते हैं , जैसे उन्होंने अपने आका के साथ मिलकर कोई कमार्ई ही न की हो। अरे भाई अगर राजनीति का शौक है तो भाई जेब ढीली करनी भी सीखो और फोटो की ललक हो तो… आगे आप समझदार हैं। मुझे दें इजाजत। जय राम जी की।

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