होशियारपुर, (द स्टैलर न्यूज़): भाजपा नेताओं पूर्व कैबिनेट मंत्री तीक्ष्ण सूद, सुरेश भाटिया बिट्टू, कमलजीत सेतिया, अश्वनी गैंद, यशपाल शर्मा द्वारा जारी प्रेस नोट में कहा गया है कि मान सरकार की अराजकतावादी नीतियों के कारण सूबे की आपात सेहत सुविधाओं पर घोर खतरा मंडराने लगा है। केंद्र सरकार द्वारा पंजाब को राष्ट्रीय सेहत मिशन के अधीन भेजे जाने वाला 1114.7 करोड़ रुपए की राशि में से जो 438 करोड़ रुपए की राशि भेजी गई थी वह मान सरकार द्वारा नियमों के उल्लंघन करके खर्चे जाने के कारण भविष्य में बाकी भेजे जाने वाले 546 करोड़ रुपए पर केंद्र सरकार द्वारा रोक लगा दी गई है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा संवैधानिक संस्थाओं, कानूनों व नियमों की उल्लंघना करके टकराव की स्थिति पैदा करने का पंजाब में फैशन प्रचलित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने पंजाब में 16000 मोहल्ला क्लिनिक खोलने की ग्रान्टी दी थी तथा उसके लिए फंडों का प्रबंध भ्रष्टाचार रोक कर तथा माइनिंग से कमाई करने का बताया था। पहले दौर में मात्र 100 मोहल्ला क्लीनिक पुराने सुविधा केंद्रों की इमारतों को लीपापोती करके खुल पाए, जबकि मोहल्ला क्लीनिक खोलकर झूठा प्रचार करने की दौड़ में दूसरे दौर में 400 नए मोहल्ला क्लीनिक खोलने की शुरुआत 27-01-2023 में मुख्यमंत्री मान तथा उनके कैबिनेट के मंत्रियों ने उद्घाटन करके की, परंतु इस बार केंद्र सरकार के फंडों से पहले ही चल रहे मोहल्ला प्राइमरी हेल्थ सेंटरों की लीपापोती करके उनका नाम मोहल्ला क्लीनिक रख दिया गया।
आम आदमी पार्टी ने मोहल्ला क्लिनिक के लिए कोई भी फंड राज्य सरकार द्वारा जारी नहीं किया, परंतु केंद्र की स्कीम की उल्लंघना करते हुए पहले से चल रहे प्राइमरी तथा कम्युनिटी हैल्थ सेंटरों जिनमे आपात सेवाए तथा ओप्रशन की सेवाएं उपलब्ध थी उनका दर्जा घटा कर मोहल्ला क्लिनिक बना दिया, जिससे आपात सेहत सुविधाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही है, क्योंकि मोहल्ला क्लीनिक में केवल छोटी-मोटी बीमारियों के लिए मरीजों को 4-5 से घंटे के लिए ओपीडी में देखने की सुविधाएं हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि मोहल्ला क्लीनिक के लिए अभी तक कोई भी स्टाफ नहीं रखा गया है। मोहल्ला क्लीनिकों के लिए 10 करोड़ खर्च करके उसके प्रचार के लिए 30 करोड़ रुपए खर्चने की कोशिश से भी आम आदमी पार्टी की किरकिरी हुई है। भाजपा नेताओं ने कहा कि मान सरकार यदि केंद्र से भेजे गए 438 करोड़ रुपए का आरजकताबादी नीतियों के अनुसार खर्च ना करती तो पंजाब को 546 करोड़ रुपए की सेहत सुविधाओं को केंद्र से आने वाली सहायता राशि से वंचित ना होना पड़ता। जिनके कारण पंजाब की आपात स्वास्थ्य सेवाएं तबाही की कगार पर पहुंच गई है।