होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के संबंध में सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल अज्जोवाल में एक विशेष सेमिनार करवाया गया | इस मौके पर स्कूल के अध्यापकों के अलावा आसपास की मातृशक्ति ने भी भाग लिया | सेमिनार को संबोधित करते हुए स्कूल इंचार्ज लेक्चरर शरणदीप कौर, अनु आनंद तथा संगीता सैनी ने कहा कि भारत अपनी परंपराओं के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध रहा है | अगर हम अपनी ही परंपराओं को सही मायने में अपना लें तो इसी से महिलाओं के जीवन स्तर में तब्दीली आ सकती है | भारत में नारी को देवी का स्वरूप माना जाता है| वहीं दूसरे दिन कोई नवजात लड़की सड़क के किनारे अथवा कूड़ेदान में मृत मिलती है | उन्होंने कहा कि महिला दिवस यह सोचने के लिए मजबूर करता है कि समाज महिलाओं के प्रति अपनी सोच को बदलें और हर वर्ष इस दिन खुद को आंके कि आखिर महिलाओं के लिए पूरे वर्ष में उसने क्या किया |
उन्होंने कहा कि जब तक महिलाओं पर किसी भी प्रकार के अत्याचार होते रहेंगे हमें दिन मनाने से पहले हजार बार सोचना होगा कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है और कब समाज की मानसिकता बदलेगी | कहने को तो महिलाओं के सम्मान में बहुत कुछ कहा जाता है लेकिन उसे धरातल पर कितना लागू किया जाता है यह महत्वपूर्ण बात है | इस मौके पर मोनिका कंवर, शांति देवी तथा अर्चना ने कहा कि महिलाओं के लिए कुछ खास करने का अर्थ यह नहीं कि आप कुछ अलग करें | अपने आसपास की महिलाओं को ठीक से उनका बनता सम्मान दें , उनके विचारों को महत्व दें , वह महिला आपकी बहन, माता, सहकर्मी कोई भी हो सकती है | हमारे देश में पिछले समय के दौरान महिलाओं को सम्मान मिलना शुरू हुआ है | एक महिला के लिए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का होना अच्छा लगता है |
लेकिन हमें लगता है कि महिला का सम्मान सिर्फ महिला होने के कारण ही नहीं होना चाहिए बल्कि इसलिए भी होना चाहिए क्योंकि उनकी खुद अपनी व्यक्तिगत पहचान है | वे समाज की भलाई में सम्मान रूप से योगदान करती है | अगर पृथ्वी पर कोई औरत न बची तो मानव जाति का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा | क्योंकि स्त्री ही है जो इस धरती पर जीवन लाती है | महिला कार्यालय में काम कर रही हो अथवा घर पर उसका अपना विशेष महत्व है | जीवन में कई बार ऐसा देखने को मिलता है कि केवल महिलाओं को कई क्षेत्रों में बलिदान करना पड़ता है | उसे दूसरे लोगों के लिए अपनी भावनाओं और सपनों का संसार छोड़ना पड़ता है और ऐसी शक्ति केवल परमात्मा ने महिलाओं को दी है|
महिला ना केवल अपने जीवन का नेतृत्व करती है बल्कि दूसरों के लिए भी सशक्त रूप से मजबूत आधार बनाती है | इस मौके पर कुलविंदर कौर, निर्मला देवी तथा हरमीत कौर ने कहा महिला दिवस को महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक राजनीतिक तथा व्यक्तिगत उपलब्धियों के लिए पहचाना जाता है | यह देखकर अच्छा लगता है कि हमारे देश की राष्ट्रीय अध्यक्षा एक महिला है | महिलाएं पुरुषों के मुकाबले किसी भी क्षेत्र में कम नहीं है | आज दुनिया महिलाओं के कार्यों पर विश्वास करती है | लेकिन केवल 1 दिन अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने से कुछ नहीं होगा | हमें पूरा साल महिलाओं को उनके बनते सम्मान को बहाल करना होगा| महिला शक्ति के बिना समाज के विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती|