मुख्यमंत्री ने एनएचएम कर्मचारियों को मांग मानने का दिया आश्वासन, मांंगे न मानी तो स्वास्थ्य मंत्री के खिलाफ रैली करने की घोषणा

होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़)। जालंधर में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत काम कर रहे स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा आयोजित चुनावी उद्घाटन रैली के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एनएचएम कर्मचारी संघ के साथ बैठक की, जिसमें उन्होंने एनएचएम कर्मचारियों की मांगों को मानने का आश्वासन दिया है। मुख्यमंत्री ने आने वाले दिनों में पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह की हाजिऱी में एनएचएम कर्मचारियों के साथ पैनल मीटिंग करने का भरोसा दिया है।

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एनएचएम कर्मचारियों ने सरकार को चेतावनी दी है कि वे स्वास्थ्य विभाग में कम वेतन पर काम कर रहे हैं और अगर राज्य सरकार ने उनकी समस्या का समाधान नहीं किया तो वे आने वाले दिनों में सरकार के खिलाफ उग्र संघर्ष करेंगे.उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने पड़ोसी राज्य हरियाणा की तर्ज पर कच्चे स्वास्थ्य कर्मचारियों को नियमित या पूर्ण वेतन लागू नहीं किया तो वे पटियाला में स्वास्थ्य मंत्री के आवास के सामने विरोध प्रदर्शन करेंगे और आवास का घेराव करेंगे.उन्होंने कहा कि महंगाई के इस दौर में कम तनख्वाह से गुजारा करना बहुत मुश्किल है, लेकिन आम आदमी की बात करने वाली यह सरकार गरीब कर्मचारियों पर ध्यान नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि सरकार निजीकरण को बढ़ावा देकर सरकारी अस्पतालों को सुविधाएं देने से भाग रही है क्योंकि अगर सरकारी स्वास्थ्य ढांचे को बनाए रखना है तो कच्चे स्वास्थ्य कर्मचारियों को सुरक्षित करना बहुत जरूरी है.इस संबंध में एनएचएम कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष डा. वाहिद मुहम्मद, वरिष्ठ उपाध्यक्ष किरणजीत कौर, उपाध्यक्ष गुलशन शर्मा, महासचिव हरमनदीप सिंह, संयुक्त सचिव रंजीत कौर, कोषाध्यक्ष डा. शिव राज, प्रैस सचिव कमलजीत कौर, डा. प्रभजोत कौर शामिल हैं।

डा. सुमित कपाही, मीनू सैनी, तरुण कुमार, अनीता, संदीप और बिन्नी ने कहा कि पिछली सरकारों ने भी एनएचएम कर्मचारियों को नियमित करने से परहेज किया था और अब वही व्यवहार आम आदमी पार्टी अपना रही है। उन्होंने कहा कि ‘आप’ सरकार अपने चुनावी वादों से भाग चुकी है। यह सरकार केवल विज्ञापनों की सरकार बन कर रह गई है, जो विज्ञापनों के माध्यम से कच्चे कर्मचारियों को काम पर रखने का झूठ बोलकर लोगों को गुमराह कर रही है, जबकि वास्तव में अभी भी कच्चे मजदूर ही काम कर रहे हैं। सरकार द्वारा शोषण के शिकार हो रहे हैं उन्होंने कहा कि महंगाई के इस दौर में कम तनख्वाह से गुजारा करना बहुत मुश्किल है, लेकिन आम आदमी की बात करने वाली यह सरकार गरीब कर्मचारियों पर ध्यान नहीं दे रही है।

उन्होंने कहा कि सरकार निजीकरण को बढ़ावा देकर सरकारी अस्पतालों को सुविधाएं देने से भाग रही है क्योंकि अगर सरकारी स्वास्थ्य ढांचे को कायम रखना है तो कच्चे स्वास्थ्य कर्मियों को सुरक्षित करना बहुत जरूरी है। ये स्वास्थ्यकर्मी स्वास्थ्य ढांचे की रीढ़ हैं। उन्होंने कहा कि एनएचएम कर्मचारियों ने कोरोना वायरस के दौरान आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए अपनी जान जोखिम में डाली है, लेकिन सरकार उनकी मेहनत की सराहना नहीं कर रही है.सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्वास्थ्य कर्मचारियों को प्राथमिकता दी जाए.एनएचएम कर्मचारियों ने कहा कि वे आपातकालीन सेवाएं प्रदान कर रहे हैं, इसलिए राज्य सरकार को स्वास्थ्य कर्मियों के प्रति यथार्थवादी दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और स्वास्थ्य कर्मियों की मांगों को प्राथमिकता के आधार पर हल करना चाहिए और यदि सरकार ऐसा नहीं करती है, तो वे एक अभियान शुरू करेंगे। सरकार के खिलाफ उग्र संघष र्खींचेंगे।

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