नेत्रदान से जुडक़र जीते जी ही नहीं संसार से जाने के बाद भी बनें प्रेरणास्रोत: संजीव अरोड़ा

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। रोटरी आई बैंक एवं कार्निया ट्रांसप्लांटेशन सोसायटी की तरफ से प्रधान व प्रमुख समाज सेवी संजीव अरोड़ा की अगुवाई में बच्चों को नेत्रदान की महत्ता समझाने के लिए सरकारी कन्या सीनियर सेकेंऱी स्कूल रेलवे मंडी में सैमीनार लगाया गया। इस मौके पर स्कूल की प्रिंसिपल ललिता अरोड़ा व सोसायटी के चेयरमैन जेबी बहल विशेष तौर से उपस्थित हुए। इस मौके पर संजीव अरोड़ा ने बच्चों को नेत्रदान की महत्ता समझाते हुए कहा कि संसार में यही एकमात्र दान है जो व्यक्ति को मरणोपरांत करना होता है। उन्होंने बताया कि रोटरी आई बैंक की तरफ से अब तक 3800 से अधिक लोगों को रोशनी प्रदान की जा चुकी है तथा यह तभी संभव हो पाया है, जब नेत्रदान के महत्व को समझते हुए नेत्रदानियों ने पहल की।

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उन्होंने बताया कि वह लोग धन्य एवं प्रेरणास्रोत होते हैं जो जीते जी ही नहीं बल्कि दुनिया से जाने के बाद भी मानव सेवा का मील पत्थर स्थापित कर जाते हैं। ऐसे महान लोगों को दुनिया रहने तक याद किया जाता रहेगा। अरोड़ा ने बच्चों को जानकारी देते हुए बताया कि नेत्रदान को लोकलहर बनाने के उद्देश्य से अब सरकार ने ड्राइविंग लाइसेंस में एक कॉलम और जोड़ दिया है तथा वो है नेत्रदान से संबंधित। उन्होंने कहा कि अब ड्राइविंग लाइसेंस बनाने दौरान उम्मीदवार की सहमति ली जाती है कि क्या वह नेत्रदानी बनना चाहता है। इसलिए अगर कोई अपना लाइसेंस बनवा रहा है तो वह नेत्रदान संबंधी कॉलम में हां लिखकर मानवता की सेवा के भागी बनें। उन्होंने विद्यार्थियों से अपील की कि वह नेत्रदान के प्रति खुद भी जागरुक हों और अपने परिवार व रिश्तेदारों के साथ-साथ आस-पड़ोस को भी जागरुक करें।

इस मौके पर चेयरमैन जेबी बहल ने प्रिंसिपल और छात्राओं को मरणोपरांत नेत्रदान लेने की प्रक्रिया से अवगत करवाया। उन्होंने बताया कि जैसा कि हम सभी जानते हैं कि जो भी इस धरती पर जन्म लेता है उसे एक दिन इस संसार को अलविदा करके जाना ही होता है। इसलिए जीतेजी ही नहीं बल्कि यहां से जाने के बाद भी जिंदा रहें, हमें ऐसा काम करके जाना चाहिए। इसके लिए नेत्रदान से बढक़र कोई दान नहीं है। उन्होंने बताया कि किसी भी प्राणी के देहांत उपरांत 6 से 8 घंटे तक आंखें जिंदा रहती हैं, ऐसा कहें कि उसमें रोशनी रहती है। सूचना मिलने पर रोटरी आई बैंक की टीम उसके घर पहुंचकर नेत्रदान दान लेती है तथा मात्र 15-20 मिनट की प्रक्रिया में इसे पूरा कर लिया जाता है। आंखें दान लेने से मृतक के चेहरे पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता और न ही उसका चेहरा खराब होता है। बहल ने बताया कि दान ली गईं आंखें 72 घंटे के भीतर कार्निया ब्लाइंडनैस पीडि़त को डालनी होती है तथा एक स्वस्थ्य व्यक्ति की दो आंखें दो जिंदगियों को रोशनी प्रदान करती हैं।

इस मौके पर प्रिंसिपल ललिता अरोड़ा ने सोसायटी द्वारा प्रदान की गई जानकारी के लिए उनका आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि रक्तदान के अलावा मरणोपरांत शरीरदान एवं नेत्रदान के प्रति भी जागरुकता जरुरी है ताकि हम संसार में रहते हुए ही नहीं बल्कि यहां से जाने के बाद भी याद किए जाते रहें। उन्होंने सोसायटी पदाधिकारियों का धन्यवाद करते हुए कहा कि उनके द्वारा प्रदान की गई जानकारी विद्यार्थी वर्ग एवं युवा वर्ग के लिए लाभप्रद है तथा इसमें उनके द्वारा जो भी सहयोग होगा दिया जाएगा। इस मौके पर सोसायटी की तरफ से विजय अरोड़ा के अलावा स्कूल स्टाफ सदस्य भी मौजूद थे।

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