ब्रेन स्ट्रोक के उपचार में नई क्रांति लाई मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी

रूपनगर (द स्टैलर न्यूज़), ध्रुव नारंग)। ब्रेन स्ट्रोक (दिमागी दौरा) के दौरान मरीज के लिए हर सैकेंड मायने रखता है, क्योंकि मरीज स्वास्थ्य सुविधाएं न मिलने के कारण औसतन स्ट्रोक में हर मिनट 1.9 मिलियन न्यूरॉन्स खोता है, जो हमेशा अधरंग या मौत का बड़ा कारण बनता है, वहीं अब चिकित्सा जगत में आई तकनीकी क्रांति से ब्रेन स्ट्रोक से पीडि़त मरीजों को पूरी तरह से स्वस्थ किया जा सकता है। यह बात उत्तर भारत के जाने माने मस्तिष्क रोग विशेषज्ञ डा. विवेक गुप्ता व डा. हरसिमरत बीर सिंह सोढ़ी ने रोपड़ में आयोजित एक प्रैसवार्ता में कही, जिनके द्वारा मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टॉमी जैसे उन्नत न्यूरो-इंटरवेंशनल उपचार से ब्रेन स्ट्रोक से लक्वाग्रस्त हुए मरीजों को पूरी तरह से स्वस्थ किया है।

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ब्र्रेन स्ट्रोक के उपचार में आई तकनीकी क्रांति संबंधी जागरूक करते हुए फोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली के इंटरवेंशनल न्यूरोरेडियोलॉजी के एडिशनल डायरेक्टर डॉ प्रोफेसर विवेक गुप्ता व न्यूरो-स्पाइन सर्जरी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ हरसिमरत बीर सिंह सोढ़ी ने कहा कि ब्रेन स्ट्रोक से ग्रस्त मरीजों को विकलांगता से पूरी तरह छुटकारा दिलाया जा सकता है, बशर्तें मरीज को तुरंत ऐसे अस्पताल पहुंचाया जाए, जहां अनुभवी न्यूरोलॉजिस्ट, इंटरवेंशनल न्यूरोरेडियोलॉजिस्ट, न्यूरोसर्जन, आपातकालीन चिकित्सकों, एनेस्थेटिस्ट और फिजियोथेरेपिस्ट की विशेषज्ञ टीम के साथ-साथ एडवांस स्ट्रोक देखभाल की सुविधाएं उपलब्ध हों। उन्होंने बताया कि क्योंकि दिमागी दौरे के दौरान मरीज के लिए हर सैकेंड मायने रखता है। उन्होंने कहा कि यदि अस्पताल व्यापक स्ट्रोक सुविधाओं से लैस नहीं है, तो मरीज को ऐसे अस्पताल में पहुंचाना व्यर्थ या समय बर्बाद है तथा मरीज स्वास्थ्य सुविधाएं न मिलने के कारण अधरंग या मौत का कारण बनता है।
डा. प्रोफेसर विवेक गुप्ता ने बताया कि हाल ही में ब्रेन स्ट्रोक के 12 घंटे बाद बेहोशी की हालत में 42 वर्षीय मरीज उनके पास पहुंचा। उनके शरीर के दाहिने हिस्से को लकवा हो गया था। चिकित्सा उपचार में यदि थोड़ी देर हो जाती तो वह मरीज को घातक स्थिति में पहुंचा सकती थी। मरीज के गर्दन व दिमाग के दाहिनी ओर अवरूद्ध हुई रक्त आपूर्ति को मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी की मदद से आर्टरी से क्लाट को हटा दिया गया। उन्होंने कहा कि दिमागी दौरा या लकवा मारने पर बिल्कुल भी घबराने की जरूरत नहीं है। उन्होंने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक के उपचार में क्रांतिकारी बदलाव आने से गंभीर से गंभीर मरीज स्वस्थ हो रहे हैं।
वहीं ब्रेन स्ट्रोक से संबंधित अधिकतर मामलों में प्रयोग की जाती न्यूरो नेवीगेशन तकनीक संबंधी जानकारी देते हुए डा. हरसिमरत बीर सिंह सोढ़ी ने बताया कि ब्रेन टयूमर के लिए न्यूरो नेवीगेशन तकनीक एक वरदान साबित हुई है। उन्होंने कहा कि वो वक्त चला गया, जब ब्रेन टयूमर के बारे पता चलते ही मरीज सहित पूरा परिवार निराश हो जाता था, क्योंकि उन्हें डर रहता था मरीज का पूरा सिर खोलकर सर्जरी होगी। उन्होंने कहा कि बुजुर्गों के मामलों में ब्रेन टयूमर का मामला ज्यादा पेचीदा होता है। उन्होंने कहा कि न्यूरो नेवीगेशन तकनीक के जरिए अब गंभीर से गंभीर ब्रेन टयूमर को दिमाग के अन्य ऊतकों को नुकसान पहुंचाए बिना हटाना संभव हो पाया है। उन्होंने बताया कि फोर्टिस मोहाली 24 घंटे निरंतर स्ट्रोक के लिए तैयार अस्पताल के रूप में ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों को उपचार प्रदान कर रहा है।

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