दिव्य ज्योति जागृति संस्थान एवं श्री नील कंठ मंदिर प्रबंधक कमेटी द्वारा श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव मनाया गया

कपूरथला (द स्टैलर न्यूज़) गौरव मढ़िया। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान एवं नील कंठ मंदिर प्रबंधक कमेटी, अर्बन एस्टेट की ओर से श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव पर नील कंठ मंदिर के प्रांगण कपूरथला में भजन संध्या का आयोजन किया गया है जिसमें सर्व श्री आशुतोष महाराज की  संन्यासी शिष्य महात्मा सुनील जी व शिष्याओं साध्वी पुष्पभद्रा भारती, साध्वी शुभानंदा भारती, साध्वी मि भारती जी द्वारा श्री कृष्ण महिमा में समाधुर भजनों का गायन किया। साध्वी गरिमा भारती जी ने भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं के पीछे छिपे रहस्यों को उजागर किया। भगवान श्री कृष्ण की लीलाएं दो स्तर पर घटित होती हैं एक व्यवहारिक और दूसरा वास्तविक। व्यवहारिक लीला बाहरी धरातल पर घटित होती है जो कि समस्त गोकुल गांव के वासियों के समक्ष श्री कृष्ण जी ने की। सभी ने अपनी इन बाहरी स्थूल नेत्रों के माध्यम से देखा। व्यवहारिक लीला आंतरिक घट में घटित होती है जिसे एक साधक ध्यान की गहराइयों में उतर कर अपने अंतर जगत में देखता है।

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भगवान श्री कृष्ण का साकार स्वरूप को धारण करके आने का उद्देश्य प्रत्येक जीवात्मा के अंतर्गत में अपने निराकार स्वरूप को उद्घाटित करना था लेकिन आज यह हमारे समाज की विडंबना है प्रभु श्री कृष्ण जी का जन्म उत्सव एक मनोरंजन का दिन बन करके रह गया है जिसमें लोग अपने मनमाने ढंग से इस उत्सव को मनाते हैं। यह त्योहार माखन मिश्री खाने तक, रास रचाने तक सीमित रह गया है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी त्यौहार हमारे द्वारा मनाना तब सार्थक होगा जब हम प्रभु को तत्व रुप से अपने भीतर जान लेंगे। प्रभु श्री कृष्ण लीला स्थली गोकुल वास्तव में प्रतीक है हमारे इस तन का। गोकुल का अगर संधिविच्छेद करके देखें तो इसका अर्थ क्या है? गो का अर्थ है इंद्रियां और कुल का अर्थ है समूह। हमारी यह समस्त इंद्रिया जब उस परमात्मा को अपना लक्ष्य मानकर पूर्णतः प्रभु की और लग जाती है तो यह हमारा हृदय स्थल गोकुल बन जाता है जिसमें प्रभु प्रकाश स्वरूप में अंतकरण में सदा सदा के लिए विराजित हो जाते हैं।

भगवान श्री कृष्ण का माखन को चुरा करके खाना सृष्टि के सार तत्व ईश्वर को अपने जीवन में जानने का संदेश देता है। ईश्वर केवल मात्र प्रदर्शन का विषय नहीं है दर्शन का विषय है भगवान श्री कृष्ण का हर लीला के पीछे भारतवासियों के लिए कोई ना कोई संदेश छिपा है। गोपाल के रूप में वे विश्व की माता कहलाई जाने वाली गाय के प्रति हम सब को सम्मान भावना व कर्तव्य का पालन करने का संदेश देते हैं। भगवान श्री कृष्ण नारी उद्धारक, कुशल राजनीतिज्ञ, समाज सेवक, एक कुशल राजा के रूप में समाज के लिए एक प्रेरणास्त्रोत हैं। इसलिए भगवान श्री कृष्ण को बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी कहा गया। आवश्यकता है हम भगवान श्री कृष्ण जी से प्रेरणा लेकर अपने जीवन के कल्याण हेतु उस ज्ञान मार्ग पर चलें, जो भगवान श्री कृष्ण ने हमें भगवत् गीता के माध्यम से दिखाया है।

साथ ही इस अवसर पर कुलवंत कौर मेयर, कपूरथला, राजबंस कौर राणा पूर्व विधायक,  स. रणजीत सिंह खोजेवाल (जिला प्रधान बी जे पी), मनोज भसीन (पूर्व चेयरमैन इंप्रूवमेंट ट्रस्ट), नील कंठ मंदिर कमेटी के चेयरमैन धर्म चंद शर्मा, प्रधान एडवोकेट प्रदीप कुमार तुली, सरंक्षक जतिंदर गुप्ता, महासचिव दीपक अरोड़ा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूरज अग्रवाल, आशीष कुंद्रा, सनी गुप्ता, दीपक ग्रोवर राकेश प्राशर, जीत कुमार थरेजा, सुनील मडिया, एडवोकेट अनुज आनंद, नरेश अग्रवाल, राकेश शर्मा, सुनंदन शर्मा, कमल रावल, संजीव शर्मा, रोहित अरोड़ा, सुशील कुमार वशिष्ठ, प्रभात बजाज, अमरजीत अरोड़ा, प्रदीप कांग, विकास पुरी, हरीश सूद, एस के सूद, डी एन अदक, सिमरन कंग, अल्का कॉलरा, सुनीता मडिया, सुनीता शर्मा, निधि अरोड़ा, वंदना अग्रवाल, राजिंदर कौर, सुमन शर्मा, महक आनंद व निशा आदि सहित संस्थान की स्थानीय शाखा प्रमुख साध्वी गुरप्रीत भारती जी उपस्थित रहे।

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