होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। योग साधन आश्रम माडल टाउन में प्रवचन करते हुए आचार्य चंद्र मोहन जी ने कहा कि योग के द्वारा ही हम अपने जीवन को सफल बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि गीता के छठे अध्याय में भगवान कृष्ण ने बताया है कि हर मनुष्य किस प्रकार सुखी रह सकता है। उन्होंने कहा कि योगाचार्य सदगुरुदेव चमन लाल जी महाराज कहा करते थे कि योग हमारे दुखों को दूर करने वाला है। जब दुख दूर हो जाएगा तो सुख अपने आप ही आ जाएगा। उन्होंने कहा कि अब जबकि संसार में योग का विस्तार हो रहा है तो लोगों को पता लग रहा है कि योग से हम अपने जीवन को सुखी बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि संसार में शांति का साधन योग ही है। हम योग भूल गए हैं इसीलिए हमारे आसपास अशांति है। उन्होंने कहा कि आत्मा को दुख नहीं होता। आत्मा तो ईश्वर का एक अंश है और ईश्वर को दुख हो ही नहीं सकता। दुख तो आत्मा के साथ जुड़ी प्रकृति को होता है। जीव जब संसार में आता है तो मन व इंद्रियों को प्रकृति से खींच लेता है। प्रकृति अपने आप काम करती है।
ईश्वर व आत्मा निर्लेप है। प्रकृति के अंश जब आपस में संघर्ष करते हैं तो दुख होता है। उन्होंने कहा कि शरीर की सफाई के लिए योग करो। हमारे शरीर के अंदर जब मल जमा हो जाता है तो उस से कीटाणु पैदा होते हैं। जो दुख का कारण बनते हैं। शरीर को साफ रखने के लिए योग में षट्कर्म बताए गए हैं। इसके अलावा मुद्राएं, प्राणायाम, आसन सब शरीर की शुद्धि के लिए ही है। मन भी प्रकृति का हिस्सा है। वह भी दुखी होता है। योग में साफ लिखा है कि अगर हमने मन में शांति लानी है तो भगवान का चिंतन करो। मन को सुखी करने के लिए संतोष है। यह गुण हमें अपने अंदर स्वयं पैदा करना होगा। शरीर इंद्रियों तथा मन के साथ बुद्धि भी जुड़ी है । बुद्धि में चिंताएं लग जाती हैं। इसमें संसार की कई चीजे लगातार चलती रहती हैं। इसका इलाज स्वाध्याय है। जब हम धार्मिक शास्त्र पढ़ते हैं तो इससे बुद्धि स्थिर हो जाती है। फिर सारा दिन बुद्धि में ज्ञान समाय रहता है, अगर हम ज्ञान पर मनन करें तो हमारा जीवन सफल हो सकता है।