होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: गुरजीत सोनू। पावरकॉम की इम्पलाइज ज्वाइंट फोर्म से संबंधित होशियारपुर सर्कल के पदाधिकारियों की बैठक हुई। जिसमें पी.एस.ई.बी. इम्पलाइज फैडरेशन (भारद्वाज) की ओर से राकेश शर्मा सर्कल सचिव, टैक्निकल सर्विस यूनियन की ओर से विजय कुमार सर्कल सचिव और इम्पलाइज फैडरेशन पी.एस.ई.बी. की ओर से लखविंदर सिंह मल्ली सर्कल सचिव शामिल हुए।
बैठक में पंजाब मंत्री मंडल की 20-12-17 को हुई बैठक जिसमें 1 जनवरी 2018 से बठिंडा थर्मल प्लांट पूरे का पूरा और रोपड़ थर्मल प्लांट के 2 यूनिट बंद करने के हुकमों की जोरदार तरीके के साथ निंदा की गई। इससे लगभग 3400 कर्मचारियं के रोजगार पर खतरे की घंटी लटक जाएगी। उन्होंने बताया कि सरकारी थर्मल प्लांटों से जहां उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली मिल रही थी अब उन्हें महंगे भाव खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। वक्ताओं ने बताया कि 730 करोड़ रुपए लगाकर बठिंडा थर्मल प्लांट का नवीनीकरण किया गया था और वो अपनी क्षमता के साथ 2031 तक कार्य करने के योग्य है, परंतु सभी कायदे कानूनों को न मानते हुए प्राईवेट बिजली घरों से बिजली खरीद के समझौते किए गए है। इससे सैंट्रल इलैक्ट्रीसिटी की हिदयातों को भी दर किनारा किया गया है।
जिसमें स्पष्ट तौर पर अंकित है कि पुरानी इमारतों या बिजली घरों की नवीनीकरण करके यदि उसकी कैंपिटल वैल्यू में वृद्धि होती है तो कर लेनी चाहिए। इसी नियम के अनुरूप ही बठिंडा थर्मल प्लांट के नवीनीकरण पर इतनी बड़ी रकम खर्च की गई। ज्वाइंट फार्म के जिला होशियारपुर के नेताओं ने कहा कि सरकार को लोगों के पक्ष को ध्यान में रखते हुए ही फैसले लेने चाहिए जोकि नहीं लिए जा रहे। आज जब पावरकॉम और ट्रांसको में 1 लाख 5 हजार के लगभग कर्मचारी होने चाहिए सिर्फ 37 हजार कर्मचारियों से ही काम लिया जा रहा है। जबकि अफसरशाही ज्यों की त्यों कायम है। तरक्की के केसों में भी कर्मचारी वर्ग से धक्का किया जा रहा है।
जबकि अफसर का पद खाली होने पर उसी दिन ही अधिकारी को तरक्की देकर तैनात कर दिया जाता है। कांग्रेस सरकार अपने मैनीफैस्टों प्रत्येक घर में एक नौकरी देने के वायदों को भी पूरा करने के वजाए पावरकॉम और ट्रांसको के हजारों कर्मचारियों को घर से बेघर कर रही है। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को सरकार से बहुत आशाएं थी, परंतु एक-एक करके पानी फेर रहे है। उन्होंने अपील की कि सरकार को अपने फैसले पर पुन: विचार करना चाहिए। जिससे कर्मचारियों के साथ-साथ उपभोक्ताओं को भी मुश्किलों का सामना न करना पड़े। वक्ताओं ने कहा कि यदि यह फैसला वापिस न लिया गया तो कर्मचारियों का बहुत बड़ा वर्ग संघर्ष के रास्ते पर उतर आएगा। जिसकी जिम्मेवारी सरकार के साथ-साथ निगम मैनेजमैंट की भी होगी। संघर्ष की पहली कड़ी के अनुसार शुक्रवार 22-12-17 को सभी बिजली कार्यालयों के आगे रोष प्रदर्शन किया जाएगा।