आओं आज अपने हिस्सों की बात करते है
मैं अपना दर्द बयां करु
औऱ तुम सिर्फ सिकवा करना
तुम श्रवण कुमार हो अपने माता-पिता के लिए
फिर मेरे हिस्से मायके को भुलने का दर्द क्यों
बच्चों पर सबसे ज्यादा हक होता है तुम्हारा
फिर मेरे हिस्से सिर्फ जिम्मेदारी क्यों
तुम सब के लिए एक खुली किताब हो
फिर मेरे हिस्से सिर्फ राज क्यों
तुम सब के लिए समझदार हो
फिर मेरे हिस्से बेवकूफियाँ क्यों
तुम बीमार हो तो सब कुछ हाजिर है
फिर मेरे हिस्से फिजूल खर्ची क्यों
तुम्हारी तकलीफ पर सब न्योछावर है
फिर मेरे हिस्से नाटक क्यों
ताउम्र तेरे लिए तेरे घर के लिए मैं वफादार रही
फिर भी मेरे हिस्से बेगानापन क्यों
- – नविता रानी
- – होशियारपुर