कंडी इलाके में मालकी रकबे से सूखे पेड़ काटने की इजाजत दे सरकार: गांव निवासी

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। पंजाब सरकार की जनविरोधी नीतियों के चलते पहले ही मंदहाली में जीवन व्यतीत कर रहा कंडी क्षेत्र का किसान पूरी तरह से आथिर्क तौर पर कमजोर हो गया है और आगे और हो रहा है। हालात यह हैं कि कंडी का किसान अपनी जमीन का मालिक होकर भी मालिक नहीं है तथा अपनी मर्जी से वहां कुछ भी नहीं कर सकता। यहां तक कि अपनी जमीन में सूखे पेड़ काटने की भी इजाजत नहीं है। जिसके चलते किसान या तो गांव छोडऩे को मजबूर हो रहे हैं या फिर सरकार के बेरुखी के चलते मंदहाली भरा जीवन व्यतीत करने को मजबूर हो रहे हैं।

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उक्त जानकारी गांव कोर्ट के पूर्व सरपंच राकेश कुमार, मास्टर ब्रह्मदास पटियाल, कश्मीर सिंह नंबरदार व पूर्व सरपंच तथा राकेश कुमार निवासी टप्पा ने प्रैस कल्ब में आयोजित एक पत्रकारवार्ता में दी। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने जल्द कोई उचित कदम नही उठाया तो कंडी क्षेत्र में रहने वाले किसान संघर्ष को मजबूर होंगे। एक सवाल के जबाव में उन्होंने बताया कि कंडी क्षेत्र का अधिकांश भाग जंगली इलाका है। गत वर्षाें से सरकार उनको अपनी जमीन से वृक्ष काटने के लिए परमिट नहीं जारी कर रही, जिसके चलते वृक्षों की समय सीमा पूरी हो चूकी है और वृक्ष सूख कर गिरने लगे हैं। गर्मियों का मौसम श्ुारू होने से आगजनी की घटनाए बढऩे की आशंका रहती है।

ऐसे में अगर आग लगती है तो सूखे पेड़ों के साथ-साथ हरे वृक्ष भी आग की चपेट में आकर खराब हो जाते हैं। जिससे किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ प्रभावशाली लोग सरकारी जमीन पर लकड़ी कटाई के परमिट ले रहे हैं। जिसके चलते निजी मालिकों की जमीनों पर लगे वृक्षों को नुकसान होने की संभवनाए बढ़ जाएंगी। कंडी क्षेत्र के किसानों ने एक सवाल के जवाब में बताया कि केन्द्र सरकार ने बंास की खेती को परमिट रहित कर दिया है और इसके बाद हिमाचल की सरकार ने इसे लागू भी कर दिया है। जिसके बाद हिमाचल का किसान अब अपनी मर्जी से बांस की फसल की बिजाई करता है और काटता है। इससे वहां के किसानों को आर्तिक मजबूती मिली है। लेकिन अफसोस की बात है कि पंजाब सरकार द्वारा इस निर्णय को लागू न किए जाने से कंडी के इलाके में बांस सूखने के कारण बांस गिरने लगे हैं। उन्होंने बताया कि अगर बांस की फसल को तीन साल में न काटा जाए तो बांस सूख कर गिरने लगते हैं और हरे बांस को भी नुकसान पहुंचाते हैं।

जब कभी जंगल को आग लग जाए तो सुख कर गिरे हुए बांस आग में घी का काम करते हैं। उन्होने मांग की है केंद्र सरकार की योजना के मुताबिक हिमाचल की तर्ज पर बांस की फसल को परमिट रहित किया जाए तथा कंडी इलाके में पड़ते गांवों के किसानों को अपनी जमीन से सूखे पेड़ काटने की इजाजत दी जाए ताकि कंडी का किसान भी आर्थिक तौर से मजबूत हो सके और आग से होने वाले नुकसान को भी कम किया जा सके। उन्होंने बताया कि इस संबंधी उन्होंने जिलाधीश को एक मांगपत्र भेंट करके किसानों को राहत देने की मांग की है।

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