मर गई मानवता: गिरते मानवीय मूल्यों का मूल्यांकन जरुरी

Editor’s Opinion: Sandeep Dogra
-कर्जदार की बेटी और पत्नी को उठाने की धमकी देना और पीडि़त परिवार का आत्महत्या करना दुखद – होशियारपुर। रविवार को जिला जालंधर के थाना भोगपुर के अधीन पड़ते क्षेत्र हाई-वे पर एक ही परिवार के चार सदस्यों द्वारा कर्ज से परेशान होकर जीवनलीला समाप्त करने के मामले ने मानवीय मूल्यों और सिद्धांतों को झिकझोडक़र रख दिया है। इस घटना ने पूरी मानवता को शर्मसार ही नहीं किया बल्कि आज भी साहूकारों द्वारा कर्जदारों के साथ पशुता जैसा व्यवहार किए जाने को भी उजागर किया है। जरा! सोचीए कि उक्त परिवार वाले कितने परेशानी से गुजर रहे होंगे जब साहूकारों द्वारा परिवार के मुखिया को उसकी बेटी और पत्नी को उठाकर ले जाने की धमकी दी गई होगी। इस घटना से ऐसा प्रतीत होता ही नहीं है कि हम आज़ाद भारत में रह रहे हैं या मुगलों के राज में, क्योंकि ऐसी घटनाएं मुगलों के राज में होती थी इसका इतिहास गवाह रहा है। परन्तु जालंधर में घटी इस खौफनाक और दर्दनाक घटना ने साहूकारों और पूंजीपतियों जोकि फाइनांस के धंधे से जुड़े हैं द्वारा गरीब और मजबूर लोगों के किए जाते शोषण को बयान कर दिया है कि हमारा सिस्टम आज भी कितना कमजोर और मजबूर है। ऐसी घटनाएं हमारे समाज पर एक ऐसा धब्बा हैं जिन्हें धोना आसान नहीं होगा।

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suicide

उक्त घटना के मृकतों की पहचान अनिल अग्रवाल, पत्नी रजनी, बेटी राशी (18) तथा पुत्र अभिषेक (23) के तौर पर हुई है। पुलिस से मिली जानकारी अनुसार उक्त परिवार पठानकोट चौक के समीप एक फ्लैट में रहता था और लेनदारों से परेशान होकर शनिवार 24 सितंबर को ही उक्त स्थान पर आ गया था। चश्मदीदों के अनुसार उन्होंने बस स्टैंड के समीप से एक पानी की बोतल खरीदी और चले गए। शवों के पास से एक पानी की बोतल, सल्फास और एक मोबाइल तथा एक सूसाइड नोट मिला था। सूसाइड नोट में मृतक ने लिखा था कि कर्जदार उसे धमकी देते थे कि पैसे न वापस करने पर वे उसकी पत्नी व बेटी को उठाकर ले जाने की बात करते थे तथा इससे दुखी होकर पूरे परिवार ने मौत को गले लगा लिया। थाना भोगपुर प्रभारी लखवीर सिंह के अनुसार मोबाइल में से एक नंबर डायल किया तो वह मृतक की बहन का निकला, जिसने मौके पर पहुंच कर शवों की पहचान की। पुलिस ने सूसाइड नोट और बहन के बयानों के आधार पर मामला दर्ज करके भले ही कार्रवई शुरु कर दी हो, परन्तु सभ्य समाज के माथे पर लग रहे ऐसे धब्बों को धोने के लिए जहां गौर कानूनी ढंग से पैसों का लेन-देन करने वाले फाइनांसरों पर नकेल कसी जानी जरुरी है वहीं सामाजिक ताना-बाना और हमें अपनी जरुरतों पर अंकुश लगाना भी जरुरी है।
अपनी संस्कृति, मानवीय मूल्यों और सिद्धांतों के लिए जाने जाते भारत जैसे महान देश में ऐसी घटनाएं हमारी सभ्यता और हमारी गिरती मानसिका की तरफ इशारा करती हैं। जिससे पूरे विश्व में भारत का अक्स धूमिल होना स्वभाविक सी बात है।

उड़ीसा में भी सामने आई थी मानवता को शर्मसार करने वाली घटना

 

कुछ दिन पहले उड़ीसा में मानवता को शर्मसार करने वाली घटना के सामने आने से, जिसमें एम्बुलैंस न मिलने से आर्थिक तौर से कमजोर एक व्यक्ति अपनी पत्नी की लाश उठाकर 10 किलोमीटर तक चला था और उसकी बेटी रोते हुए उसके साथ चल रही थी ने भी हमारी सरकारी व्यवस्था तथा संवेदनहीन हो रहे समाज पर प्रश्न चिंह लगा दिया था।

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. . .और फिर शर्मसार हुई मानवता

अभी दो-तीन दिन पहले ही रांची से आए एक समाचार जिसमें अस्पताल प्रबंधकों द्वारा एक मरीज को भूमि पर ही भोजन परोसने की घटना ने देश को हिला कर रखे दिया है और डाक्टरी व नर्स जैसे पवित्र पेशे पर सवालिया निशान लगा दिया है। अब पंजाब में घटी इस घटना ने कानून व्यवस्था के साथ-साथ सामाजिक व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया है। इसलिए हमें सामाजिक, कानूनी और प्रशासनिक व्यवस्था को बदलने व सुधार के लिए एकजुट होकर प्रयास करने समय की मांग ही नहीं बल्कि देश व समाज के हित में भी हैं।

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