सत्संग में आकर हरि की महिमा गाना व सुनना उत्तम कर्म है: महात्मा गुरदेव काकूवाल

होशियारपुर/गढ़दीवाला(द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: गुरजीत सोनू। सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज की कृपा से संत निरंकारी सत्संग भवन गढ़दीवाला में ब्रांच के इंचार्ज महात्मा अवतार सिंह के नेतृत्व में संत समागम का आयोजन किया गया। इस मौके पर मंडल द्वारा बनाई गई प्रचार यात्रा के दौरान केन्द्रीय प्रचारक महात्मा गुरदेव सिंह काकूूवाल सतगुरु माता जी आर्शीवाद लेकर पहुंचे। उन्होंने सतगुरु माता सुदीक्षा जी के आदेशों के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि भक्ति कल पर डालने वाली बात नहीं है। इंसान के स्वासों की लड़ी का पता नहीं है कब समाप्त हो जानी है इसलिए सतगुरु के चरणों में जाकर इस निरंकार प्रभु की जानकारी करके निरंकार प्रभु को घट घट में देखकर सिमरन करना ही असली भक्ति है। उन्होंने कहा कि सत्संग में आकर हरि की महिमा गाना व सुनना उत्तम कर्म है।

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इस कर्म को छोडक़र इंसान ओर ही कार्यों में अपना समय व्यतीत करके अपना हीरे जैसा जन्म की कीमत कोड़ी डाल रहा है। उन्होंने कहा कि इंसान अपने फर्जों को भूलकर हक मांग रहा है। उन्होंने उदाहरण देकर समझाया कि अगर मरीज डाक्टर की कहना नहीं मानता वह मरीज ठीक नहीं हो सकता, जो बच्चा माता पिता का कहना नहीं मानता उससे माता पिता खुश नहीं हो सकते इसी तरह जो गुरसिख सतगुरु के वचनों को नहीं मानते वह गुरसिख नहीं बन सकता। उन्होंने कहा कि जो इंसान अपने फर्र्जों को निभाता है उसे हक मांगने की जरूरत नहीं पड़ती। उन्होंने कहा कि इंसान का सबसे बड़ा फर्ज इस प्रभु परमात्मा की जानकारी हासिल करना है, जिसे भूला कर इंसान अन्य कार्यों में अपना समय व्यतीत कर रहा ह यह जानकारी सतगुरु माता सुुदीक्षा जी महाराज करवा रही है।

उन्होंने कहा कि हमेशा ही गुरसिख को पक्के गुरसिखों का संग करना चाहिए वहीं हमें सही मार्ग पर चला सकते है। इस दौरान देव नाभा, सुधीर कुमार होशियारपुर, तरसेम सिंह, नरिंदर कौर, राजवीर, मलकीयत सिंह, जसविंदर सिंह, सुखवंत कौर, प्रो.सुरेश कुमार दसूहा, सुखदेव स्वामी, आदि ने भी अपने विचार पेश किए। इससे पहले इंचार्ज महात्मा अवतार सिंह के नेतृत्व में शिक्षक महात्मा सुखबीर सिंह, सहायक शिक्षक डा. सुखदेव सिंह, संचालिका बहन शशि ने महात्मा गुरदेव सिंह काकोवाल का दुपट्टा पहना कर स्वागत व धन्यवाद किया। इस मौके पर हरियाना ब्रांच के मुखी महात्मा डा. रत्न सिंह विशेष तौर पर पहुंचे।

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