मंत्रीमंडल ने श्री अनंदपुर साहिब-नैना देवी रोपवे प्रोजैक्ट को दी हरी झंडी

चंडीगढ (द स्टैलर न्यूज़)। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में मंत्रीमंडल ने राज्य में पर्यटन को और उत्साहित करने के लिए सार्वजनिक-निजी हिस्सेदारी से श्री अनन्दपुर साहिब और नैना देवी जी दरमियान रोपवे की स्थापना के लिए परवानगी दे दी है। एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि पंजाब में स्थित श्री अनन्दपुर साहिब और हिमाचल प्रदेश में स्थित नैना देवी जी प्रसिद्ध धार्मिक स्थान होने के कारण इस प्रोजैक्ट के साथ दोनों ऐतिहासिक और धार्मिक स्थानों पर आते लाखों श्रद्धालुओं को बिना किसी दिक्कत के दर्शन करने की सुविधा हासिल होगी।

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प्रवक्ता ने बताया कि आनंदपुर साहिब से नैना देवी जी तीर्थ स्थल की दूरी ज़्यादा है और पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण चढ़ाई भी है। इसलिए पंजाब सरकार ने हिमाचल प्रदेश सरकार की सहमति से नैना देवी जी और श्री अनन्दपुर साहिब के बीच रोपवे प्रोजैक्ट स्थापित करने का फ़ैसला किया है जिससे श्रद्धालुओं को सुविधा मिल सके और उनके समय की बचत हो सके।
इस प्रोजैक्ट संबंधी बताते हुए प्रवक्ता ने बताया कि 26 जुलाई, 2012 को पंजाब और हिमाचल प्रदेश की सरकारों के बीच आनंदपुर साहिब और नैना देवी जी दरमियान रोपवे चलाने संबंधी एम.ओ.यू. हुआ था। इस उद्देश्य के लिए पंजाब सरकार के पर्यटन विभाग की तरफ से पंजाब वाले क्षेत्र में स्थापित किये जाने वाले टर्मिनल चलाने और राईट ऑफ वे के लिए 108 कनाल 13 मरले ज़मीन भी एक्वायर कर ली गई थी परन्तु हिमाचल प्रदेश सरकार की तरफ से 3 जून, 2014 को इसको रद्द कर दिया गया था। फरवरी, 2018 को हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री की तरफ से इस प्रोजैक्ट को फिर शुरू करने के लिए एक पत्र प्राप्त हुआ जिसके सम्बन्ध में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने अपनी रज़ामंदी हिमाचल प्रदेश को भेज दी थी। अब 5 सितम्बर, 2018 को पंजाब के पर्यटन विभाग ने हिमाचल प्रदेश सरकार से एम.ओ.यू. प्राप्त कर लिया है।

यह प्रोजैक्ट सार्वजनिक-निजी हिस्सेदारी विधि के द्वारा स्थापित करने का प्रस्ताव है जोकि स्पैशल पर्पज व्हीकल (एस.पी.वी.) स्थापित करते हुए चलाया जायेगा। इस एस.पी.वी. पर आने वाली एक करोड़ रुपए की लागत में पंजाब और हिमाचल प्रदेश 50 -50 लाख रुपए का हिस्सा डालेंगे।

प्रवक्ता ने बताया कि एम.ओ.यू. मुताबिक पंजाब और हिमाचल प्रदेश सरकारों की आय में बराबर की हिस्सेदारी होगी और इसका रियायती समय 40 साल का होगा। पहले 7 सालों में रियायत के तौर पर रियायती फीस की अदायगी नहीं की जायेगी। इस प्रोजैक्ट को बनाने के लिए कुल 3 साल का समय दिया जाएगा।

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