नगर निगम होशियारपुर में कुछेक अधिकारियों की तो दाद देनी पड़ेगी कि कितनी मजबूती और राजनीतिक कौशल के साथ उन्होंने सत्तारुढ़ और विपक्ष में संतुलन बनाया हुआ है कि कई अधिकारी आए और गए मगर उन्हें हिलाने की हिम्मत किसी की नहीं हुई या यूं भी कह सकते हैं कि उनके राजनीतिक कौशल के आगे शहर के बड़े-बड़े नेताओं की चाल भी टेढ़ी पड़ जाती है तथा बाजी फिर उनके हाथ में रहती है। यह भी पता चला है कि हाल ही में निगम में बड़े स्तर पर हुए फेर बदल में उनकी काफी भूमिका रही तथा उनके कार्य करने का तरीका भी साफ और सीधा है। उनके द्वारा कई अहम कार्यों के बारे में निगम हैड यानि मेयर को बताया जाना जरुरी नहीं समझा जाता, जबकि लोकतांत्रिक प्रणाली की दृष्टि से देखा जाए तो निगम का हैड मेयर होता है तथा प्रत्येक विकास कार्य एवं प्रोजैक्टों की जानकारी उन्हें होना जरुरी होता है। मगर निगम में कई कार्य ऐसे हैं जिनके बारे में मेयर को जानकारी दी जानी जरुरी नहीं समझी जाती। इन अधिकारियों की ऐसी तूती बोलती है कि गत दिवस एक बड़े अधिकारी की बदली के बाद से इनके हौंसले और भी बुलंद हो चुके हैं। जिसे लेकर जहां भाजपा और अकाली दल में काफी सुगबुगाहट है वहीं इनके कौशल से आने वाले चुनावों के बाद निगम पर काबिज होने की सोच रहे कई कांग्रेसी भी इन्हें लेकर आज ही सकते में हैं कि अगर ऐसे ही चलता रहा तो कहीं उन्हें भी बाईपास न किया जाता रहे। खैर यह बात फिर किसी दिन करेंगे, आज आपको एक ऐसी बात बताने जा रहा हूं कि आप भी मान जाएंगे कि इनसे ऊपर कोई नहीं तथा नौकरी के साथ-साथ राजनीति में पकड़ मजबूत बनाने के साथ-साथ सत्तारुढ़ नेता को कैसे खुश रखना है यह इनसे सीखना चाहिए।
लालाजी स्टैलर की राजनीतिक चुटकी
तो बात यूं है कि आज यानि 10 सितंबर को मेयर शिव सूद द्वारा नगर निगम में री-बोर करवाए गए ट्यूबवैल का उद्घाटन किया जाना था। यह बात निगम के अधिकतर अधिकारी जानते थे। सौभाग्यवश मैं भी वहीं मौजूद थे। मैंने सोचा चलो इसकी कवरेज ही कर लेते हैं यह तो अच्छी बात है कि निगम में ट्यूबवैल को री-बोर किया गया और देखें कि यहां डोजर लगा है कि नहीं। यह बात मैं आपको बाद में बताउंगा। पहले यह पढिय़े। जैसे ही मेयर शिव सूद अपने साथियों के साथ व कुछेक कर्मियों के साथ निगम परिसर के मुख्य द्वार में दाखिल होते समय बाईं तरफ व बाहर निकलते समय दाईं तरफ बने ट्यूबवैल के कमरे में उद्घाटन करने के लिए सीढिय़ां उतर कर उस तरफ बढ़े तो हम सभी के गेट पार करते ही मैंने देखा कि बाहर की तरफ से एक अधिकारी की गाड़ी गेट की तरफ। मगर ये क्या अधिकारी ने जैसे ही मेयर व उनके साथियों को देखा तो गाड़ी रोकने के निर्देश दे दिए। देखते ही देखते गाड़ी बैक होने लगी व अधिकारी वहां से निकल लिए। इसके बाद उद्घाटन हुआ और सभी निगम कार्यालय में पुन: लौट आए। इस दौरान पता चला कि साहिब को उद्घाटन का पता था तथा जो समय तय था साहिब उसके बाद ही निगम पहुंचे। मगर इतफाक देखिये उद्घाटन देरी से होने के कारण जब सभी उधर जा रहे थे तो गाड़ी में सवार अधिकारी निगम पहुंचे, परन्तु सभी को जाता देख उन्होंने सोचा होगा कि अगर वे अंदर गए तो उन्हें भी साथ जाना पड़ेगा तो उन्होंने समझदारी बरतते हुए और नेता जी का ध्यान करते हुए वापिस जाने में ही भलाई समझी।
ठीक भी है भाई सत्तारुढ़ के आशीर्वाद से बढफ़ूल रहे अधिकारी क्यों चाहेंगे कि विपक्ष के कार्यक्रम में जाकर किसी को नाराज किया जाए। हो सकता हो उन्हें कोई काम याद आ गया हो या उन्हें कहीं और जाना हो मगर, अधिकारी द्वारा उठाए गए इस कदम की निगम में खूब चर्चा रही। इस घटना के बाद मौके पर मौजूद भाजपा-अकाली नेताओं ने कई प्रकार की चुटकियां भी लीं, मगर इसमें भी कोई दो राय नहीं कि अपनी सरकार के समय कुछेक अधिकारियों पर इन्होंने भी काफी कृपादृष्टि बनाई हुई थी तथा अब वे अधिकारी नजऱें बदल चुके हैं और राजनीति पैंतरे कैसे खेले जाते हैं आज वे इन्हें इसी की शिक्षा देते भी नजऱ आ रहे हैं। नाले भाई सच वी आ, जिसदा खाओ उसदे गुण गाओ। आपणा रांजा राजी रैणा चाहिदा, सरकारां तां आंदियां जांदियां रेहंदीयां ने…