जागरूकता रैली से जमीन व पर्यावरण बचाने के लिए किसानों को पराली को आग न लगाने की अपील की

धान की पराली का प्रबंधन मौजूदा समय की सबसे महत्वपूर्ण जरुरत: जिलाधीश
होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़)। जिलाधीश होशियारपुर ईशा कालिया ने कहा कि धान की पराली का प्रबंधन मौजूदा समय की सबसे महत्वपूर्ण जरु रत है। उन्होंने कहा कि किसान धान की पराली व फसलों के अवशेष को आग न लगाएं, क्योंकि इससे जहां वातावरण दूषित होता है, वहीं जमीन की उपजाऊ शक्ति भी घटती है। उन्होंने बताया कि आग लगाने से जमीन के मित्र कीड़े भी मर जाते हैं। उन्होंने बताया कि इस वर्ष पराली को आग न लगाने के बारे में जिला प्रशासन की ओर से विशेष अभियान चलाया गया है जबकि वर्ष 2018-19 में यह अभियान सफलतापूर्वक चलाया गया था, जिसके चलते होशियारपुर जिले में पंजाब में सबसे कम आग लगाने के रुझान सामने आए थे।

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जिलाधीश ने कहा कि पंजाब सरकार की ओर से फसलों के अवशेष को आग न लगाने संबंधी जहां बड़े स्तर पर किसानों को जागरु क किया जा रहा है, वहीं अवशेष की संभाल के लिए किसानों को कृषि मशीनरी सब्सिडी पर मुहैया करवाई जा रही है। जिलाधीश ने बताया कि किसान ग्रुपों को 80 प्रतिशत व व्यक्तिगत तौर पर 50 प्रतिशत सब्सिडी की सुविधा मुहैया करवाई जा रही है। उन्होंने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र, बाहोवाल की ओर से पराली को आग लगाने से रोकने के लिए व धान की पराली प्रबंधन संबंधी जागरुकता कैंप के आयोजन भी किए जा रहे हैं।

– कृषि विज्ञान केंद्र ने सरकारी स्कूल ईसपुर मखसूसपुर में करवाया जागरुकता कार्यक्रम

उधर डिप्टी डायरेक्टर कृषि विज्ञान केंद्र डा. मनिंदर सिंह बौंस ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल ईसपुर मखसूसपुर में धान की पराली संभालने संबंधी जागरु कता अभियान का आयोजन किया गया। इस दौरान धान की पराली को आग न लगाने के बाद होने वाले नुकसान के बारे में विद्यार्थियों में जागरु कता पैदा करने के लिए डिबेट, लेखन व पेंटिंग मुकाबले भी करवाए व विजेता विद्यार्थियों को पुरु स्कार भी दिए। स्कूल के विद्यार्थियों की ओर से धान की पराली प्रबंधन व आग लाने से वातावरण, जमीन की सेहत व मानवता पर बुरे प्रभावों संबंधी जागरु कता रैली भी निकाली गई।

डा. मनिंदर बौंस ने इस बात पर जोर दिया कि मशीनरी के उपयोग से धान की पराली को संभालने की जरु रत है व उन्होंने इस बाबत अलग-अलग तकनीकों के बारे में जानकारी भी दी। डा. बौंस ने पराली की बायो गैस प्लांट, खुंब उत्पादन, गत्ता उद्योग व मल्च के रु प में उपयोग पर भी प्रकाश डाला व पराली को आग लगाने से होने वाले नुकसान संबंधी भी विस्तार से बताया। इस अवसर पर स्कूल की प्रिंसिपल गुरमीत कौर मणकू ने जागरु कता अभियान चलाने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने स्कूल विद्यार्थियों को इस जागरु कता अभियान में अहम जिम्मेदारी निभाने के लिए भी प्रेरित किया। इस दौरान केंद्र के वैज्ञानिकों डा. पवित्तर सिंह, डा. अरु णबीर सिंह ने पराली में मौजूद अलग-अलग तत्वों की महत्ता, मिट्टी परीक्षण व पराली के पशु पालन में उपयोग संबंधी तकनीकी लैक्चर भी दिया।

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