धान की पराली को आग लगाना मानवीय स्वास्थ्य के लिए खतरनाक: जिलाधीश

होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़)। जिलाधीश ईशा कालिया ने बताया कि धान की पराली को आग लगाना मानवीय स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक है। उन्होंने बताया कि फसलों के अवशेषों को आग लगाने से पैदा हुआ प्रदूषण गर्भवती महिलाओं व नव जन्मे बच्चों के लिए बहुत नुकसानदेह है, इस लिए किसानों को आग लगाने के स्थान पर इसके प्रबंधन की ओर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसान धान की पराली के प्रबंधन के लिए आधुनिक खेती मशीनें किराए पर ले सकते हैं।

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– कहा, पशुओं के लिए सूखे चारे के तौर पर उपयोग की जा सकती है धान की पराली

ईशा कालिया ने बताया कि धान की पराली का प्रयोग पशुओं के सूखे चारे के तौर पर किया जा सकता है, इस लिए जहां पराली का निपटारा आसानी से हो सकेगा, वहीं पशु पालन के लिए सस्ता चारा उपलब्ध हो सकतान है। उन्होंने बताया कि खेतों में फसलों के अवशेषों को आग लगाने से वातावरण तो प्रदूषित होता ही है, जमीन में मौजूद कीड़े व अन्य उपजाऊ तत्व भी नष्ट हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अनुसार पराली को आग लगाने से प्रति एकड़ 2856 किलो कार्बन डाईआक्साइड, 120 किलो कार्बन मोनोआक्साइड, 6 किलो धूल के कण व 4 किलो सल्फर डाईआक्साइड जैसी हानीकारक गैसे पैदा होती हैं। उन्होंने बताया कि यह हानीकारक गैसें मनुष्य व जानवरों दोनों के लिए काफी घातक है।

– प्रति एकड़ पराली जलाने पर 2856 किलो कार्बन डाईआक्साइड, 120 किलो कार्बन मोनोआक्साइड, 6 किलो धूल के कण व 4 किलो सल्फर डाईआक्साइड जैसी हानीकारक गैसे होती हैं पैदा

ईशा कालिया ने बताया कि किसानों की ओर से कृषि के साथ-साथ पशु पालन का व्यवसाय भी किया जाता है व किसान इस समय पशुओं के लिए हरे चारे के साथ-साथ भूसे का भी प्रयोग करते हैं जो करीब 350 रु पए प्रति क्विंटल है। उन्होंने बताया कि यदि पराली का प्रयोग किया जाए तो यह केवल 100 रु पए प्रति क्विंटल ही पड़ती है। उन्होंने बताया कि पराली के प्रबंधन के कई तरीके हैं पर चारे के तौर पर उपयोग किसानों के लिए सबसे सस्ता व लाभकारी तरीका है, क्योंकि इस तरीके में महंगे भूसे की बचत कर सस्ती पराली का प्रयोग किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि पराली के पौष्टिक गुण अन्य फसलों के भूसे के बराबर ही हैं।

जिलाधीश ने बताया कि माहिरों के अनुसार पराली को कटाई से 2 से 10 दिनों के बीच संभाल लिया जाए तो इसको पशु ज्यादा पसंद करते हैं। पशु पालन विभाग की सलाह से पराली का यूरिया के साथ उपचार कर इसका स्वाद व पौष्टिकता और बढ़ाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि पशुओं के लिए पराली का आचार भी बनाया जा सकता है।

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